शख्सियत

केरल के पूर्व सीएम और दिग्गज वामपंथी नेता अच्युतानंदन का निधन, 101 वर्ष की उम्र में ली आखिरी सांस

‘वीएस’ के नाम से मशहूर अच्युतानंदन 1964 में सीपीआई से अलग होकर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई-एम) बनाने वाले 32 संस्थापकों में से दो जीवित बचे नेताओं में से एक थे। वह जीवन भर श्रमिकों के अधिकारों, भूमि सुधारों और सामाजिक न्याय के पक्षधर रहे।

केरल के पूर्व सीएम और दिग्गज वामपंथी नेता अच्युतानंदन का निधन, 101 वर्ष की उम्र में ली आखिरी सांस
केरल के पूर्व सीएम और दिग्गज वामपंथी नेता अच्युतानंदन का निधन, 101 वर्ष की उम्र में ली आखिरी सांस फोटोः सोशल मीडिया

भारत के सबसे सम्मानित कम्युनिस्ट नेताओं में से एक और केरल के पूर्व मुख्यमंत्री वी. एस. अच्युतानंदन का सोमवार को तिरुवनंतपुरम के एक निजी अस्पताल में 101 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। सीपीएम के संस्थापक सदस्य रहे अच्युतानंदन 2006 से 2011 तक केरल के मुख्यमंत्री रहे थे और राज्य की राजनीति में दशकों तक एक प्रभावशाली हस्ती के रूप में जाने जाते थे।

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सीपीएम के प्रदेश सचिव एम. वी. गोविंदन ने अच्युतानंदन के निधन की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि लगभग एक महीने पहले हृदयाघात के बाद यहां एक निजी अस्पताल में भर्ती कराए गए वरिष्ठ नेता का आज निधन हो गया। गोविंदन ने कहा कि अच्युतानंदन केरल के राजनीतिक इतिहास के एक प्रमुख व्यक्ति थे। सीपीएम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, कॉमरेड वी एस अच्युतानंदन को श्रद्धांजलि अर्पित। उनको सलामी में पार्टी का झंडा झुकाया जाता है।

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‘वीएस’ के नाम से मशहूर अच्युतानंदन 1964 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) से अलग होकर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) बनाने वाले 32 संस्थापकों में से दो जीवित बचे नेताओं में से एक थे। अच्युतानंदन ने 2006 में 82 साल की उम्र में पार्टी की केरल की सत्ता में वापसी कराई और अगले पांच साल तक मुख्यमंत्री रहे। वह सात बार राज्य विधानसभा के लिए चुने गए, जिनमें से तीन बार वह नेता प्रतिपक्ष रहे।

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अच्युतानंदन बीते कुछ सालों से बढ़ती उम्र के कारण सार्वजनिक जीवन से दूर थे और तिरुवनंतपुरम में अपने बेटे के घर पर रह रहे थे। उम्र संबंधी स्वास्थ्य समस्याओं के कारण वह ज्यादातर अपना समय घर पर गुजार रहे थे। अच्युतानंदन के निधन पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने शोक व्यक्त करते हुए उन्हें एक 'महान कम्युनिस्ट नेता' और जनता का प्रिय जननेता बताया है। उन्होंने कहा कि अच्युतानंदन का जीवन साधारण पृष्ठभूमि से उठकर जननेता बनने की प्रेरणादायक यात्रा रही।

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जीवन भर श्रमिकों के अधिकारों, भूमि सुधारों और सामाजिक न्याय के पक्षधर रहे अच्युतानंदन के निजी सचिव ए जी शशिधरन नायर ने बताया कि वीएस एक ऐसा नेता थे जो कभी किसी से नहीं डरते थे। जब भी वह किसी मुद्दे को उठाते थे, पार्टी लाइन की परवाह नहीं करते थे। उन्होंने एक घटना का जिक्र किया जब उनके बेटे वी.ए. अरुण कुमार की नियुक्ति पर लगे आरोपों की जांच खुद विधानसभा समिति से कराने की घोषणा वीएस ने की थी। बाद में आरोप झूठे साबित हुए थे।

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