साल 2019 में पाकिस्तानी फौज की कैद से फरार हुए तालिबान के प्रवक्ता एहसानउल्ला एहसान ने खुलासा किया है कि वह भागा नहीं था, बल्कि पाक फौज ने खुद उसे रिहा किया था और साथ ही फौज ने उसे डेथ स्कवॉड तैयारी करने की जिम्मेदारी देते हुए एक हिट लिस्ट भी दी थी, जिसमें कई पत्रकार हैं जो पाक फौज या सरकार के खिलाफ लिखते हैं। एहसान ने अपने खुलासे में महिला पत्रकार आरजू इकबाल की हत्या की बात भी कबूल की।
साल 2014 में मलाला यूसुफजई पर हमला करने के आरोपी आतंकी एहसान को फौज ने अप्रैल 2017 में गिरफ्तार करने का दावा किया था। लेकिन जनवरी 2019 में उसके फौज की गिरफ्त से भाग जाने की खबर आई थी। इस पर किसी को यकीन नहीं हो रहा था। अब खुद एहसान ने एक ऑडियो टेप जारी कर दावा किया है कि उसे पाक फौज ने नहीं पक़ड़ा था, बल्कि उसने खुद सरेंडर किया था। इतना ही नहीं, उसने ये भी कहा कि वह भागा नहीं था, बल्कि पाक फौज ने ही उसे रिहा किया था।
एहसान के मुताबिक रिहा करते वक्त पाक फौज ने उसे डेथ स्कवॉड तैयार करने की जिम्मेदारी देते हुए एक हिट लिस्ट दी थी, जिसमें कई पत्रकारों के नाम हैं। एहसान ने ऑडियो टेप में कहा- “मुझे एक डेथ स्कवॉड बनाने के लिए कहा गया। कहा गया कि गद्दारों के खिलाफ काम शुरू करें। मुझे एक हिट लिस्ट भी दी गई, जिसमें ज्यादातर खैबर पख्तूनख्व के पश्तून हैं। इसमें कई पत्रकार के भी नाम हैं। पाक मिलिट्री इंटेलिजेंस के कई अफसरों ने मुझसे बात की।”
एहसान ने दावा किया कि यह सब कुछ पाकिस्तान सरकार के इशारे पर किया गया। पाक सरकार और फौज आतंकियों का इस्तेमाल अपने दुश्मनों को ठिकाने लगाने में करते हैं, क्योंकि पाक सरकार और फौज को विरोध मंजूर नहीं। बता दें कि जिस दौर में एहसानुल्लाह पाकिस्तानी फौज की कैद में था, उस वक्त भी उसके सोशल मीडिया अकाउंट्स एक्टिव थे और हिरासत के दौरान उसने कई ट्वीट भी किए थे।
गौरतलब है कि एहसान के ये खुलासे ऐसे समय में सामने आए हैं, जब बुधवार को पाकिस्तान की 30 महिला पत्रकारों ने सोशल मीडिया पर एक बयान जारी कर खुद को कई तरह की धमकियां मिलने का दावा किया है। धमकियों वाले कुछ सोशल मीडिया अकाउंट्स तो पाकिस्तान में सत्तारूढ़ तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी से जुड़े हैं। इस मामले पर पत्रकारों के अंतरराष्ट्रीय संगठन रिपोटर्स विदाउट बॉर्डर्स ने मामले की जांच की मांग की है।
Published: 13 Aug 2020, 7:10 PM IST
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Published: 13 Aug 2020, 7:10 PM IST