विचार

विष्णु नागर का व्यंग्यः सौ साल से जिन घुटनों को झुकने की आदत, अब खड़े हों भी तो कैसे!

दम होता तो भागवत जी कहते कि जगह-जगह वोट चोरी का भांडा फूट चुका है, राहुल गांधी देश का हीरो बनता जा रहा है, षड़यंत्र से उसे दबाने का समय जा चुका है, अब हट जाओ, बच जाओ। हर क्षण हर जगह चेहरा दिखाने की बीमारी से अब तो बाज आ जाओ।

सौ साल से जिन घुटनों को झुकने की आदत, अब खड़े हों भी तो कैसे!
सौ साल से जिन घुटनों को झुकने की आदत, अब खड़े हों भी तो कैसे! फोटोः सोशल मीडिया

तो भाइयों-बहनों, जो यह समझते थे कि मोहन भागवत संघ प्रमुख के नाते इतने ताकतवर हैं कि नरेंद्र मोदी को उनके 75वें जन्मदिन पर पद से हटने के लिए मजबूर कर देंगे, उन्हें गलत साबित होना था और वे हो गए। भागवत जी विद्वान तो नहीं हैं मगर यह कहां लिखा है कि व्याख्यान विद्वान व्यक्ति ही दे सकता है? जो 'बौद्धिक' दे सकता है, वह व्याख्यान क्यों नहीं दे सकता है? संघ के लिए दोनों एक हैं।

तो उन्होंने तीन दिवसीय व्याख्यान दिए! उन्हें पता है कि वे जो कुछ भी अटरम-शटरम बोलेंगे, मोदी राज में सारे टीवी और अखबार वाले झख मारकर उसे श्रद्धापूर्वक प्रसारित-प्रचारित करेंगे। व्याख्यान के अंतिम दिन भागवत जी ने सवालों के जवाब देकर यह संदेह दूर कर दिया कि संघ में दम है। बता दिया कि वह नरेंद्र मोदी के सामने हथियार डाल चुका है। उन्होंने कहा कि पहले मैंने जो भी कहा हो, उसे भूल जाओ। समझो कि वह एक मजाक था। सच यह है कि न मैं अपने 75वें जन्मदिन पर रिटायर होने वाला हूं और न कोई और यानी नरेन्द्र मोदी रिटायर होकर उस मार्गदर्शक मंडल में जाने वाले हैं, जो होकर भी नहीं है और नहीं होकर भी है क्योंकि उसके आडवाणी और जोशी जैसे नेता आज भी सदस्य बने हुए हैं!

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दम ही नहीं है नरेन्द्र मोदी के सामने खड़े होने का‌ तो फिर अपना सौ साला जश्न किसलिए मना रहे हो? ये क्या हथियार डालने के सौ सालों का उत्सव है? जब देश का जन-जन आजादी की लड़ाई लड़ रहा था, तब आप अंग्रेजों की गोद में बैठे हुए थे। आजादी की लड़ाई के विरोध में थे। अंग्रेजों के सामने घुटने टेके हुए थे। जब आज़ादी आई और महात्मा गांधी की हत्या में संघ का नाम आया और सरदार पटेल ने प्रतिबंध लगा दिया तो पटेल और नेहरू के सामने घुटने टेक दिए। बचा लो किसी तरह हमें। हम आपकी हर बात मानेंगे। इस तरह प्रतिबंध हटवाया। फिर इंदिरा गांधी के सामने आपातकाल में हथियार डाल‌ दिए और आपातकाल का समर्थन किया।अब अपने ही स्वयंसेवक के आगे झुके हुए हैं।

अपने संगठन और अपने स्वयंसेवकों का भरोसा होता, दम होता तो अपने जन्मदिन पर पद से हटकर भागवत जी, मोदी के सामने मुश्किल खड़ी कर सकते थे। मोदी ने इतना उपकृत किया है कि दम ही नहीं बचा है। मोदी को हटवाने का दम तो है ही नहीं, इतना भी दम नहीं है कि बीजेपी का नया अध्यक्ष अपने आदमी को बनवा सकें। संघ के किसी अपने आदमी को मोदी इस पद पर बैठा हुआ देखना नहीं चाहता और इनमें इतना दम नहीं है कि चुनौती देकर कह सकें कि तुमने बहुत मनमानी कर ली, अब अध्यक्ष तो वही बनेगा, जिसे हम बनाएंगे।

