दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा सुर्खियों में हैं। उनके सरकारी आवास पर आग लगने और वहां से जली-अधजली नकदी मिलने का मामला तूल पकड़ चुका है। इस मामले की जहां चौतरफा चर्चा है वहीं सोमवार को यह मुद्दा राज्यसभा में भी उठाया गया। अब इस मामले पर राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का बयान सामने आया है। उन्होंने इस मामले में जहां सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के कदम की तारीफ की, वहीं मामले की गंभीरता का भी जिक्र किया। जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा में नेता सदन जे पी नड्डा और नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की मौजूदगी में कहा कि “सुप्रीम कोर्ट ने सही दिशा में कदम उठाया है, आजादी के बाद पहली ऐसा हुआ है कि चीफ जस्टिस ने सभी सामग्री को सार्वजनिक डोमेन में रखा है।“
उन्होंने कहा कि, “इस मामले पर जल्द ही फ्लोर लीडर्स की बैठक बुलाई जाएगी। बैठक में आगे के कदम पर चर्चा कर फैसला लिया जाएगा। राज्यसभा के सभापति ने कहा कि “ऐसी समस्याओं को खत्म करना जरूरी है ताकि ऐसी स्थिति दोबारा न आए।“ धनखड़ ने कहा, “मैं सदन के नेता जे पी नड्डा और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे का आभारी हूं। हमने न्यायपालिका के मन में उठ रहे मुद्दे पर सार्थक विचार-विमर्श किया।”
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राज्यसभा के सभापति ने आगे कहा कि “न्यायपालिका और विधायिका जैसी संस्थाएं तब सबसे अच्छा काम करती हैं जब उनकी आंतरिक प्रणाली प्रभावी, तेज और सार्वजनिक विश्वास को बनाए रखने वाली होती है। धनखड़ ने कहा कि चूंकि यह पहली बार है कि न्यायपालिका के प्रमुख मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने बहुत ही प्रभावशाली, पारदर्शी तरीके से कार्रवाई शुरू की है, इसलिए समिति के नतीजे का इंतजार करना उचित होगा क्योंकि इससे हमें विचार के लिए पूरी सामग्री हासिल होगी।”
धनखड़ ने कहा, “मैंने दृढ़ता से संकेत दिया है कि अगर हम पिछले प्रदर्शन को देखें तो भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की ओर से अब तक उठाए गए ये कदम अभूतपूर्व हैं और ऐसी चुनौतीपूर्ण स्थिति में क्या जरूरत हो सकती है, जो न्यायपालिका के सदस्यों, बार के सदस्यों, सांसदों और आम जनता के मन को आंदोलित कर रही है, इसकी जांच के माध्यम से सार्वजनिक डोमेन में जानकारी उपलब्ध कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी।”
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इसके साथ ही उन्होंने कहा, मैं इस संबंध में खड़गे और नड्डा के सुझाए गए सुझावों के मुताबिक एक बैठक निर्धारित करूंगा और सूचना भेजूंगा। मैं उनकी गहरी समझ के लिए आभारी हूं क्योंकि दोनों ने ही समृद्ध अनुभव के साथ, अपने-अपने राजनीतिक दलों के अध्यक्ष होने और संवैधानिक पदों पर रहने के कारण यह माना है कि देश में संस्थाओं को केवल ईमानदारी और सार्वजनिक प्रतिबद्धता के साथ ही विकसित किया जाना चाहिए और इस तरह की कुप्रथा को खत्म करने की जरूरत है ताकि इसकी पुनरावृत्ति न हो।
उन्होंने कहा कि खड़गे ने सुझाव दिया था कि इस मुद्दे पर सभी दलों के फ्लोर नेताओं के साथ विचार-विमर्श किया जाना चाहिए, जिस पर वह और नड्डा भी सहमत थे। उन्होंने कहा कि वह सभी फ्लोर नेताओं को विचार-विमर्श के लिए आमंत्रित करेंगे।
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