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शाहीन बाग प्रदर्शनकारियों से दूसरे दौर की वार्ता, रामचंद्रन बोलीं- शाहीन बाग बरकरार है और रहेगा

सीएए के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग में पिछले दो महीने से विरोध प्रदर्शन जारी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गुरुवार को फिर वार्ताकार प्रदर्शनकारियों से बात करने पहुंचे। इस दौरान उन्होंने कहा कि शाहीन बरकरार है और रहेगा।

फोटो: ऐशलिन मैथ्यू
फोटो: ऐशलिन मैथ्यू 

सुप्रीम कोर्ट द्वारा मध्यस्थता के लिए नियुक्त किए गए वार्ताकार आज फिर शाहीन बाग पहुंचे। इस दौरान उन्होंने फिर से शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों से बातचीत की। वार्ताकार साधना रामचंद्रन ने कहा कि हमने आपसे वादा किया था कि हम आज आएंगे क्योंकि आप लोगों ने अनुरोध किया था। लेकि आज हमें कुछ मामलों के बारे में सावधानी से सोचना और बोलना होगा।

Published: 20 Feb 2020, 5:01 PM IST

उन्होंने आगे कहा, “हम सब मिलजुलकर इसका हल निकालेंगे। शाहीन बरकरार है और रहेगा, आप से प्रदर्शन का अधिकार कोई छीन नहीं सकता है। भारत में अगर आपके जैसी महिलाएं हैं, तो देश सुरक्षित हाथों में है।”

Published: 20 Feb 2020, 5:01 PM IST

उन्होंने आगे कहा, “हम समझ गए हैं कि आपकी मांगें क्या हैं। सीएए और एनआरसी का मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में है। जल्द ही इस पर सुनवाई होगी। अब हम यह नहीं कह सकते कि मामले का क्या होगा।”

Published: 20 Feb 2020, 5:01 PM IST

इस दौरान वार्ताकार संजय हेगड़े ने कहा कि आप लोगों को यही डर है न कि अगर आप इस जगह को छोड़ते हैं तो आपकी कोई सुनवाई नहीं करेगा। आपकी बात रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट में बड़े-बड़े वकील हैं, जो आपकी बात को मजबूती से रखेंगे।

संजय हेगड़े ने आगे कहा, “प्रदर्शन से किसी को परेशानी नहीं होनी चाहिए। हम चाहते हैं कि शाहीन बाग का प्रदर्शन देश के लिए मिसाल हो। जब तक सुप्रीम कोर्ट है आपकी बात सुनी जाएगी। आप पिछले 2 महीनों से बैठे हुए हैं, हम भारत में एक साथ रहते हैं ताकि दूसरों को असुविधा न हो।”

Published: 20 Feb 2020, 5:01 PM IST

वार्ताकारों से बातचीत के दौरान एक महिला प्रदर्शनकारी ने कहा, “यहां पर बहुत सारे ऐसे लोग हैं, जो हिंदू और मुस्लिम हैं। चुनाव से पहले हमारे बारे में फर्जी खबरें फैलाई गईं। हमारी स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने की कोशिश की गई। हम यहा पर दो महीने से यहां पर हैं। क्या सरकार में किसी ने भी हमारी आवाज सुनी। क्या सुप्रीम कोर्ट ने नहीं देखा कैसे जामिया के छात्रों को पीटा गया।”

प्रदर्शनकारी महिला ने आगे कहा, “हम यहां बैठने को मजबूर हैं क्योंकि यह हमारे अधिकारों का सवाल है। डिटेंशन कैंप बनाए जा रहे हैं और यह हमारी बहनों और भाइयों के लिए बनाया जा रहा है। ऐसी नाइंसाफी हो रही है।”

Published: 20 Feb 2020, 5:01 PM IST

उन्होंने आगे कहा, “इसी तरह का विरोध प्रदर्शन जेपी आंदोलन और अन्ना आनंदोलन में किया गया था। लेकिन क्या किसी ने विरोध करने के अधिकार पर भी सवाल उठाया या मामला दर्ज किया? यह आंदोलन पर हिंदुस्तान के लिए है। पीएम को सीएए को खारिज कर देना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि हर कोई इसके अधीन है। हम एनपीआर के साथ भी ठीक हैं, अगर यह उसी तर्ज पर किया जाए जैसा 10 साल या 15 साल पहले किया गया था। प्रदर्शनकारियों ने कहा, “हम पीएम से मिलने और उन्हें गले लगाने के लिए तैयार हैं लेकिन उन्हें आने के लिए तैयार होना होगा।”

वाताकारों से बात करते हुए एक प्रदर्शनकारी रोने लगा। उसने कहा कि मैडम हम हिंदुस्तानी हैं और देश के प्रधानमंत्री को समझना चाहिए। प्रदर्शनकारी ने कहा कि प्रधानमंत्री हमारे बच्चों को कहां ले जाना चाहते हैं। प्रदर्शनकारी ने कहा कि हमें हिंदुस्तानी होने पर गर्व है, लेकिन जो मुश्किल हमारे सामने खड़ी की गई है, उसका रास्ता निकाला जाना चाहिए।

इस दौरान एक बार फिर वार्ताकारों ने मीडिया को जाने के लिए कहा। रामचंद्रन ने कहा कि मैं यह देख रही हूं कि कुछ मीडिया कर्मी बोल रहे हैं कि ऐसे कीजिए वैसे कीजिए। जो भी मीडिया कर्मी यहां मौजूद हैं वह यहां से चले जाएं।

Published: 20 Feb 2020, 5:01 PM IST

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Published: 20 Feb 2020, 5:01 PM IST