राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) नेता तेजस्वी यादव ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया के खिलाफ याचिकाओं पर गुरुवार को आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने बीजेपी, उसके सहयोगियों और लोगों को मताधिकार से वंचित करने की उनकी नापाक साजिश का पर्दाफाश कर दिया है। तेजस्वी ने राज्य में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का एकजुट होकर विरोध करने के लिए विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के नेताओं- राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, ममता बनर्जी, हेमंत सोरेन और शरद पवार का आभार भी जताया।
बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी ने पटना में संवाददाताओं से बातचीत में कहा, “बिहार में एसआईआर को लेकर शीर्ष अदालत के आज के अंतरिम आदेश ने बीजेपी, उसके सहयोगियों और लोगों को मताधिकार से वंचित करने की उनकी नापाक साजिश का पर्दाफाश कर दिया है। हमारी लड़ाई जारी रहेगी और हम एसआईआर की प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों पर नजर रखेंगे।”
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तेजस्वी यादव ने कहा कि एसआईआर के संबंध में, हम सभी विपक्षी दलों ने संसद से लेकर विधानसभा तक, सड़कों पर या किसी भी मंच पर इस लड़ाई को लड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी। आज सुप्रीम कोर्ट के आए अंतरिम फैसले के बाद, यह स्पष्ट है कि लोकतंत्र की जीत हुई है। एसआईआर प्रक्रिया को लेकर हमारी जो मांगें थीं, उन्हें आज सुप्रीम कोर्ट ने लागू कर दिया है, और उन मांगों पर अपनी मुहर लगा दी है।
तेजस्वी ने कहा कि हम शुरू से ही एसआईआर का विरोध नहीं कर रहे थे, बल्कि उस प्रक्रिया और उस जानकारी का विरोध कर रहे थे जिसे चुनाव आयोग छिपाने की कोशिश कर रहा था, जो हमारे विरोध का आधार था। आज यह आदेश दिया गया है कि आधार कार्ड को मान्यता दी जाएगी। इसके अतिरिक्त, जिन 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाए गए थे, उनकी सूची बूथ स्तर पर कारण सहित प्रदर्शित की जाएगी। तीसरा, लोगों को इसकी जानकारी देने के लिए विज्ञापन जारी किए जाएंगे।
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बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया कि वह बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए मसौदा मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख मतदाताओं का विवरण प्रकाशित करे और साथ ही उन्हें शामिल न करने के कारण भी बताए। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने बिहार में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण कराने के निर्वाचन आयोग के 24 जून के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश भी दिया कि इसमें आधार को मान्यता दी जाए और लोगों को प्रक्रिया की जानकारी देने के लिए विज्ञापन जारी किए जाएं।
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इससे पहले आज दिन में बिहार में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर सवाल उठाते हुए कहा कि चुनाव आयोग बीजेपी की बी टीम की तरह काम कर रही है। उन्होंने कहा, "एनडीए के जितने भी बड़े-बड़े नेता हैं, चाहे सांसद हों, विधायक हों, मेयर हों या उप मुख्यमंत्री हों, सबके दो-दो इपिक नंबर मिल रहे हैं। ये सभी अलग-अलग लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों में इपिक कार्ड बना रखे हैं। समझा जा सकता है कि एसआईआर में कितना बड़ा फर्जीवाड़ा बिहार में हो रहा है।" उन्होंने कहा कि जब 'माननीय' लोगों की यह स्थिति है तो ऐसे कितने उदाहरण होंगे जिनके नाम काटे गए। जीवित को मृत और मृत को जीवित बता दिया गया। यही कारण है कि चुनाव आयोग पूरे डाटा को छिपाने का काम कर रही है। बीजेपी की मिलीभगत से यह काम किया जा रहा है।
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इससे पहले तेजस्वी यादव ने जेडीयू के वरिष्ठ नेता और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी माने जाने वाले विधान पार्षद (एमएलसी) दिनेश सिंह और उनकी पत्नी और वैशाली से सांसद वीणा देवी के पास भी दो अलग-अलग एपिक आईडी होने का आरोप लगाया था। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या यह चुनाव आयोग द्वारा एनडीए को फायदा पहुंचाने के लिए की गई चुनावी धांधली नहीं है? नेता प्रतिपक्ष ने चुनाव आयोग से मांग की कि वह एसआईआर में की जा रही गड़बड़ियों और गलतियों को स्वीकार करे। इसके साथ ही उन्होंने आयोग से मांग की है कि वह दिनेश सिंह के खिलाफ दोनों स्थानों से अलग-अलग नोटिस जारी करे। इसके बाद मुजफ्फरपुर निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी ने जेडीयू के विधान पार्षद दिनेश प्रसाद सिंह और एलजेपी (रामविलास) की सांसद वीणा देवी को नोटिस भेजा है। नोटिस में 16 अगस्त तक जवाब देने का निर्देश दिया गया है।
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