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केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के फैसले के खिलाफ करगिल में हड़ताल, द्रास के बीजेपी नेता का भी खुला समर्थन

करगिल और द्रास में भी अनुच्छेद 370 हटाए जाने का विरोध शुरु हो गया है। यहां ज्वाइंट एक्शन कमेटी ने दो दिन की हड़तालका ऐलान किया, जिसे द्रास की बीजेपी इकाई का भी पूर्ण समर्थन मिला। इन इलाकों के लोग नए बने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के बजाए कश्मीर के साथ रहना चाहते हैं।

करगिल में बुधवार और गुरुवार को पूर्ण बंद रहा
करगिल में बुधवार और गुरुवार को पूर्ण बंद रहा 

द्रास के स्थानीय बाशिंदों और नेताओं में भी अनुच्छेद 370 और 35 ए हटाए जाने को लेकर नाराजगी है, साथ ही वे नए बने केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के साथ द्रास और करगिल को मिलाए जाने को लेकर भी खुश नहीं हैं।

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इस सिलसिले में करगिल ज्वाइंट एक्शन कमेटी ने बुधवार और गुरुवार को करगिल में दो दिन का विरोध प्रदर्शन और बंद का आव्हान किया। मोदी सरकरा के फैसले के खिलाफ बुलाए गए इस बंद को द्रास, करगिल, सांको और करगिल जिले के दूसरे इलाकों में जबरदस्त समर्थन मिला और यहां पूरी तरह हड़ताल रही। इस ज्वाइंट एक्शन कमेटी में राजनीतिक नेताओं के साथ कुछ धार्मिक नेता भी हैं। हालंकि, बीजेपी की करगिल इकाई ने इस बंद का समर्थ नहीं किया, लेकिन द्रास की बीजेपी इकाई इस बंद के पूर्ण समर्थन में सामने आई।

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द्रास में बीजेपी नेता बिलाल अहमद का कहना है कि, “हम लद्दाख का हिस्सा नहीं बनना चाहते। सरकार या तो करगिल को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाए या फिर हमें जम्मू-कश्मीर के साथ रहने दे। जम्मू और कश्मीर में हमारे काफी रिश्ते हैं, जबकि लद्दाख से हमारा कोई रिश्ता नहीं है। वहां के और हमारे रस्मो-रिवाज, रहन-सहन और खानपान में बहुत फर्क है। हमारे परिवारों की बहुत सी महिलाओँ की शादी कश्मीर में हुई है। करगिल यूं भी कश्मीर के नजदीक है।”

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वहीं लद्दाख ऑटोनॉमस हिल डेवलपमेंट काउंसिल के गुलाम नकवी कहते हैं, “हमारी सिर्फ एक ही मांग है, और वह यह कि हम लद्दाख का हिस्सा नहीं बनना चाहते। राजनीतिक दल समाज और राज्य में से ही आते हैं, अगर राज्य का ही एहसास नहीं होगा तो फिर राजनीतिक पार्टी का भी क्या करना? हमारे नेता अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से ही नजरबंद है। हम आसानी से पीछे हटने वाले लोग नहीं हैं। हम मरने के लिए तैयार हैं।” गुलाम नकवी नेशनल कांफ्रेंस के नेता और लद्दाख में काउंसलर हैं।

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नकवी ने इंसाफ के लिए देश के कानून के तहत इस मामले में कानूनी लड़ने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा, “हम किसी भी केंद्रशासिल प्रदेश का हिस्सा होने से इनकार कर रहे हैं। क्या कोई सरकार इस तरह कानून बदलती है। लोगों को घरों में बंद कर उन्होंने ऐसा किया है।”

वहीं बिलाल अहमद भी बीजेपी नेता होने के बावजूद 35 ए हटाए जाने के मोदी सरकार के फैसले के खिलाफ हैं। उनका कहना है कि 35ए हटाकर सरकार ने बहुत बड़ी गलती की है। उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था। उन्होंने कहा, “जिस तरह से नेताओं को नजरबंद किया गया है वह शर्मनाक है। ऐसा नहीं होना चाहिए था। उन्होंने बलपूर्वक ऐसा किया है। ”

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