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पूर्वोत्तर के लोग भारतीय हैं, चीनी नहीं, चकमा की हत्या के मामले में जल्द सजा मिलेः गौरव गोगोई

गौरव गोगोई ने कहा कि एंजेल चकमा के साथ हुई हिंसा में स्थानीय पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने में जितनी तत्परता दिखानी चाहिए थी, वो नहीं दिखाई गई। प्राथमिकी दर्ज करने में लगभग 12 दिन लग गए। इसमें 4 लोगों की गिरफ्तारी भी हुई है, लेकिन मुख्य व्यक्ति भाग गया।

पूर्वोत्तर के लोग भारतीय हैं, चीनी नहीं, चकमा की हत्या के मामले में जल्द सजा मिलेः गौरव गोगोई
पूर्वोत्तर के लोग भारतीय हैं, चीनी नहीं, चकमा की हत्या के मामले में जल्द सजा मिलेः गौरव गोगोई फोटोः वीडियोग्रैब

कांग्रेस ने देहरादून में त्रिपुरा के एक युवक की हत्या की घटना को लेकर सोमवार को उत्तराखंड पुलिस पर कार्रवाई में देरी करने का आरोप लगाया और कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि मामले का अदालत में त्वरित निपटारा हो, दोषियों को सजा मिले और मुख्य अभियुक्त को जल्द गिरफ्तार किया जाए।

असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और लोकसभा में कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई ने यह भी कहा कि इसकी भी जांच होनी चाहिए कि पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने में 12 दिन क्यों लगे? पश्चिम त्रिपुरा जिले के नंदननगर के 24 वर्षीय एंजेल चकमा ने नौ दिसंबर को देहरादून में जब नस्लीय टिप्पणी का विरोध किया, तब छह लोगों ने उस पर हमला किया था। इलाज के दौरान 26 दिसंबर को उसकी मौत हो गई।

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गौरव गोगोई ने चकमा की हत्या का मुद्दा उठाते हुए कहा, मैं भारतीय हूं, चीनी नहीं। नॉर्थ ईस्ट के लोग भारतीय हैं, चीनी नहीं। यही शब्द 9 दिसंबर को त्रिपुरा के 24 साल के युवक एंजेल चकमा को देहरादून में कहने पड़े। एक दिन जब एंजेल चकमा अपने भाई के साथ बाजार से वापस आ रहे थे। तभी हमेशा की तरह कुछ लोगों ने उसको छेड़ा और उसे चाइनीज कहा। उस दिन एंजेल ने जवाब देते हुए कहा- मैं भारतीय हूं, मैं चीनी नहीं हूं। मैं भारतीय होने का क्या प्रमाण दूं? एंजेल चकमा ने जब यह जवाब दिया तो 5 लोगों ने उसपर पीछे से वार कर हत्या कर दी। एंजेल 14 दिन तक जिंदगी के लिए लड़ा, लेकिन अफसोस की बात है कि वह अब हमारे बीच नहीं है।

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गौरव गोगोई ने कहा, ‘‘एंजेल चकमा के साथ हुई हिंसा में कुछ ऐसी जानकारियां आई हैं, जो बेहद चिंताजनक हैं। एंजेल चकमा के परिवार के सदस्यों ने कहा है कि स्थानीय पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने में जितनी तत्परता दिखानी चाहिए थी, वो नहीं दिखाई गई। प्राथमिकी दर्ज करने में लगभग 12 दिन लग गए। जब छात्रों ने प्रदर्शन किया, तब जाकर प्राथमिकी दर्ज की गई। इसमें 4 लोगों की गिरफ्तारी भी हुई है, लेकिन मुख्य व्यक्ति भाग गया।’’

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गोगोई ने कहा, नॉर्थ ईस्ट के लोग शिक्षा के लिए देश के अलग-अलग कोने में जाते हैं और एंजेल चकमा भी पढ़ाई के लिए उत्तराखंड गया था। एंजेल चकमा को शिक्षा तो मिली, लेकिन जान भी गंवानी पड़ी। क्या सरकार को ऐसे कदम उठाने चाहिए, ताकि लोग उनके खर्चे पर नॉर्थ ईस्ट जाएं। लोग एंजेल के गांव जाएं और देखें कि वहां कई पुराने शिव मंदिर हैं और काफी पुरानी संस्कृति है। लोग यह भी जानें कि असम की कनकलता बरुआ जी ने 'भारत छोड़ो आन्दोलन' के समय तिरंगा लहराते हुए बलिदान दे दिया। समाज में ऊंच-नीच के रुतबे को बदलने की जरूरत है और इसपर सरकार को विचार करना चाहिए।

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गोगोई ने कहा, ‘‘मोदी सरकार ‘वन इंडिया’ की बात तो करती है, लेकिन उसमें बस रही विविधताओं की बात नहीं करती। इस 'वन इंडिया' में कितनी भाषाएं हैं, कितने प्रदेश हैं, लोगों के चेहरे कितने अलग-अलग हैं, उसकी बात नहीं करती।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे में हम उम्मीद करते हैं कि एंजेल चकमा की हत्या का मामला जल्द से जल्द अदालत में जाएगा और दोषियों को कड़ी सजा मिलेगी। हम चाहते हैं कि जो व्यक्ति भाग गया है, उसे भी जल्दी पकड़ा जाए और ये जांच की जाए कि पुलिस ने प्राथमिकी करने में देर क्यों की?’’

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