भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने बुधवार को आरोप लगाया कि बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के बाद जारी अंतिम मतदाता सूची के आंकड़ों से बहुत सारे नए सवाल खड़े हो रहे हैं और यह स्पष्ट नहीं है कि पहले की अशुद्धियों को ठीक किया गया या नहीं।
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उन्होंने कहा कि यदि इस सूची से बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल के नागरिकों अथवा घुसपैठियों के नहीं होने की बात स्पष्ट हो गई है तो झूठे प्रचार पर रोक लगनी चाहिए क्योंकि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) द्वारा बिहार के लोगों को बांटने के लिए यह विमर्श गढ़ने का प्रयास किया गया है।
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भट्टाचार्य ने एक बयान में कहा, ‘‘इन आंकड़ों से बहुत कुछ पता नहीं चल पा रहा है...इससे सिर्फ यह पता चल रहा है कि मतदाताओं की संख्या 47 लाख घट गई है...यह जानकारी नहीं मिल रही हैं कि पहले मसौदा सूची में जो अशुद्धियां थीं वो ठीक की गईं या नहीं।’’ उन्होंने कहा कि आयोग को बताना चाहिए कि जिन 22 लाख लोगों के नाम फॉर्म 6 के माध्यम से जोड़े हैं, उनमें कितने नए और कितने पुराने मतदाता हैं। वामपंथी नेता ने आरोप लगाया कि एसआईआर के जो आंकड़े सामने आए हैं उनसे बहुत सारे नए सवाल खड़े होते हैं।
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दरअसल निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को बिहार की अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित कर दी जिसमें कुल मतदाताओं की संख्या 7.42 करोड़ है। राज्य में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) से पहले मतदाताओं की कुल संख्या 7.89 करोड़ थी। इस तरह करीब 68 लाख से ज्यादा लोगों के नाम लिस्ट से कट गए हैं। वहीं करीब 23 लाख नए लोगों के नाम इस सूची में जोड़े गए हैं।
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