कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने मंगलवार को दिल्ली में एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि देश में एक साथ चुनाव (वन नेशन, वन इलेक्शन) के प्रस्ताव में कोई तथ्य नहीं है और केंद्र की बड़बोली और हंगामा करने करने वाली सरकार का यह नया शिगूफा है। कांग्रेस ने इसी आरोप के साथ प्रधानमंत्री के देश में एक साथ चुनाव कराने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इरादे ठीक नहीं है। उनका यह विचार संविधान के लिए जहर बुझे तीर जैसा है। यह वैधानिक रूप से अनुचित है और लोकतंत्र के खिलाफ है।
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कांग्रेस प्रवक्ता ने इसे पूरे देश को बरगलाने वाला कदम बताया। उन्होंने सवाल पूछते हुए कहा कि केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ कभी भी अविश्वास प्रस्ताव लाने का विकल्प है। इस अविश्वास प्रस्ताव को सरकार के गठन होने के बाद कभी भी लाया जा सकता है और चुनी सरकार को सत्ता से बेदखल किया जा सकता है? यही लोकतंत्र की खूबी है। क्या सरकार इस तरह की व्यवस्था के पक्ष में नहीं है।
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उन्होंने कहा कि इसी तरह से लंबे समय देश के किसी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाना कहां तक उचित है? इस देश में 15 साल तक एक साथ चुनाव हुए, लेकिन उसके बाद कई राज्य सरकारें अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई। वहां वैधानिक परंपरा के अनुरुप जल्द ही चुनाव कराए गए। चुनी सरकार को पांच साल का कार्य करने का समय मिला। हमारे संविधान निर्माताओं ने भी संभवत: इन स्थितियों को भांपकर ही एक साथ चुनाव के बारे में नहीं सोचा। ऐसे में यह सरकार का यह विचार समझ से परे हैं।
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