बिहार में 52 लाख मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटने पर RJD नेता तेजस्वी यादव ने कहा, "कल चुनाव आयोग के प्रेस नोट में हमने देखा है कि 52 लाख के करीब लोग अनुपस्थित पाए गए हैं। हम इस पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं। BLO खुद ही दस्तखत कर खुद ही अपलोड कर रहे हैं तो पारदर्शिता का पालन कहीं नहीं किया गया। ये केवल आंकड़ा बताने की औपचारिकता पूरी की जा रही है। बहुत लोगों के पास कागज नहीं है... लोगों के मन में डर है कि नाम कटने से सरकारी स्कीम का लाभ नहीं ले पाएंगे... पहले वोटर सरकार को चुनते थे अब सरकार वोटर को चुन रही है।"
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तेजस्वी यादव ने कहा कि आज प्रेस वार्ता में हमने तथ्यों, तर्कों और आंकड़ों के साथ चुनाव आयोग से कुछ सवाल करते हुए कहा कि मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान की आड़ में बीजेपी और चुनाव आयोग मिलकर लोकतंत्र की सफाई नहीं, विपक्षी मतदाताओं की सफाई कर रहे है।
भारत निर्वाचन आयोग द्वारा कल जारी प्रेस विज्ञप्ति ने हमारे पहले से व्यक्त किए गए आशंकाओं को और गहरा कर दिया है।
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प्रश्न-1 : 18,66,869 मृत मतदाताओं के नाम हटाए गए?
25 जनवरी 2025 को जब summery रिवीजन के बाद आपने पूरी वोटर लिस्ट अपडेट की थी जब ये 18 लाख मृत मतदाता आपको नहीं मिले थे? क्यों नहीं मिले थे? किसका दोष है ये? और अब बिना भौतिक सत्यापन किए, BLO के बिना किसी के घर जाए आप गिना रहे है कि 18 लाख 66 हज़ार 8 सौ उनहतर लोग मर गए है। मतलब 25 जनवरी से 24 जून तक 18 लाख 66 हज़ार 8 सौ 69 लोग मर गए? हम पूछना चाहते हैं कि इन मृतकों को पिछले वर्षों में मतदाता सूची में क्यों बनाए रखा गया था? क्या इससे पहले निर्वाचन आयोग सो रहा था? और अब अचानक चुनाव से पहले इन्हें हटाना कैसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा हो सकता है, जब इसकी निगरानी राजनीतिक दलों की सहमति से नहीं की गई?
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प्रश्न-2 : 26 लाख मतदाता 'दूसरे विधानसभा क्षेत्र' में स्थानांतरित हो गए?
चुनाव आयोग कह रहा है कि 26 लाख 1 हज़ार लोग कहीं और स्थायी रूप से स्थानांतरित हो गए। चार महीने में इतने लोग शिफ्ट कर गए? बिना physically visit किए यह कैसे पता चला?
25 जनवरी से लेकर 24 जून तक 26 लाख मतदाता इतनी बड़ी संख्या में विधानसभा क्षेत्रांतरण का दावा स्वयं में संशयास्पद है। क्या यह संभव है कि 26 लाख लोग एक ही वर्ष में अपने आवास बदल लें? यह आंकड़ा दर्शाता है कि इसे मनमाने ढंग से लागू किया गया है। विशेषकर उन मतदाताओं पर जिनके वोटिंग पैटर्न सत्ता के विरुद्ध है।
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प्रश्न-3 : 7 लाख मतदाता ‘दो स्थानों पर नामांकित’ बताए जा रहे हैं!
यह किस आधार पर तय किया गया? क्या हर मतदाता को व्यक्तिगत रूप से नोटिस भेजा गया? कितनों ने जवाब दिया, कितनों ने व्यक्तिगत रूप से पुष्टि की? इस प्रक्रिया की पारदर्शिता का पूर्ण अभाव है।
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प्रश्न-4 : 6.62% मतदाता 'अब तक अपने पते पर अनुपस्थित'?
यानी कुल 52 लाख मतदाताओं के नाम काटे जा रहे है। यह आंकड़ा सत्ता के इशारे पर चुनावी गणित साधने का उपकरण बन रहा है। जिनके दरवाजे पर BLO नहीं पहुंचा, उन्हें अनुपस्थित मान लिया गया। और इसी बहाने लाखों नामों पर कैंची चलाने की तैयारी है।
प्रश्न-5 : चुनाव आयोग में बीजेपी के 52 हज़ार 946 पंजीकृत BLA है? क्या इन BLAs ने कभी भी चुनाव आयोग के समक्ष विदेशी नागरिकों का मामला नहीं उठाया
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प्रश्न-: क्या चुनाव आयोग ने बताया कि जिन 52 लाख 66 हज़ार मतदाताओं का ये नाम विलोपित करना चाहते है इनमें से कितने दूसरे देशों के नागरिक है?
दरअसल चुनाव आयोग का यह पूरा पुनरीक्षण अभियान एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा है! बिहार चुनाव में हार को देखते हुए ये बीजेपी के लोग कमजोर वर्ग, अल्पसंख्यक, दलित, पिछड़े और विपक्षी दलों के समर्थकों के नाम सूची से हटा कर उन्हें लोकतंत्र और संविधान से बेदखल करना चाहते है। इनकी मनमानी हम बिहार में चलने नहीं देंगे
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बता दें कि बिहार में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अंतिम चरण में पहुंच गया है। इस बीच मंगलवार को चुनाव आयोग ने एसआईआर पर जो अपडेट जारी किया , उसके मुतबिक, 50 लाख से ज्यादा मतदाता अपने पते पर नहीं मिले हैं, जबकि 18 लाख से ज्यादा मृत पाए गए हैं। ऐसे में अंतिम सूची में ऐसे मतदाताओं के नाम कट सकते हैं।
भारत निर्वाचन आयोग ने आज एक बयान में कहा कि बिहार में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) कार्य चल रहा है। अब केवल 2.70% मतदाता ही फॉर्म भरने के लिए शेष हैं। आज मंगलवार तक, 97.30% मौजूदा मतदाताओं ने 1 अगस्त, 2025 को प्रकाशित होने वाली मसौदा मतदाता सूची में शामिल होने के लिए अपना गणना फॉर्म जमा कर दिया है।
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गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने आगे कहा कि बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान में, 21 जुलाई, 2025 तक, घर-घर जाकर किए गए सर्वेक्षण के दौरान 52.30 लाख से ज़्यादा मतदाता अपने पते पर नहीं पाए गए। लगभग 18.5 लाख मतदाता मृत पाए गए, 26 लाख स्थायी रूप से स्थानांतरित पाए गए, लगभग 7.5 लाख मतदाता कई जगहों पर पंजीकृत पाए गए और लगभग 11,000 का पता नहीं चल पाया।
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