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प्रदर्शन से एक दिन पहले पंजाब में कई एसकेएम नेताओं को ‘घर में नजरबंद’ किया गया: किसान नेता ने पुलिस पर लगाए ये आरोप

किसान नेताओं ने दावा किया कि पंजाब पुलिस के जवान उन्हें हिरासत में लेने के लिए सुबह-सुबह उनके घर पहुंच गए। उन्होंने कहा कि पुलिस उन्हें मंगलवार के प्रदर्शन के लिए लोगों को जुटाने से रोकना चाहती थी।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

किसान नेताओं ने दावा किया है कि जगजीत सिंह डल्लेवाल समेत संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) (गैर-राजनीतिक) के कई नेताओं को शंभू थाने के बाहर उनके पूर्वनिर्धारित प्रदर्शन से पहले सोमवार को पंजाब सरकार ने नजरबंद कर दिया।

मार्च में शंभू और खनौरी बॉर्डर पर प्रदर्शन स्थलों से प्रदर्शनकारी किसानों को हटाने के लिए सरकार के कथित दमनकारी तरीकों के इस्तेमाल के विरोध में छह मई को पंजाब सरकार के खिलाफ प्रदर्शन का आह्वान किया गया था।

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किसान नेताओं ने दावा किया कि पंजाब पुलिस के जवान उन्हें हिरासत में लेने के लिए सुबह-सुबह उनके घर पहुंच गए। उन्होंने कहा कि पुलिस उन्हें मंगलवार के प्रदर्शन के लिए लोगों को जुटाने से रोकना चाहती थी।

एक किसान नेता ने कहा, ‘‘डल्लेवाल को फरीदकोट जिले में उनके घर पर सुबह करीब चार बजे नजरबंद कर दिया गया।’’ किसान नेताओं ने कहा कि राज्य के विभिन्न जिलों में कई अन्य किसान नेताओं को भी इसी तरह की परेशानी का सामना करना पड़ा। हिरासत में लिए गए लोगों में मंजीत सिंह राय और दविंदर सिंह शामिल हैं।

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किसान संगठन ने हाल में राज्य सरकार द्वारा मार्च में उनके प्रदर्शन मोर्चों से उन्हें हटाने के लिए दमनकारी तरीकों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाते हुए मंगलवार को शंभू थाने के बाहर प्रदर्शन करने की घोषणा की थी और उन लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की भी मांग की थी जिन्होंने प्रदर्शनकारियों को हटाए जाने के बाद उनका काफी सामान चुरा लिया था।

नजरबंदी के बाद कथित तौर पर डल्लेवाल ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो अपलोड किया। डल्लेवाल ने अप्रैल में अपना लंबा अनशन समाप्त किया था।

डल्लेवाल ने कहा, ‘‘मैं अब भी कमजोर हूं और अब भी मैं मुश्किल से चल पाता हूं। फिर भी, उन्होंने मुझे मेरे घर तक ही सीमित कर दिया है।’’

उन्होंने कहा कि उन्होंने शंभू थाने के बाहर एक दिन के शांतिपूर्ण प्रदर्शन की घोषणा की थी, लेकिन सरकार ‘‘डर गई’’ और उन्हें इकट्ठा नहीं होने दे रही है।

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डल्लेवाल ने कहा, ‘‘दोषियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करने के बजाय पुलिस ने उन लोगों के खिलाफ मामले दर्ज करना शुरू कर दिया जो किसानों के लापता सामान का पता लगाने में सहायता कर रहे थे... जब हमने छह मई को प्रदर्शन का आह्वान किया, तो सरकार इतनी डर गई कि उसने हमें इकट्ठा नहीं होने देने का फैसला किया।’’

पंजाब पुलिस ने 19 मार्च को आंदोलनकारी किसानों पर कार्रवाई की थी और उनके नेताओं को उस वक्त मोहाली में हिरासत में ले लिया था जब वे चंडीगढ़ में कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में एक केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक से लौट रहे थे।

हिरासत में लिए गए किसान नेताओं और कुछ अन्य किसानों को बाद में रिहा कर दिया गया था। बैठक का आयोजन किसानों की मांगों पर चर्चा करने के लिए किया गया था, जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी भी शामिल है।

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पंजाब पुलिस ने शंभू और खनौरी बॉर्डर से किसानों को हटा दिया था और उनके अस्थायी ढांचों को ध्वस्त कर दिया था, जहां वे एक साल से अधिक समय से धरना दे रहे थे।

डल्लेवाल संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के संयुक्त मंच के वरिष्ठ नेता हैं, जिन्होंने अपनी विभिन्न मांगों के समर्थन में शंभू और खनौरी बॉर्डर पर आंदोलन का नेतृत्व किया था।

डल्लेवाल ने किसानों की मांगों को स्वीकार करने के लिए केंद्र पर दबाव बनाने के मकसद से पिछले साल 26 नवंबर को आमरण अनशन शुरू किया था।

पंजाब पुलिस द्वारा आंदोलनकारी किसानों पर कार्रवाई करने के बाद उन्होंने अप्रैल की शुरुआत में अपना आमरण अनशन समाप्त कर दिया था।

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