दिल्ली के दयानंद मुक्तिधाम श्मशान घाट पर रोजाना 20 से 25 शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है। कोरोना वायरस से मरने वालों के शव भी यहां लाए जाते हैं। इन शवों के अंतिम संस्कार के समय इस्तेमाल किए गए पीपीआई किट के डिस्पोजल की यहां कोई सुविधा नहीं है ऐसै में यहांफेंके गए पीपीई किट का यहां अंबार लग गया है। दिल्ली सरकार या नगर निगम किसी को भी इसकी परवाह नहीं है।
दयानंद मुक्तिधाम श्मशान घाट के इंचार्ज रमेश कुमार ने बताया कि 50 से ज्यादा ट्रक कूड़ा हम उठवा चुके हैं। हमसे बोला जाता है कि कूड़ा उठवाना है तो पैसे देने पड़ेंगे। उन्होंने कहा, "लॉकडाउन में कूड़ा उठाने के लिए गाड़ियां यहां नहीं आईं। आप पता कर लीजिए। हमने सब जगह शिकायत की हुई है। हमने कूड़ा अपने पैसों से उठवाए हैं। उसका बिल भी हमारे पास है। आप हमें दो दिन का समय दे दो, दो दिन बाद जो पूछोगे, बता दूंगा।"
Published: undefined
इस शमशान घाट पर एक बार में 10 कोरोना पॉजिटिव और 10 गैर-कोरोना शवों का अंतिम संस्कार किया जा सकता है। कूड़े के ढेर का जिक्र करने पर दक्षिणी नगर निगम के पीआरओ राधा कृष्णा ने कहा, "हमारी तरफ से रोजाना सफाई होती है। इसमें कोई शक नहीं है और न ही इसमें कोई लापरवाही हुई है।"
इस शमशान घाट पर सेवा दे रहे कार्यकर्ता रामपाल मिश्रा ने बताया कि, "हम यहां पीपीई किट फेंकने से मना करते हैं, । लेकिन जो लोग अस्पताल से यहां कोरोना मरीज के शव के साथ आते हैं, वे मना करने पर भी पीपीई किट उतारकर यहां फेंक जाते हैं। यहां जो लड़के कोरोना शवों का अंतिम संस्कार करते हैं, वे भी किट पहनते हैं, लेकिन फेंकने के बाद सफाई भी करा देते हैं।"
कोविड गाइडलाइंस व बायोमेडिकल वेस्ट के लिए बने नियमों के तहत कूड़े का निस्तारण किया जाना होता है। इसके लिए लाल, काले, पीले और सफेद रंग के डस्टबिन रखे जाते हैं। पीपीई किट को इस्तेमाल करने के बाद हाइपोक्लोराइट के घोल में डुबाने के बाद इसे बैग में पैक किया जाना होता है। जो भी कचरा निकलता है, उसे पीले बैग में इकट्ठा करके बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट में भेजना होता है।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined