साइबर सुरक्षा से जुड़े एक शीर्ष कार्यकारी ने बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं और बीमा क्षेत्र की सुरक्षा में भारी आयात निर्भरता को लेकर चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि अगर भारत को किसी शक्तिशाली प्रतिद्वंद्वी के साथ युद्ध जैसी स्थिति का सामना करना पड़े, तो यह क्षेत्र बेहद संवेदनशील हो सकता है।
साइबर सुरक्षा समाधान कंपनी एसआईएसए के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी दर्शन शांतमूर्ति ने ऑपरेशन सिंदूर के साथ इसकी तुलना करते हुए कहा कि संघर्ष के समय में भारत के बैंकिंग और वित्तीय सेवा क्षेत्र की रक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि भुगतान प्रणाली पर किसी भी हमले का विनाशकारी प्रभाव हो सकता है।
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शांतमूर्ति ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “जैसे हमने ड्रोन हमलों के खिलाफ बचाव किया है वैसे ही हमने अपने डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा के मामले में भी अच्छा काम किया है। मुझे यकीन है कि हम साइबर हमलों के खिलाफ भी बचाव कर सकते थे।”
उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर को भारत की वित्तीय सेवा तंत्र की रक्षा में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए एक चेतावनी के रूप में लिया जाना चाहिए।
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शांतमूर्ति ने कहा, “अभी यह (पाकिस्तान का) एक कमतर सशस्त्र बल था। लेकिन अगर ऐसा संघर्ष चीन या किसी अन्य पश्चिमी शक्ति जैसे मजबूत सशस्त्र बल के खिलाफ हो, तो हमें अपने वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा करने में भी उतना ही सक्षम होना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि वर्तमान में विभिन्न उद्यमों द्वारा उपयोग किए जाने वाले 10 प्रतिशत से भी कम साइबर सुरक्षा उत्पाद भारतीय मूल के हैं।
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शांतमूर्ति ने कहा, “प्रत्येक मध्यम आकार का उद्यम 68-80 साइबर सुरक्षा उत्पादों का उपयोग करता है, जिनमें से केवल 10 प्रतिशत भारत में बनाए जाते हैं।” उन्होंने कहा कि युद्ध या सीमित संघर्ष के समय साइबर सुरक्षा उत्पादों के लिए अद्यतन प्रौद्योगिकी से वंचित किए जाने की आशंका हमेशा बनी रहती है, जिससे देश में विभिन्न उद्यम हमलों के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं।
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उन्होंने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर हमारे लिए एक अच्छी चेतावनी है, ताकि हम अपनी साइबर सुरक्षा को बढ़ा सकें।”
पिछले महीने, एसआईएसए और सीईआरटी-आईएन ने बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं और बीमा क्षेत्र के लिए डिजिटल खतरा रिपोर्ट-2024 जारी की, जिसमें उभरते साइबर खतरों पर प्रकाश डाला गया और इन जोखिमों को कम करने के लिए व्यावहारिक रणनीतियां पेश की गईं।
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