राजनीति

चुनाव आयोग पीएम मोदी के हाथों की कठपुतली, इसलिए नहीं हुई मोदी-शाह के खिलाफ कार्रवाई: कांग्रेस

कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, “चुनाव आयोग या चूक आयोग। लोकतंत्र का एक और काला दिवस। जब निर्वाचन आयोग मोदी-शाह की जोड़ी को क्लीन चिट देने में लगा हुआ था, तब सीईसी के सदस्य अशोक लवासा ने कई मौकों पर अपनी असहमति जताई।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

कांग्रेस ने शनिवार को निर्वाचन आयुक्त अशोक लवासा के मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा को लिखे पत्र को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। इस पत्र में लवासा ने निर्वाचन आयोग के निर्णयों में अपनी असहमति को रिकॉर्ड नहीं किए जाने पर असंतुष्टि जताई थी। इसके साथ ही पार्टी ने कहा कि यह 'चुनाव आयोग है या चूक आयोग'।

मुख्य निर्वाचन आयुक्त को लिखे पत्र में, निर्वाचन आयुक्त अशोक लवासा ने मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को उनके भाषणों पर क्लीन चिट दिए जाने के मामले में उनके 'अल्पमत निर्णयों' को रिकॉर्ड नहीं किए जाने के बाद आदर्श आचार संहिता से संबंधित आयोग की पूर्ण बैठकों से खुद को अलग कर लिया।

कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, "चुनाव आयोग या चूक आयोग। लोकतंत्र का एक और काला दिवस। जब निर्वाचन आयोग मोदी-शाह की जोड़ी को क्लीन चिट देने में लगा हुआ था, तब सीईसी के सदस्य अशोक लवासा ने कई मौकों पर अपनी असहमति जताई। और चूंकि ईसीआई ने उनकी असहमति को रिकॉर्ड करने तक से इनकार कर दिया इसलिए उन्होंने ईसी से बाहर होने का फैसला किया।"

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उन्होंने आगे कहा, “ ये निर्णय संवैधानिक मापदंडों, निर्धारित परंपराओं और लोकतांत्रिक औचित्य की दिन-दहाड़े हत्या के समान है। चुनाव आयोग के नियम सर्वसम्मत निर्णय के प्रति प्राथमिकता व्यक्त करते हैं, लेकिन सर्वसम्मति के अभाव में बहुमत के निर्णय का प्रावधान है। एक संवैधानिक निकाय होने के नाते अल्पमत निर्णय को भी रिकोर्ड किया जाना चाहिए, लेकिन मोदी-शाह की जोड़ी को बचाने के लिए इस परंपरा को रौंदा जा रहा है।”

रणदीप सिंह सुरजेवाला ने आगे कहा, “(निर्वाचन आयुक्‍त सेवा शर्त और कारबार का संव्‍यवहार) अधिनियम, 1991 के अनुसार यदि मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त किसी मामले पर अलग-अलग मत रखते हैं, तो ऐसे मामलों का निर्णय बहुमत की राय के अनुसार किया जाता है। आयोग नियमित बैठकों और प्रपत्रों के परिचालन के माध्यम से अपनी कार्यवाही का निस्तारण करता है। सभी चुनाव आयुक्तों की आयोग के निर्णयों में समान भूमिका रहती है। चुनाव आयुक्त के विरोध मत को केवल इसलिए दर्ज ना करना क्योंकि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को नोटिस जारी करने के लिए कहा था, के कारण चुनाव आयोग की संस्थागत अखंडता बुरी तरह से धूमिल हुई है।”

उन्होंने कहा कि, “कांग्रेस पार्टी ने चुनाव आयोग को प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी अध्यक्ष श्री अमित शाह द्वारा आदर्श आचार संहिता के घोर उल्लंघन के बारे में कम से कम 11 शिकायतें दी थी, जिन्हें कूड़ेदान में फैंक दिया गया।” सुरजेवाला ने पीएम मोदी पर हमला बोलते हुए कहा, “ प्रधानमंत्री मोदी ने स्वयं भारत की प्रत्येक संस्था की अस्मिता की अवमानना करने, उसका स्तर गिराने, उसे नुकसान पहुंचाने, नष्ट करने, गिराने और समाप्त करने का दायित्व अपने ऊपर लिया हुआ है।”

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