राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की एक टीम ने हाल ही में आग का शिकार हुई मुंडका स्थित इमारत की सोमवार को जांच-पड़ताल की। 13 मई को इमारत में भीषण आग लगने से 27 लोगों की जान चली गई थी।
एनएचआरसी के डीआईजी एस. के. मीणा ने पूरे भवन का निरीक्षण किया और बाद में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा कि वे वहां हुए किसी भी (संभावित) मानवाधिकार उल्लंघन की जांच कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि टीम पूरे मामले की जांच भी करेगी।
इससे पहले रविवार को, एनएचआरसी ने घटना का स्वत: संज्ञान लिया था और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर अपने मुख्य सचिव को दो सप्ताह के भीतर आयोग को एक रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा, जिसमें जिम्मेदार अधिकारियों या कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करना शामिल है।
एनएचआरसी ने यह भी देखा कि इस आग की घटना ने एक बार फिर स्थापित किया है कि शहर के अधिकारियों ने अतीत में इसी तरह की घटनाओं से बहुत कम सीखा है जो अग्नि सुरक्षा तंत्र की पूरी कमी और उनके कार्यान्वयन में अंतर को उजागर करता है।
मीडिया रिपोटरें की सामग्री के अनुसार, यह राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में लोक सेवकों के वैधानिक कर्तव्यों की पूर्ण उदासीनता और पूरी तरह से लापरवाही के कारण पीड़ितों के मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन का सबसे खराब मामला प्रतीत होता है, जिससे मूल्यवान जीवन का नुकसान होता है।
प्रासंगिक रूप से, दुर्भाग्यपूर्ण इमारत के पास अग्निशमन विभाग से आवश्यक अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) नहीं था। दिल्ली अग्निशमन सेवा के प्रमुख अतुल गर्ग कई बार कह चुके हैं कि उक्त भवन मालिकों ने कभी भी फायर एनओसी के लिए आवेदन नहीं किया।
एक फायर एनओसी प्रमाणित करता है कि एक इमारत को दिल्ली अग्निशमन सेवा नियमों के नियम 33 के अनुसार आग की रोकथाम और अग्नि सुरक्षा आवश्यकताओं का अनुपालन माना गया है।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
Published: 16 May 2022, 9:42 PM IST
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Published: 16 May 2022, 9:42 PM IST