
उत्तराखंड के चमोली जिले में मंगलवार रात (31 दिसंबर 2025) बड़ा हादसा हो गया। पीपलकोटी क्षेत्र में टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (THDC) की सुरंग के भीतर मजदूरों को ले जाने वाली दो लोको ट्रेनें आपस में टकरा गईं। इस दुर्घटना में 60 मजदूर घायल हो गए। हादसा रात करीब 9:30 बजे उस समय हुआ, जब शिफ्ट बदलने के दौरान ट्रेनें सुरंग से गुजरते हुए वर्किंग साइट की ओर बढ़ रही थीं।
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टक्कर होते ही सुरंग के भीतर अफरा-तफरी मच गई। अंधेरे और सीमित जगह के कारण मजदूरों में चीख-पुकार शुरू हो गई और कई लोग बाहर निकलने का रास्ता तलाशते नजर आए। हादसे की सूचना मिलते ही प्रोजेक्ट मैनेजमेंट और स्थानीय प्रशासन की टीमें मौके पर पहुंचीं और तुरंत राहत और बचाव अभियान शुरू किया गया।
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चमोली के जिला मजिस्ट्रेट गौरव कुमार ने हादसे की जानकारी देते हुए बताया कि रात करीब 9:30 बजे शिफ्ट परिवर्तन के दौरान सुरंग में चल रही दो लोको ट्रेनें आपस में टकरा गईं। उस समय ट्रेनों में कुल 109 लोग सवार थे, जिनमें से 60 मजदूर घायल हो गए। घायलों में से 42 को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जबकि 17 मजदूरों को पीपलकोटी स्थित विवेकानंद अस्पताल में इलाज के लिए भेजा गया।
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अस्पतालों में इलाज जारी
प्रशासन के अनुसार, कुछ घायलों को बेहतर इलाज के लिए गोपेश्वर के जिला अस्पताल में भी भर्ती कराया गया है। जिला अस्पताल के डॉक्टर दीपक नेगी ने बताया कि ज्यादातर मजदूरों को मामूली चोटें आई हैं, हालांकि कुछ की हालत गंभीर बनी हुई है। ऐसे मजदूरों को विशेष निगरानी में रखा गया है और उनकी सेहत पर डॉक्टरों की टीम लगातार नजर बनाए हुए है।
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यह हादसा हेलंग और पीपलकोटी के बीच अलकनंदा नदी पर बन रही 444 मेगावाट की विष्णुगढ़–पीपलकोटी जलविद्युत परियोजना से जुड़ा है। इस परियोजना में चार टर्बाइनों के जरिए 111 मेगावाट बिजली उत्पादन की योजना है। परियोजना का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है और इसे अगले साल तक पूरा किए जाने की उम्मीद है।
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अधिकारियों ने बताया कि निर्माण कार्य के दौरान श्रमिकों, इंजीनियरों और जरूरी सामग्री को लाने-ले जाने के लिए सुरंगों के अंदर लोको ट्रेनों का नियमित रूप से उपयोग किया जाता है। इसी प्रक्रिया के तहत मजदूरों को वर्किंग साइट तक पहुंचाया जा रहा था, तभी यह दुर्घटना हो गई।
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अधिकारियों ने बताया कि निर्माण कार्य के दौरान श्रमिकों, इंजीनियरों और जरूरी सामग्री को लाने-ले जाने के लिए सुरंगों के अंदर लोको ट्रेनों का नियमित रूप से उपयोग किया जाता है। इसी प्रक्रिया के तहत मजदूरों को वर्किंग साइट तक पहुंचाया जा रहा था, तभी यह दुर्घटना हो गई।
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प्रारंभिक जांच में दुर्घटना की वजह तकनीकी खराबी मानी जा रही है। हालांकि प्रशासन और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट ने मामले की विस्तृत जांच के आदेश दे दिए हैं। यह भी देखा जा रहा है कि सुरक्षा मानकों का पूरी तरह पालन हुआ था या नहीं और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या अतिरिक्त कदम उठाए जा सकते हैं।
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इस हादसे ने एक बार फिर पहाड़ी इलाकों में चल रही बड़ी परियोजनाओं में श्रमिकों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है। प्रशासन का कहना है कि जांच रिपोर्ट आने के बाद जिम्मेदारी तय की जाएगी और अगर किसी स्तर पर लापरवाही पाई जाती है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल, राहत की बात यह है कि किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है।
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