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टिकरी बॉर्डर पर दो और किसानों की हार्ट अटैक से मौत, जहर खाने वाले जयभगवान की भी नहीं बची जान

टिकरी बॉर्डर पर जहरीला पदार्थ खाने वाले रोहतक के 42 वर्षीय किसान जयभगवान राणा को अस्पताल में इलाज के बावजूद नहीं बचाया जा सका। उन्होंने किसान आंदोलन में मंच के निकट जहर खा लिया था। उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। लेकिन देर रात उनकी मौत हो गई।

फोटोः gettyimages
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मोदी सरकार के विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसानों के प्रदर्शन में मंगलवार रात टिकरी बॉर्डर पर दो और किसानों की मौत हो गई। मृतकों में एक किसान हरियाणा और दूसरा पंजाब का है। इसके अलावा कुंडली बॉर्डर पर भी लुधियाना के जगजीत सिंह की हार्ट अटैक से मौत की खबर है। वहीं मंगलवार को टिकरी बॉर्डर पर जहर खाने वाले किसान जयभगवान राणा को भी नहीं बचाया जा सका और अस्पताल में उनकी मौत हो गई है।

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अमर उजाला की खबर के अनुसार, टिकरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन में शामिल होने आए पंजाब के 65 वर्षीय किसान धन्ना सिंह की मंगलवार देर रात हृदयाघात से मौत हो गई। वह बहादुरगढ़ बाईपास पर नयागांव चौक के निकट ठहरे थे। उनके शव को नागरिक अस्पताल बहादुरगढ़ के शवगृह में रखा गया है। परिजनों को सूचना भेज दी गई है और अब उनके आने का इंतजार किया जा रहा है। वह पंजाब के पटियाला के गांव तंगू के रहने वाले थे।

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पुलिस ने बताया कि धन्ना सिंह एक महीने से आंदोलन में थे। वह मंगलवार रात भोजन कर सोए थे। वह सुबह जल्दी जाग जाते थे, लेकिन बुधवार सुबह नहीं उठे तो साथी किसानों ने उन्हें जगाने की कोशिश की। कोई जवाब नहीं मिलने पर उन्हें हिलाकर जगाने की कोशिश की गई। लेकिन शरीर में कोई हलचल नहीं हुई तो उन्हें तुरंत नागरिक अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टर ने जांच कर उन्हें मृत घोषित कर दिया।

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इस बीच मंगलवार को टीकरी बॉर्डर पर जहरीला पदार्थ निगलने वाले रोहतक के 42 वर्षीय किसान जयभगवान राणा को अस्पताल में इलाज के बावजूद नहीं बचाया जा सका। उन्होंने किसान आंदोलन में मंच के निकट जहर खा लिया था। उन्हें दिल्ली के संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। लेकिन मंगलवार देर रात उनकी मौत हो गई। टीकरी बॉर्डर चौकी के एक दरोगा ने बताया कि जयभगवान राणा की मौत की जानकारी मिली है और मामले में आवश्यक कार्रवाई दिल्ली के मुंडका थाना की पुलिस कर रही है।

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बता दें कि जहरीला पदार्थ खाने से पहले जयभगवान राणा ने देशवासियों के नाम लिखे अपने पत्र में कहा था कि किसानों की कोई नहीं सुन रहा है। जयभगवान ने अपने पत्र में सरकार को इस समस्या का हल भी सुझाया है। उन्होंने कहा कि हर राज्य के दो-दो किसान नेताओं को बुलाकर सरकार मीडिया की उपस्थिति में बात करे। इसमें अगर ज्यादा राज्यों के प्रतिनिधि विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ हों तो कानूनों को रद्द कर दिया जाए। और ऐसा नहीं होने पर किसान अपने घर वापस चले जाएं।

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