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दुनिया की खबरें: ट्रंप ने हमास को धमकाया, रविवार तक की दी मोहलत और भारत ने बांग्लादेश को दी नसीहत

ट्रंप ने लिखा, “हर देश ने इस पर हस्ताक्षर कर दिए हैं! अगर समझौते के इस आखिरी मौके में सफलता नहीं मिलती है, तो हमास पर ऐसा कहर टूटेगा, जैसा पहले कभी नहीं देखा गया। पश्चिम एशिया में किसी न किसी तरह से शांति कायम की जाएगी।”

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार को दो टूक कहा कि अगर हमास गाजा पट्टी के लिए प्रस्तावित शांति समझौते पर रविवार शाम छह बजे तक सहमत नहीं होता है, तो अधिक हमलों का सामना करना पड़ेगा।

ट्रंप ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, “हमास के साथ रविवार शाम छह बजे (वाशिंगटन डीसी के समयानुसार) तक समझौता हो जाना चाहिए।”

उन्होंने लिखा, “हर देश ने इस पर हस्ताक्षर कर दिए हैं! अगर समझौते के इस आखिरी मौके में सफलता नहीं मिलती है, तो हमास पर ऐसा कहर टूटेगा, जैसा पहले कभी नहीं देखा गया। पश्चिम एशिया में किसी न किसी तरह से शांति कायम की जाएगी।”

ट्रंप ने इस हफ्ते की शुरुआत में इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ हुई बातचीत के बाद गाजा पट्टी में युद्ध समाप्त करने के लिए एक योजना पेश की थी।

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भारत ने बांग्लादेश को दी नसीहत, अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों की जांच करे यूनुस सरकार

भारत ने शुक्रवार को बांग्लादेश के गृह सलाहकार जाहंगीर आलम चौधरी के हालिया बयान पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार को अपने अंदर झांकना चाहिए और देश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे हमलों की गंभीरता से जांच करनी चाहिए।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग में कहा, “हम इन झूठे और बेबुनियाद आरोपों को सख्ती से खारिज करते हैं। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार कानून-व्यवस्था बनाए रखने में नाकाम रही है और अक्सर अपनी नाकामियों से ध्यान भटकाने के लिए दूसरों पर आरोप लगाती है। उसे चाहिए कि वह आत्ममंथन करे और चिटगांव हिल ट्रैक्ट्स में अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ स्थानीय चरमपंथियों द्वारा की जा रही हिंसा, आगजनी और भूमि कब्जे की गंभीर जांच करे।”

यह प्रतिक्रिया चौधरी के उस बयान पर आई जिसमें उन्होंने खगड़ाछड़ी जिले में फैली अशांति के लिए नई दिल्ली को जिम्मेदार ठहराया था।

चिटगांव हिल ट्रैक्ट्स में आदिवासी लोगों के खिलाफ हुई हालिया हिंसा को लेकर वैश्विक समुदाय में चिंता बढ़ गई है। मानवाधिकार संगठनों ने अंतरिम सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की है, क्योंकि 28 सितंबर को एक मर्मा समुदाय की स्कूली छात्रा से गैंगरेप की घटना के बाद भड़की हिंसा में कई लोगों की मौत और घायल होने की खबरें आई हैं। इस दौरान सुरक्षा बलों पर व्यापक आगजनी, लूटपाट और अंधाधुंध गोलीबारी के आरोप लगे हैं।

इस बीच, जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र के बाहर 'इंटरनेशनल फोरम फॉर सेक्युलर बांग्लादेश' ने दो दिवसीय पोस्टर प्रदर्शनी आयोजित की। यह प्रदर्शनी संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 60वें सत्र के दौरान हुई, जिसमें 30 पैनलों के जरिए बांग्लादेश में बढ़ते कट्टरपंथ, सांप्रदायिक हिंसा, अल्पसंख्यक उत्पीड़न, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश, भीड़ द्वारा की जा रही हिंसा और यौन उत्पीड़न जैसे मुद्दों को उजागर किया गया।

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श्रीलंका में हर साल तंबाकू और शराब से हो रही 22 हजार मौतें

श्रीलंका में शराब पीने से मौत के चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। राष्ट्रीय तंबाकू एवं मद्य निषेध प्राधिकरण ने शुक्रवार को कहा कि श्रीलंका में शराब से संबंधित कारणों से हर साल लगभग 22,000 लोगों की मौत होती है।

