विचार

विष्णु नागर का व्यंग्य: कभी ‘मेरा भारत महान’ हुआ करता था, अब मोदीजी ‘महान’ हैं!

इस समय भारत महान अवश्य नहीं हैं मगर अपवाद रूप में मोदी जी ‘महान’ हैं। रोज उनकी ‘महानता’ की गाथा सुनने-पढ़ने को मिलती है। सरकारी विज्ञापन की तो परिभाषा ही अब यह  हो चुकी है कि जो मोदी जी की महानता का नखशिख वर्णन करे, उसे  ही विज्ञापन  कहते हैं।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया पीएम मोदी का फिटनेस चैलेंज

भारत कभी महान जरूर रहा होगा लेकिन हाय, उस भारत में, मैं और मेरे जैसे फालतू लोग पैदा नहीं हो सके। कारण यह रहा होगा कि भारत तो महान बन चुका था और हम थे (और हैं ) अदने, इसलिए जब हमें उपयुक्त वातावरण मिला, खाद-पानी-रोशनी मिली यानी जब भारत अ-महान हो गया, तब जाकर मेरे जैसे तमाम लोगों को जन्म लेने का अवसर मिला। जैसे-जैसे  भारत की महानता पर धूल-कचरे की परतें बढ़ती गईं, वैसे-वैसे हम जैसे लोग फलने-फूलने और बड़े-बूढ़े होने लगे।

इस समय भारत महान अवश्य नहीं हैं मगर अपवाद रूप में मोदी जी 'महान' हैं। रोज उनकी 'महानता' की गाथा सुनने-पढ़ने को मिलती है। सरकारी विज्ञापन की तो परिभाषा ही अब यह  हो चुकी है कि जो मोदी जी की महानता का नखशिख वर्णन करे, उसे  ही विज्ञापन  कहते हैं। वैसे भी भारत में पहले तो सिर्फ महान लोग ही हुआ करते थे मगर हमारे मोदीजी तो न केवल महान हैं बल्कि फिट भी हैं। फिटनेस और महानता का मणिकांचन संयोग भारत के इतिहास में सिर्फ मोदी जी के यहां मिलता है (वैसे इतिहास मैंने भी उतना ही पढ़ा है, जितना मोदी जी ने पढ़ा है। हां इतना जरूर है कि तीन का पहाड़ा तो मैं सपने में भी सुना सकता हूं)। किसी महान ने कभी किसी के सामने फिटनेस चैलेंज फेंका हो, इसके उदाहरण भी नहीं मिलते। इधर हमारे 'महान' आणि फिट मोदी जी को समझ में नहीं आ रहा है कि इतनी 'महानता' और इतनी फिटनेस का करें तो क्या करें !रायता तो बना नहीं सकते क्योंकि रायता बनाया और वह गलती से फेल गया तो उसे समेटना मुश्किल हो जाएगा। व्यक्ति की 'महानता' प्लस फिटनेस इसे समेटने में मदद नहीं करती, उल्टा इसे फैलाने में 'सहयोग' करती है।

वैसे यह भी जरूरी नहीं कि सारे महान एक ही समय में पैदा हो जाएं। किसी देश और संस्कृति की महानता इससे भी परखी जाती है कि जब वह देश और उसकी संस्कृति महान नहीं रह जाए, जब उसका 'जगद्गुरू' टाइप स्टेटस पुरातत्व की सामग्री बन चुका हो, उस वक्त के लिए उसने महानता का कुछ स्टॉक बचाकर रखा है या नहीं? मोदीजी और उनके भक्त इसी बचे-खुचे स्टॉक के कुछेक नायाब से नमूने हैं।अच्छा यह है कि ऐसे नमूनों को कोहिनूर समझकर अंग्रेज अपने साथ इंग्लैंड नहीं ले गए थे, भारत में छोड़ गए थे, तब हमें जाकर मोदी जी जैसा हीरा मिला, वरना हम इन्हें अंग्रेजों से मांगते रहते और वे कहते सॉरी, हम नहीं दे सकते। वे उन्हें अपनी कस्टडी में रख लेते तो हमारी डेमोक्रेसी का क्या हाल हुआ होता! अंग्रेज हमारे इस नमूने से अपना लोकतंत्र तो मजबूत कर लेते और हमारा लोकतंत्र लल्लू का लल्लू रह जाता! इसका नुकसान  यह भी होता कि मेरे जैसे लघुमानवों को महानों के  इस बचे-खुचे स्टॉक के बीच जीने-मरने का सुअवसर नहीं मिल पाता!