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संघ कहता है, इसे अध्यक्ष बनाओ, तो मोदी कहते हैं, नहीं, इसे तो बिल्कुल नहीं बनाएंगे। संघ कहता है कि अच्छा उसे छोड़ो, इसे बना दो। मोदी कहते हैं, इसे क्यों बनाएं? इसे भी नहीं बनाएंगे। संघ जिसकी भी सिफारिश करता है, मोदी उसे ठुकरा देते हैं। एक दिन मोदी कहेंगे कि भागवत जी आपके साथ अध्यक्ष-अध्यक्ष का खेला बहुत हो चुका। अब ये खेल खत्म करता हूं और ये रहा मेरा उम्मीदवार। जिसमें दम हो, इसे हरा कर देख ले और फिर भागवत जी घुटने टेक देंगे कि हम तो बीजेपी के मामले में हस्तक्षेप नहीं करते जी!

घुटनों में दम होता तो क्या ये नरेन्द्र मोदी को 2014 में प्रधानमंत्री पद के लिए खड़ा होने देते और उसे जिताने के लिए मैदान में कूद पड़ते? यही वह मोदी थे न, जिसने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए संघ को घुटने पर ला दिया था! गुजरात में मोदी ही बीजेपी थे और मोदी ही संघ। संघ वहां हवा हो गया था!

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इनमें बस हिन्दू-मुस्लिम करवाने का दम है, जिसकी प्रैक्टिस ये सौ साल से करते आ रहे हैं। दम अयोध्या, मथुरा, काशी के नाम पर हिंदू-मुस्लिम दंगा करवाने का है, जो ये एक शताब्दी से करते आ रहे हैं। और दम है जमकर झूठ बोलने का, जो ये और इनका लाडला स्वयंसेवक रोज बेशर्म होकर बोलता रहता है। मोदी के सहारे इनमें इतना ही दम है कि दिल्ली में 150 करोड़ की लागत से 300 कमरों का भव्य भवन बनवा सकें!

हेडगेवार भवन और केशव कुंज पर छापा नहीं पड़े, इसे सुनिश्चित करवा सकें। इनके स्वयंसेवकों के घरों और दफ्तरों पर ईडी, सीबीआई नहीं भेजा जाए, इतना इन्होंने अपने पुराने स्वयं सेवक के जरिए पक्का करवा लिया है। हिंदू राष्ट्रवाद के नाम पर इतना लाभ लेकर संघ खुश है। आज बीजेपी, संघ की छत्रछाया में नहीं पल रही है बल्कि संघ, बीजेपी की छत्रछाया में पल रहा है! कैसे बोलेंगे? कैसे घुटनों पर खड़े होंगे?

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इस बचे-खुचे दम का ही आनंद आज संघ उठा रहा है। दम होता तो संघ कहता कि माननीय मोदी जी, सारी‌ दुनिया में आपकी थू-थू हो रही है, उम्र के 75वें साल में सिद्धांत का बाना ओढ़कर शहीद हो जाइए, झोला लेकर चल दीजिए। चाहें‌ तो झोले में पूरा 10 लोक कल्याण मार्ग उठा ले जाइए मगर कृपया बहुत हो गया, अब जाइए। मोदी जी, ये ट्रंप का अमेरिका आपसे संभल नहीं रहा है, भारत की बर्बाद अर्थव्यवस्था को और बर्बाद करने पर तुला है, इसलिए हट जाइए वरना आपके साथ हमारा भी बंटाधार हो जाएगा!

दम होता तो कहते कि जगह-जगह वोट चोरी का भांडा फूट चुका है, राहुल गांधी देश का हीरो बनता जा रहा है, षड़यंत्र से उसे दबाने का समय जा चुका है, अब हट जाओ, बच जाओ। हर क्षण हर जगह चेहरा दिखाने की बीमारी से अब तो बाज आ जाओ। अडानी के कारण तुम इतने बदनाम हो चुके हो कि लोग तुम्हें अडानी का नौकर कहने लगे हैं, इसलिए हट जाओ। है इतना दम? सौ साल की उम्र में वैसे भी घुटने जवाब दे जाते हैं। फिर सौ साल से जिन घुटनों को झुकने की आदत पड़ चुकी है, वे अब उठ सकते भी नहीं! कल कोई और आएगा और उसने इन्हें झुकने की इजाजत दी तो उसके सामने भी झुक जाएंगे! झुकने की जन्मजात आदत जो है!

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