पंजाब के अमृतसर में वारिस पंजाब डे के प्रमुख और खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह और उसके समर्थकों द्वारा पुलिस परिसर में जमकर बवाल काटने के एक दिन बाद आज उसके सहयोगी लवप्रीत तूफान को पुलिस के आवेदन पर कोर्ट के आदेश के बाद जेल से रिहा कर दिया गया। इस पूरे घटनाक्रम से सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि क्या पंजाब पुलिस ने कट्टरपंथी अमृतपाल सिंह के सामने घुटने टेक दिए हैं और क्या पंजाब में एक बार फिर कट्टरपंथ और हिंसा की वापसी होने वाली है?
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कट्टरपंथी अमृतपाल सिंह का सहयोगी लवप्रीत सिंह तूफान, जिस पर अपहरण समेत अन्य जघन्य अपराध के आरोप हैं, शुक्रवार को पुलिस के आवेदन के आधार पर अदालत द्वारा रिहाई के आदेश दिए जाने के कुछ घंटों बाद जेल से बाहर आ गया। उसके जेल से बाहर आऩे पर उसके समर्थकों ने उसका भव्य स्वागत किया। पुलिस ने कल अजनाला में हुए हंगामे के बाद वादा किया था कि साक्ष्य के आधार पर पुलिस लवप्रीत को छोड़ने की कार्रवाई करेगी। उसी के तहत आज लवप्रीत बाहर आ गया है।
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पंजाब के डीजीपी गौरव यादव ने इस मामले पर कहा कि उन्होंने स्थानीय पुलिस से संपर्क किया था और प्राथमिकी की सत्यता पर संदेह जताया था। उन्हें निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया गया था। जहां तक कल की घटना की बात है तो उचित कार्रवाई की जाएगी। वीडियो फुटेज का विश्लेषण किया जा रहा है। उन्होंने कहा था कि वे शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करना चाहते हैं। लोकतांत्रिक परंपराओं को ध्यान में रखते हुए शांतिपूर्ण विरोध की अनुमति दी गई। गुरु ग्रंथ साहिब की मर्यादा बनाए रखने के लिए पुलिस ने बेहद संयम से काम लिया। इसकी आड़ में पुलिस पर हमला करना कायरता का काम था।
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दरअसल लवप्रीत की रिहाई अमृतपाल सिंह के समर्थकों द्वारा हंगामा करने के एक दिन बाद हुई है। अमृतपाल सिंह और उसके समर्थकों के खिलाफ कथित अपहरण और पिटाई के आरोप में केस दर्ज किया गया था। इसी मामले में लवप्रीत तूफान को गिरफ्तार किया गया था। इसी के विरोध में गुरुवार को अजनाला में अमृतपाल के समर्थक बड़ी संख्या में तलवार और अन्य हथियार लिए पुलिस थाने में घुस गए और जवानों से भिड़ गए। इस झड़प में छह पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
थाने में घुसे अमृतपाल और उसके समर्थकों ने पुलिस को 24 घंटे का अल्टीमेटम देते हुए चेतावनी दी थी कि अगर उससे पहले तूफान को नहीं छोड़ा गया तो अंजाम बुरा होगा। इसके बाद तनाव कम करने के लिए पुलिस अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों से कई दौर की बातचीत की। इसके बाद कमिश्नर जसकरन सिंह ने कहा था कि उन्होंने लवप्रीत तूफान के निर्दोष होने के पर्याप्त सबूत दिए हैं। एसआईटी (विशेष जांच दल) ने इसका संज्ञान लिया है। ये लोग अब शांतिपूर्वक तितर-बितर हो गए हैं और कानून अपना काम करेगा।
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बता दें कि अमृतपाल सिंह दुबई से लौटने के बाद तब सुर्खियों में आया था जब हाल ही में उसने खालिस्तान के मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जैसा हश्र होने की खुली धमकी दे डाली थी। वारिस पंजाब डे कट्टरपंथियों का एक संगठन है जिसकी स्थापना एक्टिविस्ट दीप सिद्धू ने की थी, जिसकी पिछले साल फरवरी में एक सड़क हादसे में मौत हो गई थी। उसकी मौत के बाद अमृतपाल ने संगठन की कमान संभाला है।
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