भगोड़े हीरा व्यापारी नीरव मोदी के लिए कानूनी मुसीबतें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। नीरव मोदी अभी ब्रिटेन के कोर्ट में प्रत्यर्पन की कार्रवाई का सामना कर रहा है और साथ ही जमानत की लड़ाई लड़ रहा है। इस बीच मुंबई कोर्ट ने मोदी और उसकी बहन को नोटिस जारी कर पूछा है कि उनकी तथा उनकी कंपनियों की संपत्ति क्यों नहीं जब्त की जानी चाहिए।
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मुंबई की विशेष अदालत ने भगोड़े आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 के तहत नीरव मोदी और उसकी बहन पूर्वी मेहता को नोटिस जारी किया है, जो पांच महीने पहले सरकारी गवाह बनी थी। विशेष जज वी.सी. बर्डे ने दोनों को मुंबई में 11 जून को खुद के समक्ष पेश होने का नोटिस दिया है। उन्हें यह भी बताने के लिए कहा गया है कि अदालत को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा 2018 की शुरूआत में दायर एक मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दोनों भाई-बहनों और कानून के तहत अन्य समूह की कंपनियों की संपत्तियों को क्यों नहीं जब्त करना चाहिए।
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विशेष अदालत ने यह आदेश नीरव मोदी, उसके परिवार के कई सदस्यों, उसके मामा मेहुल सी चोकसी और अन्य के खिलाफ पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) से लगभग 14,000 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी का आरोप लगने के ठीक साढ़े तीन साल बाद दिया है।
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इस मामले में फरवरी 2018 में, मुंबई के एक मजिस्ट्रेट ने नीरव मोदी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट का आदेश दिया था। फिर, जून 2018 में इंटरपोल ने एक रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया, जिसके बाद भारत द्वारा ब्रिटेन के अधिकारियों से अगस्त 2018 में उसके भारत प्रत्यर्पण की मांग की गई।
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