कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन का असर अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, एशिया और यूरोप समेत करीब 100 देशों पर दिखाई पड़ रहा है। अमेरिका की वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट फॉर हैल्थ मीट्रिक्स एंड इवैल्युएशन (आईएचएमई) का अनुमान है कि अगले दो महीने में इससे संक्रमित लोगों की संख्या तीनअरब के ऊपर पहुंच जाएगी, यानी दुनिया की आधी आबादी से कुछ कम। यह संख्या पिछले दो साल में संक्रमित लोगों की संख्या से कई गुना ज्यादा होगी।
पता नहीं, ऐसा होगा या नहीं, पर सामान्य व्यक्ति के मन में इससे डर पैदा होता है। खतरा इतना बड़ा है, तो वैश्विक आवागमन को फौरन क्यों नहीं रोका जा रहा है? इस दौरान दो तरह की बातें सामने आ रही हैं। विशेषज्ञों का एक वर्ग कह रहा है कि ओमिक्रॉन का दुष्प्रभाव इतना कम है कि बहुत से लोगों को पता भी नहीं लगेगा कि वे बीमार हुए थे। कुछ अन्य विशेषज्ञों का मानना है कि इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए।
वैक्सीन कंपनियां भी अपने टीकों में बदलाव कर रही हैं लेकिन वितरण में असमानता बदस्तूर है। कोविड-19 का सबक है कि महामारी जितनी देर टिकेगी, उतने म्यूटेंशंस-वेरिएशंस होंगे। वैक्सिनेशन में देरी का मतलब है म्यूटेशंस बढ़ते जाना। इसमें दो राय नहीं कि ओमिक्रॉन का संक्रमण बहुत तेज है। ब्रिटेनमें हर दो दिन में इसके केस दुगने हो रहे हैं। इसका आर-रेट 3.5 है।
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विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि इस वेरिएंट के खतरे के बारे में निश्चित रूप से कुछ कहने के लिए पर्याप्त डेटा अभी उपलब्ध नहीं है। इसे ध्यान में रखना चाहिए कि संक्रमण के 17 से 21 दिन के बाद मौत का अंदेशा होता है। संक्रमण का खतरा दो-तीन हफ्ते बाद ही दिखाई पड़ेगा। चिंता की बात यह है कि यह वेरिएंट हाल में वैक्सीन या संक्रमण से पैदा हुई इम्यूनिटी भेदने में सफल हुआ है। मतलब इसे बढ़ने से रोकने के लिए प्रतिबंधों की जरूरत होगी। इस वेरिएंट के जेनेटिक मूल के अध्ययन में दुनिया के वैज्ञानिक जुटे हैं। पता लगाना जरूरी है कि इसका अगला रूप कैसा होगा। खतरनाक होगा या नहीं। चीन से 2019 में अपनी विश्व-यात्रा पर निकले सार्स-को वी-2 वायरस के अब तक करीब 50 म्यूटेंट सामने आ चुके हैं। वायरस का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष है उसका स्पाइक प्रोटीन जो कोशिकाओं के संपर्क में आता है। वहीं से इम्यून सिस्टम पर उसका हमला होता है। ओमिक्रॉन के स्पाइक प्रोटीन के 36 म्यूटेशंस हैं। इसकी तुलना में अल्फा में 10, गामा में 12 और डेल्टा में नौ। इसके दूसरे अंग भी महत्वपूर्ण हैं और वैज्ञानिक इसके अध्ययन में जुटे हैं।
