बिहार में इस होली सियासी हलचल की सुगबुगाहट तेज है। दरअसल सत्ताधारी एनडीए में शामिल विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के संस्थापक और मंत्री मुकेश सहनी के हाल के बयानों के बाद यह कयास लगाया जाने लगा है कि राज्य की सियासत में कोई बड़ा उल्टफेर देखने को मिल सकता है। हालांकि इस मामले को लेकर कोई भी पार्टी खुलकर बोलने को तैयार नहीं है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़कर मात खा चुके मुकेश सहनी को लेकर जब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के कई नेताओं ने बयानबाजी प्रारंभ की, तब वीआईपी के नेताओं ने भी पलटवार शुरू कर दिया। वैसे, यूपी चुनाव में सहनी भी बीजेपी को लेकर काफी आक्रामक रहे थे। यूपी चुनाव में मुकेश सहनी ने पीएम मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ पर जमकर निशाना साधा था, जबकि बिहार के सीएम नीतीश कुमार और राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद की तारीफ के पुल बांधते रहे थे।
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हाल के दिनों में गौर करें तो बीजेपी को लेकर उनकी आक्रामकता में कमी जरूर आई है, लेकिन लालू प्रसाद और नीतीश कुमार की प्रशंसा से वे चूक नहीं रहे हैं। सहनी के बयानों से साफ है कि बीजेपी के द्वारा कोई कठोर कदम उठाए जाने की आशंका के कारण वे अपनी राजनीति के लिए नए सहारे की तलाश में हैं। वे जेडीयू और आरजेडी से नजदीकी बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।
मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी ने बिहार विधान परिषद चुनाव में स्थानीय निकाय कोटे की सीटों के लिए हो रहे चुनाव में कई बीजेपी प्रत्याशियों के खिलाफ अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं जबकि जेडीयू की उम्मीदवारी वाली सीटों पर समर्थन देने की घोषणा कर रखी है। वीआईपी ने हालांकि बीजेपी के तीन उम्मीदवारों को समर्थन देने की बात भी कही है।
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इस बीच, सहनी ने दो दिन पूर्व आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को राज्य का मुख्यमंत्री बनने का ऑफर दे दिया। वीआइपी के विधान परिषद प्रत्याशी के समर्थन में सहरसा पहुंचे मुकेश सहनी ने कहा कि वे चाहते हैं कि बिहार में पिछड़ा-दलित का बेटा राज करे। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव चाहते हैं कि केवल वही सीएम बनें, कोई और नहीं। मेरी और उनकी सोच में जब तक यह फर्क रहेगा, हम दूर रहेंगे। जिस दिन वे चाहेंगे कि ढाई साल का सीएम वे बनते हैं और ढाई साल निषाद या पिछड़ा का बेटा सीएम बने तो हम साथ आ जाएंगे। इस दौरान उन्होंने लालू प्रसाद की तारीफ करते हुए कहा कि वे मेरे दिल में बसते हैं।
मुकेश सहनी की पार्टी में फिलहाल तीन विधायक और एक विधान परिषद (खुद) की सीट है। सहनी की एमएलसी सीट का कार्यकाल कुछ ही सप्ताह में समाप्त होने वाला है। इधर, माना जा रहा है कि वीआईपी के विधायक बीजेपी के साथ जा सकते हैं। हालांकि, सहनी सरकार को लेकर कोई भी टिप्पणी करने से बचते हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में राजग की सरकार बिहार में मजूबती से चल रही है और आगे भी चलेगी। उन्होंने किसी मनमुटाव से इंकार करते हुए कहा कि चार दलों के समर्थन से यह सरकार चल रही है।
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वैसे, बोचहां विधानसभा सीट को लेकर भी भाजपा और वीआईपी में पेंच फंसा हुआ है। दोनों पार्टियां इस सीट पर अपने प्रत्याशी उतारने की बात कह रही हैं। इधर, वीआईपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता देव ज्योति कहते हैं कि बोचहां सीट पर उपचुनाव वीआईपी के विधायक मुसाफिर पासवान के निधन के कारण हो रहा है, इस कारण वीआईपी का दावा बनता है। उन्होंने कहा कि वीआईपी यहां से चुनाव लड़ेगी।
बहरहाल, गौर करें तो तय है कि सहनी न केवल आरजेडी और जेडीयू से रिश्ते सुधारकर उनके नजदीक जाने की कोशिश में जुटे हैं बल्कि बीजेपी से भी पुराने गिलेशिकवे को भूल उससे रिश्ते सुधारने के प्रयास में दिख रहे है। वैसे, राजनीति में कुछ भी कहना जल्दबाजी है, अब देखना होगा कि सहनी अपनी रणनीति में कितना कामयाब हो पाते हैं।
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