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उत्तर प्रदेश: हैरतअंगेज तरीके से मर गईं ताहिर की पांच गाय, सदमे में आया पूरा परिवार

मुजफ्फरनगर में गाय पालकर और दूध बेचकर परिवार पालने वाले किसान ताहिर की पांच गाय बीते दिनों रहस्यमयी तरीके से मर गईं। इस घटना के बाद से गांव में लोग अपनी गाय-भैंस पर पहरा दे रहे हैं। यह ग्राऊंड रिपोर्ट बताती है कि गरीब की जिंदगी सिर्फ तकलीफों से भरी हुई

फोटोः आस मोहम्मद कैफ
फोटोः आस मोहम्मद कैफ 

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के कुतुबपुर गांव में 50 साल के ताहिर 30 साल से गाय पाल पा रहे हैं। वो जंगल जाते हैं, चारा लाते हैं और अपनी गायों को खिलाते हैं। गाय जो दूध देती हैं, उसे बेच देते हैं। पिछले 30 साल से उनकी जिंदगी ऐसे ही चल रही है। उनके परिवार की आमदनी का यही एक जरिया रास्ता है। गाय पालने को लेकर उनके समुदाय में भले कितनी नकारात्मकता आई हो, मगर उनके परिवार के लिए गाय बेहद अपनी है। गाय है तो इनकी ईद है, इनके परिवार में रोटी है और इनके बच्चों की स्कूल की फीस है।

5 रुपये प्रति लीटर से गाय का दूध बेचने की शुरूआत करने वाले ताहिर सैफी अब 30 रुपये लीटर पर आ गए हैं। उनकी 8 गाय हैं। यही उनकी सबसे बड़ी पूंजी हैं। उनकी हर एक उम्मीद और उनकी हर एक मुश्किल की साथी भी। वो अपनी गायों को गांव में घेर (किसान का बड़ा सा घर, जहां वो अपने जानवर बांधते हैं) में बांधते हैं। गांव के बाहरी किनारे पर इस घेर में गोबर का बड़ा सा ढेर लगा रहता है। छप्पर के नीचे ताहिर की गाय बंधी हुई होती हैं।

Published: 27 Jun 2020, 5:10 PM IST

फोटोः आस मोहम्मद कैफ

बीते रविवार को ताहिर पर वज्रपात हुआ। सुबह जब वो अपनी बीवी निशा के साथ दूध निकालने पहुंचा तो चार गाय मरी हुई मिलीं। ताहिर बताते हैं कि “इसके तुरंत बाद मेरी पत्नी गश खाकर गिर पड़ी। हमारी कुछ समझ में नहीं आया कि यह क्या हुआ! गाय हमारे लिए सिर्फ एक जानवर नहीं है। वो हमारा परिवार है।”

ताहिर ने बताया, “उनमें से बदबू आ रही थी। पेट बड़ा हो गया था। जाहिर है शाम में दूध निकालकर ले जाने के कुछ देर बाद ही उनकी मौत हो गई! हम रोने लगे, तो आसपास के लोग जमा हो गए।गांव के ज्यादातर लोग वहां आ गए। मेरी 2 गाय दुधारू थी। दो मां बनने ही वाली थीं। एक 14 लीटर दूध देती थी। गांव का एक आदमी उसके 40 हजार रुपये लगाकर गया था, पर मैंने नहीं दी थी। मैं गाय बेचता नहीं हूं। पालता हूं। दूध बेचता हूं। एक बार एक लाख रुपये की भैस लाया था। लेकिन फिर 42 हजार में बेच दी। गाय के साथ जो एहसास थे, वो भैंस के साथ नहीं आ पाए।”

Published: 27 Jun 2020, 5:10 PM IST

फोटोः आस मोहम्मद कैफ

ताहिर ने आगे कहा, “गांव वाले भी हैरान थे। महिलाओं ने मेरी बीवी को संभाला। तकलीफ की इंतेहा यह थी कि होश में आने के बाद मेरी बीवी गाय के तीन दिन के बछड़े को गोद मे लेकर बैठ गई, जैसे वो ही अब इसकी मां हो! गांव में लोग पालतू जानवरों के जानकार होते हैं। सबने अनुमान लगाना शुरू किया इन्हें क्या हुआ होगा! निशा बताती है कि ज्यादातर इस बात पर सहमत थे कि हमारी गाय को जहर दिया गया था। इसकी वजह कुछ लोग उनके दूध वाले स्थान का नीला होना बता रहे थे।

