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यूपी चुनाव: सरकार किसी की भी बने, लेकिन उसकी दिशा और नीतियां कुछ इस तरह होंगी...

यूपी चुनाव में नतीजे आने के बाद स्थिति जो भी बने, हमें मायावती, अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ के कार्यकालों में किए गए प्रमुख कामों से अंदाजा तो मिल ही सकता है कि जो भी सरकार बनेगी, विकास के मामले में उसका रवैया कैसा रहेगा।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया 
अब तो सरकार बनाने की तैयारी है और सबकुछ चुनाव परिणामों पर निर्भर है। मुख्य मुकाबला बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच ही है। सार्वजनिक तौर पर बसपा प्रमुख मायावती भले ही दावा करें कि पूर्ण बहुमत के साथ उनकी पार्टी ही सरकार बनाने जा रही है लेकिन शायद उनके पार्टी समर्थक भी इस पर यकीन नहीं कर रहे। हां, यह जरूर अधिकांश लोगों के मन में है कि अगर बीजेपी सरकार बनाने लायक संख्या नहीं जुटा पाई, तो वह उसे समर्थन देंगी। वैसे, यह भी मान लिया गया है कि अगर बीजेपी की सीटों की संख्या पिछली बार से काफी कम रही या उसे अपने दम पर बहुमत नहीं मिल पाया लेकिन जोड़तोड़ से सरकार बनाने की स्थिति बनी, तो पार्टी योगी आदित्यनाथ का विकल्प तलाश करेगी। स्थिति जो भी बने, हमें मायावती, अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ के कार्यकालों में किए गए प्रमुख कामों से अंदाजा तो मिल ही सकता है कि जो भी सरकार बनेगी, विकास के मामले में उसका रवैया कैसा रहेगा।

सबसे पहले बात योगी आदित्यनाथ की ही कर लेते हैं। नीचे दिए गए ग्राफिक्स से साफ हो जाता है कि पूर्वांचल और बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे योगी के कार्यकाल में पूरे हुए तो गंगा एक्सप्रेस वे के निर्माण का प्रस्ताव पेश किया गया। इसके अलावा कोविड महामारी के दौरान शुरु हुआ अनाज वितरण का काम अब भी जारी है जो होली तक रहेगा, इसमें तेल को भी शामिल किया गया।

कुछ सिंचाई परियोजनाएं जो दशकों से लंबित थी, वे पूरी हुईं, इनमें सरयू कैनाल राष्ट्रीय परियोजना, अर्जुन सहायक नहर परियोजना और बाणसागर योजना भी शामिल है। इसके अलावा नोएडा में फिल्म सिटी बनाने की प्रक्रिया शुरु हुई है। एमएसएमई सेक्टर ोक करीब पौने तीन लाख करोड़ का कर्ज देने का भी दावा है। पहले 59 जिलों में मेडिकल कॉलेज बनाने का दावा था जो अब हर जिले में मेडिकल कॉलेज के वादे में बदल गया है। वैसे 13 में काम शुरु हो गया है।

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अब पिछली सरकार, यानी 2012 से 2017 तक रही अखिलेश यादव सरकार के कामकाज पर नजर डालते हैं। अखिलेश की सरकार में 6 लेन का आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे बना जिसे 8 लेन का भी किया जा सकता है। इसके अलावा लखनऊ मेट्रो के निर्माण के लिए जून, 2013 में हरी झंडी दी गई। दिसंबर, 2016 में पहले चरण का ट्रायल हुआ। महिला सुरक्षा के लिए 2012 में महिला हेल्पलाइन 1090 शुरू की गई। समाजवादी स्वास्थ्य सेवा शुरू की गई। इसके तहत लोगों को 24 घंटे सातों दिन इमरजेंसी एंबुलेंस की फ्री सेवा दी गई। समाजवादी पेंशन योजना जो कि महामाया गरीब आर्थिक मदद योजना का विस्तार थी, उसके साथ-साथ श्रवण यात्रा की सुविधा भी दी गई थी जिसके तहत वरिष्ठ नागरिकों को हरिद्वार और ऋषिकेश की निः शुल्क तीर्थयात्रा की सुविधा दी गई।

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अखिलेश से पहले 2007 से 2012 तक उत्तर प्रदेश में मायावती का शासन था। उनके दौर में भी ठीक-ठाक काम हुआ। सबसे ज्यादा चर्चा यमुना एक्सप्रेसवे की योजना की हुई। इस योजना का खाका 2003 में बना था, लेकिन पूरा हुआ 2012 में। अखिलेश यादव ने इसका उद्घाटन किया था। 2011 में भूमि अधिग्रहण नीति बनाई गई, इससे एक्सप्रेसवे और नहरों के निर्माण के लिए जमीन के अधिग्रहण में सुविधा हुई। महामाया गरीब आर्थिक मदद योजना शुरू हुई। इससे गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) वाले 31ा लाख परिवारों को 300 रुपये हर महीने दिए जाने लगे।जेपी ग्रुप के साथ सरकारी-निजी पार्टनरशिप बनी और भारत का पहला ग्रॉ प्री 2012 में नोएडा में हुआ। महामाया गरीब बालिका आशीर्वाद योजना के तहत बीपीएल परिवार में 15 जनवरी, 2009 के बाद जन्मी बच्ची के नाम से राष्ट्रीय बचत सर्टिफिकेट (एनएससी) के तौर पर 22,000 रुपये एफडी की योजना लागू हुई। सावित्री बाई फुले बालिका शिक्षा मदद योजना के तहत सरकार को बीपीएल परिवारों की ऐसी हर बच्ची को 25,000 रुपये और एक साइकिल देनी थी जो 11वीं और 12वीं पढ़ रही हैं।

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