भारतीय मूल के नोबेल पुरस्कार विजेता लेखक और प्रसिद्ध ब्रिटिश उपन्यासकार सर वीएस नायपॉल का रविवार को निधन हो गया। वे 85 वर्ष के थे। नायपॉल के परिजनों ने उनकी मृत्यु की पुष्टि की है।
नायपॉल के निधन पर उनकी पत्नी ने एक बयान में कहा कि , "उन्होंने रचनात्मकता भरी ज़िंदगी जी। आखिरी वक्त में उन्हें प्यार करने वाले तमाम लोग उनके पास थे।"
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सर विद्याधर सूरजप्रसाद नायपॉल को 1971 में बुकर प्राइज और 2001 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। नायपॉल का जन्म 1932 में त्रिनिदाद में हुआ था। 'ए बेंड इन द रिवर' और 'अ हाउस फॉर मिस्टर बिस्वास' उनकी चर्चित कृतियां हैं। नायपॉल की पहली किताब 'द मिस्टिक मैसर' 1951 में प्रकाशित हुई थी।
मशहूर लेखक और उपन्यासकार सलमान रुश्दी ने नायपॉल को अपना भाई बताते हुए उनके निधन पर शोक जताया है। उन्होंने कहा कि हालांकि जिंदगी भर राजनीति, साहित्य और जीवन को लेकर हमारे मतभेद रहे, लेकिन आज मैं बहुत दुखी हूंं।
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2008 में 'द टाइम्स' ने 50 महान ब्रिटिश लेखकों की सूची में नायपॉल को 7वां स्थान दिया था। उनकी कुछ और मशहूर कृतियों में 'इन ए फ्री स्टेट' (1971), 'ए वे इन द वर्ल्'ड (1994), 'हाफ ए लाइफ' (2001) और 'मैजिक सीड्स' (2004) हैं।
सीएनएन की मशहूर एंकर और पत्रकार जैन वर्जी ने सर विद्या की मृत्यु पर दुख जताते हुए कहा है कि उनकी किताब ए हाउस फॉर मिस्टर बिस्वास ने उनके जीवन पर गहरा प्रभाव छोड़ा है।
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एक रिपोर्ट के मुताबिक 1950 में उन्होंने एक सरकारी स्कॉलरशिप जीती थी। इससे उन्हें कॉमनवेल्थ यूनिवर्सिटी में दाखिला मिल सकता था, लेकिन उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनवर्सिटी को चुना। बताया जाता है कि छात्र जीवन में उन्होंने अवसाद की वजह से खुदकुशी करने की कोशिश की थी।
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