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उत्तराखंड में देवदार का मामला सोशल मीडिया पर कर रहा ट्रेंड, पेड़ों के लाल निशान हो गए काले, जानें क्यों

विरोध प्रदर्शन के बाद सड़क किनारे लगे देवदार के पेड़ों को काटने का फैसला बदलना पड़ा। इतना ही नहीं लोनिवि ने जिन पेड़ों में कुछ दिन पूर्व ही लाल निशान लगाए थे,उन्हें काला कर दिया है।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

उत्तराखंड के जागेश्वर धाम तक जाने वाली सड़क को चौड़ा करने के लिए देवदार के पेड़ों को काटने की तैयारी चल रही है। इसके लिए बीते दिनों लोनिवि ने सर्वे के दौरान सड़क किनारे चौड़ीकरण की जद में आ रहे पेड़ों पर लाल निशान लगा दिए थे। इसकी राज्य भर में चर्चा है। लोग देवदार के पेड़ काटने के खिलाफ खड़े हो गए थे। यह मामला सोशल मीडिया पर भी खुच चर्चा में है।

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पत्रिका की खबर के मुताबिक जागेश्वर में आरतोला से जागेश्वर तक सड़क चौड़ीकरण के लिए लोनिवि ने कुछ दिन पूर्व ही करीब एक हजार देवदार पेड़ों पर लाल निशान लगाए थे। इसके बाद स्थानीय लोग सरकार के खिलाफ खड़े हो गए। विरोध प्रदर्शन भी हुआ। लोगों ने इस मामले में स्थानीय अधिकारियों से लेकर कुमाऊं कमिश्नर तक को भी ज्ञापन दिए।

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बता दें कि जागेश्वर धाम में भगवान शंकर की अष्टम ज्योर्तिलिंग के रूप में पूजा होती है। पुराणों में दारुक वन यानी देवदार बन में ही आठवां ज्योर्तिंलिंग होने की बात लिखी है। लिहाजा जागेश्वर के दारुक वन का भी काफी धार्मिक महत्व है। इसको देखते हुए यहां के लोगों का देवदार के पेड़ों से काफी लगाव है। लोगों ने एक नए चिपको आंदोलन की तैयारी तक कर दी थी। सोशल मीडिया पर भी यह मामला काफी तूल पकड़ लिया था। जिसके बाद सरकार को अपना निर्णय बदलना पड़ा।

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विरोध प्रदर्शन के बाद सड़क किनारे लगे देवदार के पेड़ों को काटने का फैसला बदलना पड़ा। इतना ही नहीं लोनिवि ने जिन पेड़ों में कुछ दिन पूर्व ही लाल निशान लगाए थे,उन्हें काला कर दिया है।

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