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मनरेगा को लेकर संसदीय समिति ने की बड़ी सिफारिश! 'बजट' पर कैंची चलाने वाली मोदी सरकार क्या इसे करेगी स्वीकार?

ग्रामीण विकास मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति ने रिपोर्ट में सरकार से सिफारिश की है कि मनरेगा के तहत मिलने वाले काम के कुल दिनों में बढ़ोतरी की जाए। काम के दिनों को वर्तमान के 100 दिनों से बढ़ाकर 150 दिन करने का समिति ने सुझाव दिया है।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

कांग्रेस की यूपीए सरकार ने अपने काल में जो ‘मनरेगा’ योजना लेकर आई थी वह कोरोना काल में गरीब मजदूरों के लिए संजीवनी की तरह साबित हुई। जब शहरों में फैक्ट्रियां बंद हो गईं और यह मजदूर पालयन कर अपने गांव पहुंचे तो इन्हें मनरेगा ने ही सहारा दिया ताकि वह दो जून की रोटी कमा सकें। अब संसद की स्थायी समिति ने मनरेगा के क्रियान्वयन की समीक्षा करने की सिफारिश की है। समिति के मुताबिक, बदलते माहौल में मनरेगा में बदलाव की जरूरत है। इसके साथ ही वर्तमान क्रियान्वयन की कुछ कमियों पर भी समिति ने चिंता जताई है।

Published: 09 Feb 2022, 10:46 AM IST

ग्रामीण विकास मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट संसद में मंगलवार को पेश की गई। इस रिपोर्ट में सरकार से सिफारिश की गई है कि मनरेगा के तहत मिलने वाले काम के कुल दिनों में बढ़ोतरी की जाए। काम के दिनों को वर्तमान के 100 दिनों से बढ़ाकर 150 दिन करने का समिति ने सुझाव दिया है। समिति का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में रहने वाले जरूरतमंद लोगों के लिए मनरेगा एक आखिरी उम्मीद है।

Published: 09 Feb 2022, 10:46 AM IST

इसके अलावा समिति ने मनरेगा के तहत मिलने वाली मजदूरी दर को पूरे देश में एक सामान करने को कहा है। समिति ने रिपोर्ट में अलग-अलग राज्यों में मनरेगा मजदूरी दर अलग अलग होने को समझ से परे बताया गया है।

Published: 09 Feb 2022, 10:46 AM IST

मनरेगा को लेकर मोदी सरकार नीति जग जाहिर है। केंद्र की मोदी सरकार ने इस बार के आम बजट 2022-23 में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून योजना का बजटीय आवंटन कम किया है। ग्रामीण क्षेत्र में बेरोजगारी की समस्या से निपटने और मांग बढ़ाने वाली इस योजना का बजट पहले से करीब चौथाई कम कर दिया है। मनरेगा योजना के लिए इस बार बजट में सिर्फ 73,000 करोड़ रुपये रखे गए हैं। यह चालू वित्त वर्ष के संशोधित बजट अनुमान 98,000 करोड़ रुपये से 25.51 फीसदी कम है।

इससे पहले केंद्र सरकार ने कोरोना काल में 2020 में इसी योजना के लिए 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च किया था, जिसने करीब 11 करोड़ ग्रामीण मजदूरों को मुश्किल समय में राहत दी थी। ऐसे में सवाल यह कि बजट पर कैंची चलाने वाली मोदी सरकार क्या संसदीय समिति की इस सिफारिश को मानेगी?

Published: 09 Feb 2022, 10:46 AM IST

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Published: 09 Feb 2022, 10:46 AM IST