विचार

मोदी सरकार ने एक साल पहले ही बढ़ाया था 50 फीसदी किराया, और अब छीन ली हज सब्सिडी

मोदी सरकार ने हज यात्रियों को दी जाने वाली सब्सिडी खत्म करने का ऐलान किया है। इस फैसले से हज यात्रियों पर क्या असर पड़ेगा और उन पर कितना आर्थिक बोझ बढ़ेगा, आइए इसे समझने की कोशिश करते हैं।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया हज के दौरान हरम शरीफ 

जिस हज सब्सिडी को सुप्रीम कोर्ट ने 2022 तक खत्म करने के लिए कहा था, उसे खत्म करने की मोदी सरकार की जल्दबाजी किसी की समझ से परे है। मोदी सरकार ने सब्सिडी खत्म करने का जो अचानक फैसला लिया है, उसके पीछे वोटबैंक की राजनीति के अलावा कुछ और नहीं दिखाई दे रहा है। सरकार ने इस फैसले से बीजेपी के मतदाताओं को ये संदेश दिया है कि हमने मुसलमानों से हज के लिए मिलने वाली सब्सिडी छीन ली है।

वहीं दूसरी ओर, मुसलमानों ने तीन तलाक की तरह ही इस फैसले का भी स्वागत किया है। जिस तरह, तीन तलाक के मामले में मुसलमानों के बीच कई तरह के सवाल थे और वे चाहते थे कि उस मामले में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड कोई कदम उठाए। उसी तरह मुसलमानों को इस बात का भी एहसास था कि हज के लिए सब्सिडी लेना इस्लाम के नियमों के अनुसार सही नहीं है। इन दोनों मामलों में तो सरकार ने अपने वोट बैंक की राजनीति को ध्यान में रखते हुए फैसला ले लिया, लेकिन इससे मुसलमानों की ही इच्छा पूरी हुई है। तभी तो ऊर्दू में कहा जाता है कि “हर एक शर में खैर का पहलू छिपा हुआ है”।

विमान किराये को लेकर अगले महीने टेंडर मंगाए जाने हैं। लेकिन जो किराया पिछले साल यानी 2017 के हज के लिए तय हुआ था वह 62045 रुपये प्रति हाजी था। सब्सिडी खत्म होने के बाद अलग-अलग उड़ान केंद्र ( एम्बार्केशन प्वाइंट) से जाने वाले हाजियों के किराये में अलग अलग बढ़ोतरी होगी। पिछले साल अलग-अलग उड़ान केंद्र से जाने पर अलग-अलग किराये थे और जो बढ़ा हुआ किराया था सरकार ने उसका भुगतान सब्सिडी के तौर पर किया था। इस वजह से मुंबई, हैदराबाद और अहमदाबाद से हवाई अड्डे से जाने वाले हज यात्रियों को कोई सब्सिडी नहीं मिली थी, क्योंकि वहां के लिए विमान का जो किराया तय हुआ था, वह 62045 रुपये से कम था। यहां यह भी बता दें कि पिछले साल औरंगाबाद से जाने वाले हज यात्रियों को 80748 रुपये किराया देना पड़ा था, यानी उसे सरकार की तरफ से 18700 रुपये की सब्सिडी मिली, क्योंकि टेंडर में किराया 62045 रुपये तय था, इसलिए उसके ऊपर की रकम सरकार ने सब्सिडी के तौर पर दी। यहां गौर करने वाली बात ये है कि 2016 में यह किराया 45000 रुपये था, जो 2017 में बढ़कर 62045 रुपये हो गया था।

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हज किराये में इतनी बड़ी बढ़ोतरी मोदी सरकार के दौर में हुई। पिछले साल गुवाहाटी से जाने वाले हज यात्रियों को सबसे ज्यादा सब्सिडी मिली थी, क्योंकि वहां से हवाई किराया 111723 रुपये था, इसलिए सब्सिडी के तौर पर वहां के हज यात्रियों को 49650 रुपये मिले थे। श्रीनगर, गया और रांची से जाने वाले हज यात्रियों को 40,000 रुपये से ज्यादा की सब्सिडी मिली थी। दिल्ली से जाने वाले हज यात्रियों को सिर्फ 6300 रुपये की सब्सिडी मिली थी। बता दें कि इन किरायों में एयरपोर्ट टैक्स शामिल नहीं है। पिछले साल दिल्ली के हज यात्रियों को एयरपोर्ट टैक्स शामिल करने के बाद 73,000 रुपये देने पड़े थे।

पिछले साल जो हज यात्री ग्रीन कैटेगरी में गए थे, यानी जिनका पड़ाव हरम शरीफ के पास में था उनको हज यात्रा के लिए 2,37,000 रुपये खर्च करने पड़े थे। वहीं हज यात्रा के दौरान जो लोग अजीजिया में ठहरे थे, उनको 2,03,000 रुपये का भुगतान करना पड़ा था।

हज मामलों के जानकार और मुस्लिम संगठनों का मानना है कि सऊदी सरकार और हिंदुस्तानी सरकार की मिलीभगत की वजह से किराये इतने ज्यादा हैं। उनका कहना है कि अगर हज उड़ान के लिए ग्लोबल टेंडर मंगाए जाएं तो ये किराये बहुत कम हो जाएंगे, जिससे हज यात्री को सब्सिडी से ज्यादा फायदा होगा। सऊदी एयरलाइंस के पास अपने विमान नहीं हैं, इसलिए वह उन विमान कंपनियों की सेवा लेती है जिनके विमान खाली खड़े होते हैं। अगर ग्लोबल टेंडर होगा तो ये विमान कंपनियां खुद टेंडर में हिस्सा लेंगी, जिससे किराये बहुत कम हो जाएंगे। ये बात गौर करने वाली है कि किसी भी एयरलाइंस से बहुत पहले टिकट लेने पर बहुत भारी छूट मिलती है। यहां तो एक साल पहले वक्त का पता चल जाता है। हज के दौरान कोई सीट खाली नहीं रहती और एयरलाइंस कंपनी को बहुत बड़ा कारोबार मिलता है। इसलिए अगर सरकार इसमें ग्लोबल टेंडर मंगाए, तो उसका हज यात्रियों को को बहुत बड़ा आर्थिक लाभ होगा।

हज सब्सिडी खत्म करने पर एक बड़ा सवाल ये भी खड़ा होता है कि सब्सिडी की रकम के तहत हज यात्रियों के लिए जो करोड़ों रुपये की दवाएं और बतौर खादिमे हुज्जाज 400 के करीब सरकारी अधिकारी जाते थे, उनका खर्च अब किस मद से होगा। इसका बोझ हज यात्रियों को उठाना पड़ेगा या अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को। अगर ये बोझ हज यात्रियों पर डाला गया तो हज और मंहगा हो

सरकार ने चाहे किसी भी वजह से सब्सिडी खत्म की हो, उससे किसी को एतराज नहीं, लेकिन सरकार को चाहिए कि वह विमान सेवा के लिए ग्लोबल टेंडर जारी करे, ताकि हज यात्रियों को फायदा हो ना कि एयरलाइंस को।

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