विज्ञान

अब अंतरिक्ष में पॉवर प्लांट लगाने की तैयारी में चीन, पैदा बिजली से देश के शहर को करेगा रोशन 

वैज्ञानिकों के अनुसार अगर यह प्लांट सफल रहा तो चीन सहित दुनिया के बाकी लोगों के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि साबित होगी। इस सोलर प्लांट के जरिए इतनी बिजली बनायी जा सकती है, जो लगभग एक पूरे शहर को रोशन करने के लिए काफी होगी।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

अपनी बेहतरीन तकनीक के लिए चीन आज बड़ी ही तेज़ी से पूरी दुनिया में अपनी पकड़ बना रहा है। हाल ही में चीन इस क्षेत्र में एक और बड़ी कामयाबी हासिल करने का दावा कर रहा है। दरअसल इन दिनों चीन अन्तरिक्ष में अपना एक बहुत बड़ा सोलर प्लांट लगाने जा रहा है। जिसके जरिए बड़ी मात्रा में बिजली का उत्पादन किया जा सकेगा।

Published: 04 Mar 2019, 4:47 PM IST

वैज्ञानिकों के अनुसार अगर यह प्रयोग सफल रहा तो चीन सहित दुनिया के बाकी लोगों के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि साबित होगी। इस सोलर प्लांट के जरिये इतनी बिजली बनायी जा सकती है, जो लगभग एक पूरे शहर को रोशन करने के लिए काफी होगी। हालांकि इस प्रोजेक्ट में पर्यावरण प्रदूषण एवं ग्लोबल वार्मिंग जैसे खतरों की संभावनाएं भी बहुत ज्यादा हैं क्योंकि इस पूरी प्रक्रिया में माइक्रोवेव या फिर लेज़र के माध्यम से ऊर्जा को अंतरिक्ष से नीचे भेजा जाएगा। चीन की एक रिसर्च एकेडमी के वैज्ञानिक पांग झिहाओ के अनुसार इस प्रोजेक्ट को तभी शुरू किया जाएगा जब इंसानों, जानवरों एवं पेड़-पौधों पर पड़ने वाले इसके बुरे परिणामों की जांच हो जाए।

Published: 04 Mar 2019, 4:47 PM IST

दुनिया में सूर्य ही ऊर्जा का एक ऐसा माध्यम है जो कभी खत्म नहीं होने वाला, ऐसे में अगर यह स्पेस सोलर प्लांट एक बार बन जाता है, तो धरती पर मौजूद लोगों की ऊर्जा सम्बन्धी सभी दिक्कतें दूर हो जाएंगी। इस प्रोजेक्ट को पूरा होने में 30 साल तक का समय लग सकता है। हालांकि चीन के ऐयरो स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी कॉर्पोरेशन के अनुसार इस प्रोजेक्ट को 2050 तक पूरा करने का अनुमान है। अन्तरिक्ष में इस तरह के सौलर पैनल लगाने के लिए दुनिया के कई बड़े देश लगभग 60 सालों से लगे हुए हैं। लेकिन तकनीकी कारणों से किसी को भी सफलता नहीं मिल पायी।

Published: 04 Mar 2019, 4:47 PM IST

इस तरह से बनेगी अंतरिक्ष में सौर ऊर्जा: इस प्लांट में ऊर्जा के उत्पादन के लिए इस्तेमाल होने वाले जरूरी उपकरणों को अन्तरिक्ष में अलग-अलग भेजा जाएगा जिसके बाद अन्तरिक्ष में ही इन उपकरणों को जोड़कर एक सोलर प्लांट बनाया जाएगा। इसके बाद इस प्लांट को धरती पर मौजूद एक रिसीविंग स्‍टेशन के ऊपर पृथ्वी की कक्षा में स्‍थापित कर दिया जाएगा। अब यह सोलर प्‍लांट बिजली को लेजर या माइक्रोवेव्‍स के माध्यम से धरती पर भेजेगा, जहां इसे बिजली में परिवर्तित कर ग्रिड के जरिए ट्रांसमिट कर दिया जाएगा।

Published: 04 Mar 2019, 4:47 PM IST

अक्षय ऊर्जा के सभी क्षेत्रों जैसे सोलर, वायु, हाइड्रो और न्‍यूक्लियर में चीन ने 2020 तक 367 बिलियन डॉलर (लगभग 20 लाख करोड़ रूपए) का निवेश करने का संकल्‍प लिया है।

Published: 04 Mar 2019, 4:47 PM IST

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Published: 04 Mar 2019, 4:47 PM IST