विचार

आसानी से हराया जा सकता है मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी को: चिदंबरम

पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने पीएम मोदी और बीजेपी पर हमला करते हुए उनके वादों और दावों की धज्जियां उड़ाई हैं। उन्होंने कहा कि अगर सतर्कता से रणनीति बनाई जाए तो बीजेपी को आसानी से हराया जा सकता है।

फाइल फोटो
फाइल फोटो पूर्व वित्तमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम

पूर्व वित्तमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी को आसानी से हराया जा सकता है। उन्होंने कहा कि दिल्ली और बिहार के नतीजों ने ये साबित किया था कि एक मजबूत मुद्दा और सतर्कता से बनाई गई रणनीति से बीजेपी को फिर हराया जा सकता है।

रविवार सुबह एक के बाद एक ट्वीट कर चिदंबरम ने पीएम मोदी पर हमला करते हुए कहा कि मोदी सरकार रोजगार के मोर्चे पर बुरी तरह नाकाम हुई है और रोजगार की मुद्दा ही आने वाले 16 महीनों में चुनावी मुद्दा बनेगा, जिसमें लोकसभा चुनाव भी होंगे।

उन्होंने इशारों-इशारों में गुजरात के नतीजों का जिक्र करते हुए कहा कि जीत की आखिरी रेखा तक पहुंचते-पहुंचते बीजेपी लड़खड़ा गई है और उसे एक युवा और ऊर्जावान प्रतिस्पर्धी ने जबरदस्त चुनौती दी है।

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उन्होंने लिखा कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही विजेता रहीं। बस बीजेपी ने चुनावी जीत हासिल की, जबकि कांग्रेस ने राजनीतिक जीत।

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चिदंबरम ने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी अजेय नहीं है। दिल्ली और बिहार के नतीजे महज इत्तिफाक नहीं थे। एक मजबूत मुद्दा और सतर्कता से बनाई गई रणनीति से बीजेपी को हराया जा सकता है।

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उन्होंने गुजरात चुनाव का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि गुजरात में महत्वपूर्ण मुद्दा जाति का नहीं था, बल्कि लोगों को एकजुट करने का था। इसी तरह की एकजुटता दूसरे मुद्दों पर भी हो सकती हैं। ये मुद्दे बेरोजगारी, किसानों की दिक्कतें और समाज में बढ़ती असमानता के साथ धर्म से जुड़े भी हो सकते हैं।

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पीएम मोदी पर हमला करते हुए उन्होंने चेताया कि प्रधानमंत्री को अपने वादे पूरे करने होंगे। उन्होंने पीएम मोदी को विकास, रोजगार और नौकरियां, किसानों की आमदनी दोगुना करना ौर सबका साथ, सबका विकास के वादे याद दिलाए। चिदंबरम ने कहा कि मोदी सरकार के पहले तीन वर्षों में देश के विकास की रफ्तार औसत 7.5 फीसदी रही, वह भी नई गणना के हिसाब से। (जो काफी नहीं है)

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उन्होंने कहा कि अंत में 2018-19 के दौरान देश की आर्थिक स्थिति का ही मुद्दा होगा जो अगले 16 महीनों में होने वाले चुनावों का निर्णायक कारक बनेगा। इन चुनावों में लोकसभा चुनाव भी शामिल हैं। पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर भी सबसे बड़ा मुद्दा रोजगार और नौकरियों का होगा।

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उन्होने प्रधानमंत्री के उस दावे की भी धज्जियां उड़ा दीं जो वे मुद्रा योजना के बारे में करते हैं। चिदंबरम ने कहा कि मुद्रा योजना के तहत उद्यमियों के 3.10 करोड़ का कर्ज मंजूर किया गया। उनका कहना है कि अगर इसी आंकड़े को देखें तो इससे एक उद्यम से मात्र एक ही रोजगार या नौकरी पैदा होती है।

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चिदंबरम ने कहा कि मुद्रा कर्ज कोई नई योजना नहीं है। मुद्रा योजना दरअसल सरकारी बैंकों और क्षेत्रीय बैंकों द्वारा दिए जाने वाले कर्ज का कुल योग भर है, जो वर्षों से चल रहा है। उन्होंने लिखा कि 28 जुलाई 2017 तक 8.56 करोड़ कर्ज दिए गए, जिसमें कुल 3.69 लाख करोड़ मंजूर हुए। इस तरह इसे देखें तो एक उद्यम को सिर्फ 43000 रुपए का कर्ज दिया गया।

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उन्होंने सवाल किया है कि, तो क्या हम यह विश्वास कर लें कि 43000 रुपए से रोजगार पैदा हो रहा है या नौकरी पैदा हो रही है। उन्होंने हिसाब लगाते हुए बताया है कि किसी नए वर्कर को न्यूनतम वेतन से भी कम मात्र 5000 रुपए महीने पर रखा जाएगा, तो भी ये पैसा सिर्फ 8 महीनों में हवा हो जाएगा। इतना ही नहीं, सिर्फ 43000 रुपए का निवेश कर क्या 5000 रुपए महीने की अतिरिक्त आमदनी की जा सकती है।

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उन्होंने लिखा है कि मुद्रा योजना से नौकरियां पैदा करने का दावा बिल्कुल वैसा ही है जैसा कि 2014 चुनाव से पहले हर भारतीय के खाते में 15 लाख रुपए आने का था।

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