संयुक्त किसान मोर्चा ने बिहार की राजधानी पटना में किसानों पर लाठीचार्ज को प्रदेश सरकार की असंवेदनशीलता बताई है। मोर्चा ने गुरुवार को जारी एक बयान में कहा कि पटना में प्रदर्शन कर रहे किसानों पर हुए लाठीचार्ज की वह कड़े शब्दों में निंदा करता है। केंद्र सरकार द्वारा लागू नए कृषि कानूनों के विरोध में मंगलवार को पटना में प्रदर्शन कर रहे किसानों को रोकने के दौरान हुई झड़प में पुलिस ने लाठियां भांजी।
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संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले विभिन्न किसान संगठनों की अगुवाई में दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन शुक्रवार को 37वें दिन जारी है। वहीं, बुधवार को सरकार के साथ किसानों संगठनों के छठे दौर की वार्ता में दो मसलों पर हुई सहमति को मोर्चा ने एक बड़ी जीत बताई है।
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मोर्चा की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि बैठक में सरकार ने विद्युत ऑर्डिनेंस न प्रस्तुत करने का और वायु प्रदूषण ऑर्डिनेंस में खेती व किसानों को बाहर रखने का आश्वासन तो दिया, लेकिन किसानों की मुख्य मांगों तीन कृषि कानूनों को रद्द करने और सभी फसलों पर सभी किसानो के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी मान्यता देने संबंधी ठोस समाधान नहीं हो सके। हालांकि दो मसलों पर सहमति देश के संघीय ढांचे को सुरक्षित रखने और निजीकरण को रोकने की हमारी मांग संबंधी बड़ी जीत है।
मोर्चा ने बताया कि सिंघु बॉर्डर पर आज अनेक लेखक, बुद्धिजीवी, पत्रकार, कवि एवं साहित्यकारों ने प्रदर्शन में भाग लिया और किसानों को समर्थन दिया। मोर्चा ने कहा कि बिहार, तमिलनाडु, हैदराबाद, केरल, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब, मध्यप्रदेश में बड़े पैमाने पर किसान संघर्ष कर रहे हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा ने लोगों से नए साल का उत्सव दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे धरना-प्रदर्शन में किसानों के साथ मनाने की अपील की।
(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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