हालात

खुले में शौच मुक्त घोषित हो चुका यूपी जमीनी हकीकत से कोसो दूर, रिपोर्ट से हुआ बड़ा खुलासा 

इस साल जनवरी में राज्य सरकार द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया था कि उत्तर प्रदेश के लाखों परिवार अभी भी खुले में शौच मुक्त योजना से बाहर हैं। अधिकारियों की मानें तो सत्यापन (वेरिफिकेशन) ज्यादातर कागजों पर ही रहता है।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

उत्तर प्रदेश को इस साल जनवरी में 100 फीसदी खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) घोषित किया गया था। इस दौरान प्रदेश के 75 जिलों में 97 हजार 641 गांवों को खुले में शौच से मुक्त बताया गया, मगर यह बात जमीनी स्तर पर कहीं ठहरती दिखाई नहीं दे रही है। गांवों में नव-निर्मित अधिकतर शौचालयों का उपयोग या तो स्टोर रूम के रूप में किया जाता है या इन्हें बंद रखा जाता है।

Published: 02 Oct 2019, 9:59 PM IST

इस साल जनवरी में राज्य सरकार द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया था कि लाखों परिवार अभी भी इस योजना से बाहर हैं। फरवरी में आई रिपोर्ट में पाया गया कि स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण (एसबीएम-जी) के तहत कुल 36.5 लाख लोगों तक इसका लाभ नहीं पहुंचा। अधिकारियों की मानें तो सत्यापन (वेरिफिकेशन) ज्यादातर कागजों पर ही रहता है।

Published: 02 Oct 2019, 9:59 PM IST

पंचायती राज विभाग के एक अधिकारी ने बताया, “लोग पैसे लेने के लिए आगे आते हैं, लेकिन इनके निर्माण के बाद शौचालय का उपयोग नहीं करते। आधिकारिक तौर पर हम उन्हें बाध्य नहीं कर सकते, या नियमित रूप से इसके उपयोग की निगरानी भी नहीं कर सकते हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “समस्या शौचालयों के निर्माण की नहीं, बल्कि इनके उपयोग को लेकर है। कुछ ऐसे अजीब कारण है कि जिनके पास शौचालय हैं, वे भी खुले में शौच करना पसंद करते हैं। हम उनकी मानसिकता को बदलने के लिए कुछ नहीं कर सकते हैं। यहां तक कि ऐसी महिलाएं जिनके पास शौचालय है, वह भी खुद को राहत देने के लिए बाहर ही जाती हैं।”

Published: 02 Oct 2019, 9:59 PM IST

शौचालयों का उपयोग नहीं करते हुए बाहर खुले में शौच करने के लिए जाने वाली महिलाओं को अपराध की घटनाओं का सामना करना पड़ता है। कुछ समय पहले ही रायबरेली जिले की एक महिला खुले में शौच करने गई थी, जिसका बाद में शव मिला था। इस महिला के सिर को कुचल दिया गया था। इस महिला के पास एक शौचालय था, लेकिन उसने इसका इस्तेमाल नहीं किया। संयोग से रायबरेली स्वच्छ भारत मिशन डेटाबेस के अनुसार ओडीएफ घोषित किया गया है।

आजमगढ़ के सराय मीर स्थित एक गांव की निवासी सरोज पाठक के पास भी एक शौचालय था, मगर उसने इसका इस्तेमाल करने के बजाए इसे बंद रखा। जिन लोगों को शौचालय मिला है, उनके साथ एक और समस्या सफाई की भी है।

Published: 02 Oct 2019, 9:59 PM IST

सरोज ने कहा, “हम खुद शौचालय साफ नहीं कर सकते और मैं एक सफाई कर्मचारी को नौकरी पर नहीं रख सकती। इसका इस्तेमाल करने से बचना ही बेहतर है।” सुल्तानपुर की सामाजिक कार्यकर्ता बाला कुमारी ने लोगों द्वारा शौचालय का उपयोग नहीं करने का एक और अन्य कारण बताया।

बाला कुमारी ने कहा कि पुरुष और महिलाएं समूह में शौच के लिए बाहर जाते हैं। खासकर महिलाओं के लिए यह एकमात्र समय होता है, जब वह बाहर जाती हैं और एक-दूसरे के साथ घुल-मिलकर बातें करती हैं। उन्होंने कुछ ऐसा ही पुरुषों के लिए भी बताया। बाला कुमारी का कहना है कि इसलिए ये लोग शौचालय का उपयोग करने के बजाए बाहर ही जाना पसंद करते हैं।

Published: 02 Oct 2019, 9:59 PM IST

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: 02 Oct 2019, 9:59 PM IST