राजनीति

बगावती तेवर दिखाने पर नीतीश कुमार ने लिया बदला, शरद यादव और अली अनवर की राज्यसभा सदस्यता खत्म

शरद यादव से आखिरकार नीतीश कुमार ने बदला ले लिया। जेडीयू के नीतीश गुट की अर्जी पर शरद यादव की राज्यसभा सदस्यता खत्म कर दी गई। उनके साथ ही दूसरे बागी जेडीयू नेता अली अनवर कीसदस्यता भी खत्म कर दी गई।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव और (दाएं) अली अनवर

उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने जेडीयू की अर्जी पर शरद यादव और अली अनवर की सदस्यता खत्म कर दी। राज्यसभा में जेडीयू संसदीय दल के नेता आरसीपी सिंह ने राज्यसभा के चेयरमैन और उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू के पास शरद यादव और अली अनवर की सदस्यता खत्म करने को लेकर अर्जी दी थी। आरसीपी सिंह से पहले शरद यादव राज्यसभा में जेडीयू संसदीय दल के नेता थे, लेकिन नीतीश कुमार ने उन्हें इस पद से हटाकर आरसीपी सिंह को संसदीय दल का नेता बनाया था।

दिल्ली जेडीयू के प्रवक्ता सत्य प्रकाश मिश्रा ने बताया कि दोनों नेताओं की सदस्यता रद्द करने वाले आदेश में संविधान की दसवीं अनुसूची के पैराग्राफ 2(1) का हवाला दिया गया है। इस नियम को आमतौर पर डिफेक्शन लॉ या पार्टी से अलग होने का कानून माना जाता है। इसके तहत अगर कोई सदस्य अपनी इच्छा से अपनी पार्टी छोड़ता है तो उसे अयोग्य ठहराया जाता है। जेडीयू की अर्जी में भी यही कहा गया था कि दोनों नेताओं ने अपनी इच्छा से दूसरे दल (आरजेडी) के साथ मंच साझा किया, इसका अर्थ यही है कि दोनों ने अपनी मर्जी से जेडीयू छोड़ दिया है।

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जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता के सी त्यागी ने अर्जी में तमिलनाडू का हवाला देते हुए कहा था कि जिस तरह बागी होने पर तमिलनाडू विधानसभा स्पीकर ने एडीएमके के 18 विधायकों की सदस्यता रद्द की थी, उसी तरह पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के लिए शरद यादव और अली अनवर की सदस्यता रद्द की जाए।

इस साल जुलाई में जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कांग्रेस-आरजेडी-जेडीयू महागठबंधन तोड़ते हुए इस्तीफा दिया था और फिर बीजेपी की मदद से दोबारा सरकार बनाई थी, तो शरद यादव और उनके साथियों ने इसका विरोध किया था।

शरद यादव और अली अनवर की सदस्यता खत्म होने पर जेडीयू महासचिव संजय झा ने एक चैनल से बात करते हुए कहा कि इनकी सदस्यता जानी उसी दिन तय हो गई थी, जिस दिन इन दोनों नेताओं ने पार्टी के मना करने के बावजूद पटना के गांधी मैदान में लालू यादव के साथ मंच साझा किया था।

इससे पहले भी शरद यादव गुट को चुनाव आयोग से झटका लगा था, जब जेडीयू के चुनाव चिन्ह 'तीर' पर दावेदारी को लेकर आयोग ने उनकी याचिका खारिज कर नीतीश कुमार की अगुवाई वाले जेडीयू के पक्ष में फैसला सुनाया था।

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