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सर्वे से सामने आई बदहाली की असली तस्वीर, हर तीन में एक लघु उद्योग बंदी के कगार पर

ऑल इंडिया मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के एक सर्वे से पता चला है कि लॉकडाउन में दी गई ढील में देश के एक तिहाई यानी 33 फीसदी से अधिक लघु और मध्यम उद्योग (एमएसएमई) काम शुरू करने में असमर्थ हैं। यानि हर तीन में से एक लघु उद्योग बंदी की कगार पर पहुंच गए हैं।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

देश में पहले से जारी आर्थिक संकट की वजह से बढ़ती बेरोजगारी में अब एक और बुरी खबर है। एक ताजा सर्वे से पता चला है कि देश के एक तिहाई यानी 33 फीसदी से ज्यादा लघु और मंझोले उद्योग लॉकडाउन में मिली छूट में काम शुरू करने में असमर्थ हैं और बंदी की कगार पर पहुंच गए हैं। जिसका अर्थ है कि देश में हर तीन में से एक लघु उद्योग बंद होने की कगार पर है। ऐसे में इनमें काम करने वाले लाखों लोगों की नौकरी पर संकट आ गया है।

Published: 02 Jun 2020, 8:10 PM IST

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार यह जानकारी ऑल इंडिया मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एआईएमओ) द्वारा नौ उद्योग निकायों के साथ मिलकर कराए गए एक सर्वे में सामने आई है। सर्वे में 35 प्रतिशत एमएसएमई और 37 प्रतिशत स्व-रोजगार करने वालों ने कहा कि उनका कारोबार फिर से खड़ा नहीं हो पाएगा। जबकि सर्वे में 32 फीसदी एमएसएमई ने कहा कि उन्हें पटरी पर लौटने में 6 महीने लगेंगे। जबकि सर्वे में केवल 12 फीसदी ने 3 महीने से कम समय में रिकवरी करने की उम्मीद जताई है।

Published: 02 Jun 2020, 8:10 PM IST

देश का एमएसएमई सेक्टर करीब 11 करोड़ लोगों को रोजगार उपलभ्द कराता है। ऐसे में इतनी बड़ी बंदी के कारण लाखों-करोड़ों लोगों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो जाएगा। इससे पहले से ही लॉकडाउन के कारण आर्थिक बदहाली में पहुंच चुके देश के निम्न और निम्न मध्यम वर्ग के सामने एक और बड़ी मुसीबत खड़ी हो जाएगी। लाखों परिवारों के सामने जीवन-मरण का संकट खड़ा हो जाएगा।

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने हालात की गंभीरता को देखते हुए एक बार फिर प्रभावितों को तत्काल राहत देने की सरकार से मांगकी है। उन्होंने कहा, देश में “11 करोड़ भारतीयों को रोजगार देने वाले एमएसएमई सेक्टर का हर तीन में से एक उद्योग बंद हो रहा है। इन लोगों को तत्काल नकद राहत नहीं देकर भारत सरकार अपराध कर रही है।”

Published: 02 Jun 2020, 8:10 PM IST

गौरतलब है कि लॉकडाउन के चलते दो महीने से काम बंद होने के कारण कई एजेंसियों ने इस साल भारत का विकास दर नकारात्मक रहने की संभावना जताई है। हालांकि, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा पिछले सप्ताह जारी जीडीपी आंकड़ों के अनुसार देश की विकास दर 11 साल के न्यूनतम स्तर 4.2 प्रतिशत पर पहुंच गई है। वहीं आरबीआई ने हाल ही में 2020-21 में विकास दर नकारात्मक श्रेणी में रहने की आशंका जताई है।

Published: 02 Jun 2020, 8:10 PM IST

बता दें कि देश में इस समय एमएसएमई उद्योगों की संख्या छह करोड़ से अधिक है और इनमें 11 करोड़ से अधिक लोग काम करते हैं। जबकि एमएसएमई से ही देश के कुल विनिर्माण उत्पादन का 45 प्रतिशत, निर्यात का 40 प्रतिशत आता है, जिससे राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में इसका लगभग 30 प्रतिशत योगदान होता है।

Published: 02 Jun 2020, 8:10 PM IST

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Published: 02 Jun 2020, 8:10 PM IST