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पीएम मोदी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट में दो तिहाई से ज्यादा सांसद नहीं दिखा रहे दिलचस्पी, 451 सांसदों ने किया किनारा

पीएम मोदी ने 15 अगस्त 2014 को अपने संबोधन में इस योजना के बारे में बताया था। करीब दो महीने बाद 11 अक्टूबर, 2014 को इस योजना की शुरुआत हुई थी। सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत पहले चरण में 703 सांसदों ने गावों को गोद लिया था।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

सत्ता में आने के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों को कई सपने दिखाए। लेकिन अभी तक एक भी सपने पूरे होते नहीं दिख रहे। यहां तक की उनके ड्रीम प्रोजेक्ट सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई) में भी सांसदों की दिलचस्पी नहीं रही। दरअसल 2014 में लाल किले की प्राचीर से अपने पहले संबोधन में स्वतंत्रता दिवस पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र निर्माण के लिए सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई) की घोषणा की थी, जिसमें लोकसभा सांसदों से गुजारिश की गई थी कि साल 2016 तक अपने या अपने क्षेत्र के एक गांव को एक आदर्श गांव बनाएं। पीएम मोदी ने सांसदों से अपील की थी कि वो साल 2016 के बाद इसी तरह दो और गांवों को आदर्श बनाने का काम करें और गांवों का चयन करें और 2019 के बाद कम से कम पांच मॉडल गांवों का चयन कर विकास करें। मोदी ने लोकसभा और राज्यसभा दोनों के सांसदों से ऐसा करने को कहा था।

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इस योजना को शुरू हुए पांच साल से ज्यादा का वक्त बीत गया है। लेकिन गांव में इसका कोई खास असर नहीं दिख रहा। इतना ही नहीं सांसद इस योजना में अब ज्यादा दिलचस्पी भी नहीं दिखा रहे। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक ज्यादातर सांसदों ने इस योजना में रूचि नहीं रही। मौजूदा संसद के दो तिहाई से ज्यादा सांसदों ने योजना के चौथे चरण में अभी तक किसी भी ग्राम पंचायत का चयन नहीं किया है। इस समय सांसदों की कुल संख्या 790 है। इसमें चयनित और नामांकित दोनों शामिल हैं।

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पीएम मोदी ने 15 अगस्त 2014 को अपने संबोधन में इस योजना के बारे में बताया था। करीब दो महीने बाद 11 अक्टूबर, 2014 को इस योजना की शुरुआत हुई थी। सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत पहले चरण में 703 सांसदों ने गावों को गोद लिया था। लेकिन समय गुजरने के साथ-साथ सांसदों की दिलचस्पी इस योजना से जाती रही। दूसरे चरण में 497 सांसदों ने ही गांव को गोद लिया। वहीं तीरसे चरण में यह संख्या आधी रह गई। सिर्फ 301 सांसद ही थे जिन्होंने गावों को विकसित करने के लिए गोद लिया। हर चरण के साथ इस योजना में दिलचस्पी लेने वाले सांसदों की संख्या और सीमित हो गई। चौथे चरण में सिर्फ 252 सांसदों ने ही गांव को गोद लिया। मतलब ये कि पांच साल में 451 सांसदों का इस योजना से मोह भंग हो गया।

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