ताहिर कहते हैं कि एक-दो ने यह भी कहा कि हो सकता है कि सांप ने काट लिया हो! लेकिन गायों की संख्या ज्यादा थी, इसलिए यह नही हो सकता था। कुछ लोगों की राय थी कि इन्होंने चारे के साथ केमिकल्स खा लिए। एक विकल्प यह भी था कि इन्हें जहर दे दिया गया हो। इसकी दो सूरत थी, पहली, किसी ने ऐसा रंजिशन किया और दूसरी जहरखुरानी गिरोह ने ऐसा किया हो।

निशा बताती हैं, “हमारी किसी से कोई रंजिश नही है। हम बेहद आम और ग़रीब लोग हैं। गांव में सबसे दुआ सलाम करते हैं। हमें तो कोई अपने खेत में घास काटने से मना नहीं करता है। गांव में कोई भी हमारे साथ ऐसा नहीं कर सकता है।” ताहिर बताते हैं कि जहरखुरानी गिरोह वाली बात भी सही नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि गांव में मुर्दा मवेशी का ठेका ही नहीं है। यह गिरोह जानवरों को मारकर उसके अवशेष बेच देता है, मगर अब इसकी संभावना नहीं है।

Published: 27 Jun 2020, 5:10 PM IST

फोटोः आस मोहम्मद कैफ

कुतुबपुर के किसान भरत सिंह गुर्जर बताते हैं कि इन गायों की मौत में इतने पेचीदा सवाल थे कि इनका पोस्टमार्टम कर मेडिकल साइंस इसे खोल सकता था। मगर ताहिर ने पोस्टमार्टम नहीं कराया। ताहिर कहते हैं, “वो सिर्फ एक जानवर नहीं थीं, बल्कि मेरे परिवार का एक हिस्सा थीं। वो मर चुकी थीं। मैं बर्बाद हो गया था। अब पोस्टमार्टम में उनकी चीरफाड़ होती जो मेरे लिए और भी अधिक तकलीफदेह होती। हमारे ही पड़ोस के कुछ लोगों के लिए वो मां जैसी है। मुझे उनकी मौत से बिल्कुल ऐसा ही लगा जैसे मेरे परिवार में ही किसी इंसान की मौत हो गई हो। मुझे मुआवज़ा मिल सकता था। मगर मेरी तक़लीफ़ ज्यों की त्यों रहती। इसलिए मैंने रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई।”

यह घटना कुतुबपुर गांव की है। मुजफ्फरनगर जिले के इस गांव का राजनीतिक दबदबा है। गांव की दो हजार की आबादी में लोग बेहद मिलजुल कर रहते हैं। इस घटना के 24 घंटे बाद इन्हीं गायों के आसपास बंधने वाली एक और गाय मर गई। अब मरने वाली गाय की तादाद 5 हो गई है। यह गाय ताहिर के बड़े भाई रहीमुद्दीन की थी। रहीमुद्दीन ने दौड़ भाग कर डॉक्टर बुला लिया। उसने गाय का इलाज भी किया, मगर उसे बचाया नहीं जा सका।

Published: 27 Jun 2020, 5:10 PM IST

जानवरों की बीमारियों के एक्सपर्ट डॉक्टर मोबिन हसन के अनुसार जब तक मेडिकल जांच न हो, तब तक सिर्फ अनुमान लगाया जा सकता है। लेकिन जो कुछ भी हुआ है, उससे एक गरीब आदमी बर्बाद जरूर हो गया है।

उधर, ताहिर के पास अब भी तीन गाय हैं, मगर वे दूध नहीं देती हैं। ताहिर का परिवार अब इन गायों के साथ रह रहा है। ताहिर खाली पड़े उन पांचो गायों के खूंटे को निहारते रहते हैं और कहते हैं यही उनका घर था। ताहिर कहते हैं, “अगर यह दुर्घटना है तो मेरी गलती क्या है! अगर यह हत्या है तो फिर इन बेजुबान गायों की गलती क्या है! कुछ तो जवाब होगा।”

Published: 27 Jun 2020, 5:10 PM IST

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Published: 27 Jun 2020, 5:10 PM IST