दुख यह है कि इतना सब होने के बावजूद हम जैसों को मोदी जी जैसा महान तो क्या, उन जैसा फिट रहने का असफल प्रयास करने तक की प्रेरणा नहीं मिल पाई! क्योंं नहीं मिल पाई, इसे आज तक न भक्त समझ पाये हैं और न मैं। सोच रहा हूं फिट और महान एक साथ बनने का कोई कोर्स किसी यूनिवर्सिटी में इस सरकार ने शुरू करवाया हो तो स्मृति ईरानी या मोदीजी टाइप कोई डिग्री ले लूं। और लूं तो फिर दिल्ली विश्वविद्यालय से ही लूं, क्योंकि भागलपुर विश्वविद्यालय से लूंगा तो दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर की तरह फंस जाऊंगा और बदनाम हो जाऊंगा।

Published: undefined

कुछ कहते हैं मोदीजी को 'महान' बताकर आप उन्हें बदनाम करने की साजिश कर रहे हैं, वे फिट हैं, 'महान' नहीं। महान तो केवल गांधीजी थे। दरअसल वही अकेले थे, जो फिट भी थे और महान भी। कुछ कहते हैं कि गांधीजी तो थे न कभी, आज तो मोदी जी हैं न। वैसे भी गांधीजी, जिस तरह के महान थे, अब भी वैसे ही महान होने लगते तो 'सबका साथ, सबका विकास' तो फिर कौन करने आता! क्या गांधीजी हर हिंदुस्तानी की जेब में 15-15 लाख रुपये डाल सकते थे? जो गांधीजी अपना 'विकास' न कर सके, न करवा सके, जो 15 लाख क्या, 15 रुपये दिलाने  का वायदा भी न कर सके, न करवा सके, वे क्या 'विकास' करते और करवाते? और गांधीजी फिट थे मगर मोदीजी टाइप फिट भी नहीं थे कि फिटनेस चैलेंज दे सकें। दरअसल उनकी मेंंटल फिटनेस का लेवल इतना ऊंचा था कि इसकी कल्पना तक नहीं कर सकें। मेरे क्या दुनिया भर के ख्याल से किसी नमो और किसी शाह को वहां तक पहुंचने के लिए 7 जन्म तो क्या, 700 जन्म भी कम पड़ते, जबकि 7 क्या, दूसरा जन्म भी किसी का नहीं मिलता। वैसे अपने जमाने के कई फिट दूसरे जमाने में इतने अनफिट पाए गये हैं कि उनसे पानी का गिलास तक नहीं उठा!

बहरहाल यह तो कम से कम सिद्ध हुआ कि मोदीजी की 'महानता' उनकी फिटनेस है। जहां आधे लोगों को भरपेट खाना नहीं मिलता हो, रहने को घर नहीं मिलता हो, जीने को ऑक्सीजन नहीं मिलती हो, वहां का प्रधानमंत्री इस बात का गौरव हासिल करना चाहे कि वह बहुत फिट है, इतना ज्यादा फिट है कि दो-दो बार हार्ट सर्जरी करवा चुके कर्नाटक के मुख्यमंत्री को फिटनेस चैलेंज दे सके, वह वास्तव में महान है, ग्रेट है। मोदी जी तुसी वाकई महान हो। क्यों भक्तों हैं न आपके भगवान महान? कभी मेरा भारत महान हुआ करता था, अब हमारे मोदी जी महान हैंं। बहुत प्रोग्रेस हो गई है भई, इक्कीसवीं सदी में!

Published: undefined

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: undefined

  • मायावती की पार्टी पर बरसे पूर्व सांसद धनंजय सिंह, बोले- बीएसपी ने पत्नी का टिकट काटकर मुझे बेइज्जत करने की साज़िश की

  • ,
  • बड़ी खबर LIVE: दिल्ली के तिलक नगर इलाके में ताबड़तोड़ फायरिंग, कुछ लोगों को चोटें आईं, मचा हड़कंप

  • ,
  • लोकसभा चुनावः BSP ने बस्ती में आखिरी क्षणों में बदला उम्मीदवार, दयाशंकर मिश्र की जगह लवकुश पटेल ने किया नामांकन

  • ,
  • लोकसभा चुनाव 2024: तीसरे चरण में 93 सीटों पर कल मतदान, कई केंद्रीय मंत्रियों की 'अग्निपरीक्षा'

  • ,
  • दुनियाः सुनीता विलियम्स कल तीसरी बार अंतरिक्ष के लिए भरेंगी उड़ान और यूक्रेन में रूसी हवाई हमलों से बिजली गुल