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प्रधानमंत्री का भाषण उबाऊ था, उनके 11 संकल्प खोखले और महज जुमले: विपक्ष की तीखी प्रतिक्रिया

कांग्रेस ने कह है कि लोकसभा में संविधान पर चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करीब 2 घंटे का बेहद उबाऊ भाषण दिया। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री द्वारा रखे गए 11 संकल्पों को खोखला बताया।

फोटो : पीटीआई
फोटो : पीटीआई 

लोकसभा में संविधान पर चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करीब 2 घंटे का भाषण दिया। कांग्रेस समेत समूचे विपक्ष ने इसे बेहद उबाऊ भाषण बताया है। कांग्रेस महासचिव और वायनाड से लोकसभा सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि, "यदि भ्रष्टाचार को लेकर प्रधानमंत्री की बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करने की नीति है तो अडाणी के मामले पर चर्चा करानी चाहिए।" उन्होंने कहा कि प्रधानममंत्री का भाषण उबाऊ था।

प्रियंका गांधी ने कहा, ‘‘दशकों बाद ऐसा लगा कि गणित के ‘डबल पीरियड’ में बैठे हैं। नड्डा जी हाथ मल रहे थे और जब मोदी जी ने उनकी ओर देखा तो वह अचानक ऐक्टिंग करने लग गए कि मैं सुन रहा हूं। अमित शाह जी भी अपना सिर छू रहे थे। पीयूष गोयल जी लग रहे थे कि सोने वाले हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगा कि वो नई बात बोलेंगे। उन्होंने 11 खोखले संकल्प रखे। अगर भ्रष्टाचार को लेकर बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करने की नीति है तो अदाणी पर चर्चा करिए।’’

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पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने प्रधानमंत्री के भाषण पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कांग्रेस ने सदन में इस बात का खुलासा कर दिया है कि यह पूरी सरकार अडाणी समूह के लिए चल रही है। उनका कहना था, ‘‘प्रधानमंत्री के भाषण में कुछ नया नहीं है। सिर्फ कांग्रेस के खिलाफ आरोप लगाए हैं। हमने कल और आज खुलासा कर दिया कि पूरी सरकार अडाणी के लिए चल रही है। जिस तरह से आरएसएस और हिंदू महासभा ने पहले दिन से संविधान का विरोध किया था, इसका भी खुलासा हुआ है।’’

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वहीं कांग्रेस सांसद परिणिति शिंदे ने कहा कि प्रधानमंत्री के भाषण में सिवाय आरोपों के और कुछ नहीं था। उन्होंने कहा कि, "मैं इस बात से अचंभिच हूं कि प्रधानमंत्री ने एक बार भी सेक्युलर शब्द नहीं बोला। उन्होंने नहीं भूलना चाहिए कि वे प्रधानमंत्री उसी संविधान के आधार पर बने हैं जिसकी बुनियाद कांग्रेस पार्टी ने डाली थी।"

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उधर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री के भाषण और संकल्पों को जुमलों का नाम दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के हर संकल्प हर वादे सिर्फ और जुमले हैं। उन्होंने कहा कि 15 लाख रुपए के वादे से लेकर हर साल एक करोड़ नौकरियां देने तक और बाकी वादे सिर्फ जुमले ही साबित हुए हैं।

यादव ने कहा, ‘‘आज हमने 11 जुमलों के संकल्प सुने। किसानों की आय दोगुनी करना जुमला था, एक करोड़ रोजगार देना जुमला था, अग्निवीर योजना और जीएसटी (माल एवं सेवा कर) भी एक जुमला है।’’

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समाजवादी पार्टी की सांसद इकरा हसन ने भी प्रधानमंत्री के भाणण पर प्रतिक्रिया में कहा कि उन्होंने दावे तो बहुत से किए लेकिन अपनी उपलब्धियां नहीं गिना पाए। उन्होंने कहा कि, "मैं इस बात से निराश हूं कि प्रधानमंत्री ने संभल का जिक्र नहीं किया, उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की बात नहीं की, अल्पसंख्यकों को अधिकारों की बात नहीं और न ही मणिपुर पर कुछ बोले।" उन्होंने कहा कि वे आम लोगों को असली मुद्दों से किनारा कर गए।

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तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद सौगत रॉय ने भी प्रधानमंत्री के भाषण पर प्रतिक्रिया में कहा कि वे सिर्फ अपनी ही बात बोलते रहे। उन्होंने कहा कि "प्रधानमंत्री आक्रामक मुद्रा में तो थे लेकिन उन्होंने न तो विपक्ष द्वारा की जा रही आलोचनाओं का जवाब दिया और न ही महिलाओं पर अत्याचार या दंगों की बात की।"

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तृणमूल कांग्रेस के अन्य सांसद सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि, "उनके भाषण में कुछ भी नहीं था जिस पर प्रतिक्रिया दी जाए।" उन्होंने कहा कि, "प्रधानमंत्री को यह स्वीकार करना चाहिए कि भले ही वे वंशवाद की बात कर लें, लेकिन अंग्रेजों को खिलाफ लड़ने वाली सबसे बड़ी ताकत कांग्रेस की ही थी। हर भारतवासी स्वतंत्रता संग्राम में कांग्रेस की भूमिका पहचानता-जानता है। इसलिए प्रधानमंत्री के आरोप लगाना फिजूल हैं।" उन्होंने कहा कि, "अगर कोई व्यक्ति दो घंटे तक बोलता रहेगा तो कई मुद्दे उठेंगे।"

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इस दौरान कांग्रेस के अन्य सांसद डॉ शकील अहमद खान ने कहा कि, "भाषा, व्यवहार और शालीनता बेहद प्रभावशाली होती हैं। लेकिन आज की राजनीति में इनका महत्व खत्म होता जा रहा है। प्रधानमंत्री को इन शब्दों की परवाह ही नहीं है....जब वह महान व्यक्तियों की आलोचना करते हैं, तो वे सारी शालीनता ताक पर रख देते हैं। जवाहर लाल नेहरू ने इस देश के लिए और स्वतंत्रता के लिए महान योगदान दिया है, लेकिन प्रधानमंत्री को यह याद नहीं रहता।"

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