न्यूज एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, श्रीलंका में विश्व संयम दिवस के अवसर पर मीडिया से बात करते हुए, राष्ट्रीय तंबाकू एवं मद्य निषेध प्राधिकरण के अध्यक्ष डॉ. आनंद रत्नायका ने चेतावनी दी कि देश में शराब का सेवन एक गंभीर जन स्वास्थ्य खतरा बना हुआ है, जहां 21 प्रतिशत आबादी शराब का सेवन करती है।

शराब के सेवन के खतरों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और स्वस्थ जीवनशैली को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से देश भर में कई कार्यक्रमों के साथ विश्व संयम दिवस मनाया जा रहा है। इस अवसर पर, शुक्रवार को श्रीलंका भर में सभी शराब की दुकानें बंद रहेंगी।

एक अन्य मामले में हाल ही में दक्षिण कोरिया की सरकार ने एक आंकड़ा जारी किया, जिसके अनुसार इस साल की पहली छमाही में 7 हजार से ज्यादा लोगों ने आत्महत्या कर ली। सांख्यिकी कोरिया के आंकड़ों के अनुसार, जनवरी से जून के बीच कुल 7,067 लोगों ने आत्महत्या की, जो पिछले साल के इसी समय के 7,844 आंकड़े से थोड़ी कम है।

इन आंकड़ों में 50 साल से अधिक उम्र के लोगों की हिस्सेदारी सबसे अधिक 22.4 प्रतिशत है, इसके बाद 40 साल (19 प्रतिशत), 60 साल (15.1 प्रतिशत), 30 साल (13.5 प्रतिशत), और 70 साल (9.8 प्रतिशत) के लोग शामिल हैं।

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ड्रोन देखे जाने के बाद म्यूनिख हवाई अड्डा अस्थायी रूप से बंद

म्यूनिख हवाई अड्डे को बृहस्पतिवार देर रात अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया। अधिकारियों ने बताया कि यह यूरोपीय संघ (ईयू) के सदस्य देशों के हवाई क्षेत्र में नवीनतम रहस्यमय ड्रोन उड़ान है।

हवाई अड्डा संचालकों ने एक बयान में कहा कि जर्मनी के हवाई यातायात नियंत्रण ने रात 10 बजे के बाद हवाई अड्डे पर उड़ानों पर प्रतिबंध लगा दिया और फिर उन्हें पूरी तरह से रोक दिया। 17 उड़ानें रवाना नहीं हो सकीं, जिससे लगभग 3,000 यात्री प्रभावित हुए, जबकि 15 आने वाली उड़ानों को जर्मनी के तीन अन्य हवाई अड्डों तथा ऑस्ट्रिया के वियना के एक हवाई अड्डे पर भेज दिया गया।

म्यूनिख हवाई अड्डे पर जर्मनी की संघीय पुलिस के प्रवक्ता स्टीफन बायर ने बताया कि स्थानीय समयानुसार सुबह पांच बजे हवाई अड्डे से उड़ानों का परिचालन फिर से शुरू हो गया। अधिकारी तत्काल इस बारे में कोई जानकारी नहीं दे पाए कि इस तरह की घटनाओं के पीछे किसका हाथ है।

बायर ने बताया कि हवाईपट्टी बंद होने के बाद संघीय पुलिस ने ड्रोन का पता लगाने के लिए हेलीकॉप्टर और अन्य साधन तैनात किए, लेकिन उनका कोई पता नहीं चल सका।

जर्मन समाचार एजेंसी ‘डीपीए’ की खबर के अनुसार, फंसे हुए सैकड़ों यात्रियों ने टर्मिनल में रखी गई कुर्सियों पर रात बिताई या उन्हें होटलों में ले जाया गया और उन्हें कंबल तथा खाने-पीने के सामान वितरित किये गए। बेल्जियम में रात में ड्रोन देखे गए।

रक्षा मंत्री थियो फ्रेंकेन ने ले सोइर अखबार को बताया कि बेल्जियम में जर्मन सीमा के निकट एक सैन्य अड्डे के ऊपर रात में कई ड्रोन देखे गए।

मंत्री ने इस बात की पुष्टि नहीं की कि एल्सेनबॉर्न सैन्य अड्डे के आसपास आधी रात के बाद कितने ड्रोन उड़ रहे थे, जो मुख्य रूप से एक फायरिंग रेंज के साथ सेना प्रशिक्षण केंद्र के रूप में कार्य करता है। बेल्जियम के सार्वजनिक प्रसारक वीआरटी ने कहा कि बेस के पास 15 ड्रोन देखे गए, जो म्यूनिख से लगभग 600 किलोमीटर दूर है।

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