छत्तीसगढ़ में बीजेपी के दिग्गज आदिवासी नेता नंद कुमार साय ने मजदूर दिवस के दिन भगवा पार्टी को बड़ा झटका देते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मौजूदगी में कांग्रेस का दामन थाम लिया। पार्टी बदलने के फैसले को महत्वपूर्ण बताते हुए साय ने कहा कि अब बीजेपी अटल बिहारी बाजपेयी के दौर की पार्टी नहीं रही। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने साय को आदिवासियों और गरीबों के लिए संघर्ष करने वाला नेता बताया।
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छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में कांग्रेस के प्रदेश कार्यालय राजीव भवन में एक समारोह में नंद कुमार साय ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नंद कुमार साय को पार्टी का प्रतीक चिंन्ह पहनाकर कांग्रेस की सदस्यता दिलाई। इस दौरान बघेल ने साय का मुंह भी मीठा कराया। आदिवासी नेता साय के बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में आने से पार्टी के नेता गदगद हैं।
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नंद कुमार साय ने कहा कि यह निर्णय उनके लिए जीवन का बहुत कठिन निर्णय है, जनसंघ के समय से वे और उनका परिवार बीजेपी में रहा है। अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी जैसे लोगों के साथ उन्होंने काम किया है और अटल जी को फॉलो करते रहे हैं। उन्होंने कहा अटल-आडवाणी के दौर में जो बीजेपी थी आज उस रूप में पार्टी नहीं है, परिस्थितियां बदल चुकी हैं।
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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की प्रशंसा करते हुए साय ने कहा कि हम कहते थे देश से हमारा नाता है गाय हमारी माता है, मगर भूपेश बघेल ने इसे एक नया रूप दिया है। नरवा, गरवा, घुरवा बारी योजना जनता के लिए कारगर साबित हुई है। यह भी अच्छा लगता है कि भूपेश बघेल सरकार ने राम गमन पथ को बनाया है। वर्तमान में राज्य में कांग्रेस की सरकार अच्छा काम कर रही है, वाकई में दल का महत्व नहीं है। आम जनता के लिए काम करना है। मिलकर काम करेंगे तो छत्तीसगढ़ अच्छा होगा।
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नंदकुमार साय तीन बार विधायक, तीन बार लोकसभा सदस्य और दो बार राज्यसभा सदस्य रहे हैं। साथ ही वह अविभाजित मध्य प्रदेश की बीजेपी इकाई के अध्यक्ष भी रहे हैं। नंदकुमार साय ने रविवार को बीजेपी से इस्तीफा दे दिया था उसके बाद से उन्हें मनाने की प्रयास लगातार पार्टी की ओर से किए जा रहे थे। कई बीजेपी के बड़े नेता उनके आवास पर भी गए मगर उनसे बातचीत नहीं हुई।
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