भारत में राष्ट्रीय कोविड-19 सुपर मॉडल कमेटी (सूत्र) का अनुमान है कि हमारे यहां फरवरी मध्य में इसकी पीक होगी। बावजूद इसके इस लहर में अस्पताल में भरती होने वालों की संख्या पिछली लहर की तुलना में 90 से 96 फीसदी कम होगी। संक्रमण से होने वाली मौतों की संख्या भी अभी काफी कम है। देश के 19 राज्यों में ओमिक्रॉन पहुंच गया है। यूरोप की खबरें सुनकर दहशत बढ़ रही है। छह राज्यों ने नाइट कर्फ्यू की घोषणा कर दी है। केन्द्र सरकार ने कोविड-19 दिशा-निर्देश की अवधि 31 जनवरी तक बढ़ा दी है।
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ओमिक्रॉन का सर्वाधिक प्रभाव यूरोप पर है। 27 दिसंबर तक की रिपोर्टों के अनुसार, फ्रांस और ब्रिटेन में रोज एक लाख या उससे भी ज्यादा नए मामले आ रहे हैं। एक हफ्ते में पेरिस में औसतन प्रति 100 टेस्ट में एक व्यक्ति संक्रमित पाया गया है। कोविड-19 से हुई मौतों में सर्वाधिक यूरोप में 53 फीसदी। अमेरिका और कनाडा से 22 फीसदी।
डेनमार्क और आइसलैंड जैसे देशों में भी रिकॉर्ड संख्या में केस दर्ज किए जा रहे हैं। डेनमार्क की आबादी 58 लाख है। वहां हर रोज करीब 18,000 केस आ रहे हैं। बेल्जियम में सिनेमाघर और कंसर्ट हॉल बंद कर दिए गए हैं। यूरोप में नीदरलैंड्स में सबसे ज्यादा पाबंदियां हैं। सभी गैर-जरूरी स्टोर, रेस्तरां और बार बंद कर दिए गए हैं। स्कूलों की छुट्टियां बढ़ा दी गई हैं। ब्रिटेन में घर-घर जाकर वैक्सीन देने के सुझाव दिए जा रहे हैं, पर नेशनल हेल्थ सर्विस ने फिलहाल इससे इंकार किया है।
वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट फॉर हैल्थ मीट्रिक्स एंड इवैल्युएशन (आईएचएमई) का अनुमान है मध्य जनवरी में इसका वैश्विक पीक संभव है जब दुनिया में हर रोज करीब साढ़े तीन करोड़ संक्रमण होने लगेंगे। अगले दो महीनों में अमेरिका में ही 18 करोड़ नए संक्रमण हो सकते हैं।
इनके गणितीय मॉडल के अनुसार, जनवरी के अंत तक हर रोज 28 लाख नए संक्रमण होने लगेंगे। उनका यह भी कहना है कि इनमें से करीब चार लाख मामलों को ही रिपोर्ट किया जाएगा क्योंकि काफी लोगों को संक्रमण के बावजूद उन्हें बीमारी महसूस नहीं होगी और वे टेस्ट नहीं कराएंगे। आईएचएमई के डायरेक्टर क्रिस मरे का कहना है, हम समझते थे कि कोविड-19 आम फ्लू के मुकाबले दस गुना ज्यादा खतरनाक है। अब लगता है कि यह आम फ्लू का दशमांश है, पर संक्रमण में दस गुना ज्यादा तेज।
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आईएचएमई का कहना है कि मास्कके इस्तेमाल से 80 फीसदी तक खतरा कम हो सकता है। वैक्सीन की बूस्टर डोज भी मददगार होगी। जिन्हें टीका नहीं लगा है या जो संक्रमित नहीं हुए हैं, खतरा उन पर है। माना जा रहा था कि चीन में कोरोना का प्रभाव कम हो गया है, पर वहां फिर संक्रमण बढ़ने लगा है। अलबत्ता नए मामले ओमिक्रॉन के नहीं हैं। ज्यादातर संक्रमण पश्चिमोत्तर के शहर शियान में हुए हैं। 26 दिसंबर को शहर में 150 नए मामले और एक दिन पहले 155 मामले सामने आए। इस शहर में आने-जाने पर काफी पाबंदियां हैं, फिर भी संक्रमण में तेजी है।
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