भारत की बहुसांस्कृतिक विविधता और एकजुटता का मजबूत संदेश दिया INDIA के मुंबई सम्मेलन ने

मुंबई बैठक के प्रवेश द्वार पर संविधान की प्रति लिए हुए भारत माता की तस्वीर लगाकर इंडिया गठबंधन स्पष्ट रूप से बीजेपी के उस प्रयास को कुंद करने का ऐलान कर दिया जिसमें वह किसी भी राष्ट्रीय प्रतीक या रंग पर अपने स्वामित्व का दावा करने की आदी हो गई है।

INDIA गठबंधन के नेता
INDIA गठबंधन के नेता
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सुजाता आनंदन

 INDIA गठबंधन की दो दिन की मुंबई बैठक तीन ठोस प्रस्तावों और नेताओं के आपसी सौहार्द के प्रत्यक्ष प्रदर्शन के साथ खत्म हो गई। इस बैठक में जहां वरिष्ठ नेताओं को आगे आने का मौका दिया गया, तो वहीं युवा नेताओं की भावी योग्यताओं और क्षमताओं को रेखांकित किया गया। और इस बैठक के समापन के साथ ही बीजेपी इकोसिस्टम की वह सारी कोशिशें धराशायी हो गईं जिसमें वे अगले लोकसभा चुनावों में सीटों के बंटवारे और पीएम या संयोजक पद के चेहरे पर मतभेद उभरने और इंडिया गठबंधन के दरारें पड़ने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे।

इस बैठक के दौरान दो बातें स्पष्ट थीं – इंडिया गठबंधन के नेता समय से पूर्व लोकसभा चुनावों के कयासों समेत किसी भी संभावना या परिस्थिति को हल्के में नहीं ले रहे थे। इन्हीं सबको ध्यान में रखते हुए बहुत ही सद्भावनापूर्ण माहौल में मुख्य काओर्डिनेशन कमेटी और अन्य समितियों का गठन किया गया। ये कमेटियां गठबंधन के भविष्य के सभी पहलुओं पर विचार करेंगी और उन्हें अमली जामा पहनाने का रोडमैप सामने रखेंगी। इस सब में विभिन्न दलों के बीच राज्य स्तर पर सीटों का बंटवारा भी शामिल है जिससे गठबंधन की जीत और बीजेपी की हार सुनिश्चित हो।

जैसा कि राहुल गांधी ने गठबंधन की संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि INDIA के मंच पर मौजूद नेता भारत की 60 प्रतिशत आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं और उनके एकजुट रहने पर बीजेपी का अगला चुनाव जीतना असंभव होगा। जो कमेटियां बनाई गई हैं उनमें मुंबई सम्मेलन में शामिल लगभग सभी 28 पार्टियों को विभिन्न समितियों में प्रतिनिधित्व दिया गया है। इनमें प्रचार की रणनीति, मीडिया, सोशल मीडिया और रिसर्च आदि पर फोकस होगा।

दरअसल बीते कुछ दिनों से बीजेपी लगातार INDIA गठबंधन का मज़ाक उड़ा रही है – खासतौर से यह कहकर कि वहां तो हर कोई प्रधानमंत्री बनने की इच्छा रखता है और तमाम नेताओं की अपनी महत्वाकांक्षाएं हैं। लेकिन गठबंधन में शामिल पार्टियों ने इस किस्म की आलोचनाओं को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि उनके पास ऐसे कई सक्षम पुरुष और महिलाएं हैं, जो इन पदों पर आसीन हो सकते हैं, लेकिन बीजेपी तो सिर्फ एक ही नाम और चेहरे पर अटकी हुई है। नेताओं ने कहा कि अगर एनडीए खेमे में किसी दल या नेता ने ऐसी महत्वाकांक्षा जताई तो अगले दिन उसका राजनीतिक करियर खत्म हो जाएगा।


लेकिन इंडिया के मंच पर कद्दावर नेताओं, जिनमें कम से कम 6 मुख्यमंत्री, कई पूर्व मुख्यमंत्री और कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे, जिसे टॉप हैवी कहा जा सकता है, लेकिन राहुल गांधी ने इसी बात को एक नया आयाम दिया।  उन्होंने कहा कि "यह सराहनीय और उल्लेखनीय बात है कि सारे वरिष्ठ नेता एक-दूसरे को समायोजित करने और अपने मतभेदों को दूर करने के लिए किस हद तक जाने को तैयार हैं।"

इंडिया गठबंधन की साझा प्रेस कांफ्रेंस में भी यह बात साफ झलकी। सभी नेता एक दूसरे के लिए दो कदम पीछे हट कर जगह दे रहे थे। राहुल गांधी ने खुद शरद पवार के लिए जगह दी, जिन्होंने बीजेपी का पत्ता साफ करने का संकल्प लेते हुए बैठक की समाप्ति की घोषणा की कि न केवल INDIA बल्कि INDIANS भी अगला चुनाव जीतेंगे। भले ही उनके भतीजे अजित पवार के पाला बदलने के बाद लोगों ने उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाए थे, लेकिन जिस तरह उन्होंने सक्रियता से इस बैठक में हिस्सा लिया और एक-दूसरे के साथ जिस सौहार्दपूर्ण व्यवहार के साथ पेश आए, उसने सारे संदेहों को दूर कर दिया और साबित कर दिया कि शरद पवार दृढ़ता से इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं।

एक बात और, वह यह कि हाल के दिनों में उनके भतीजे अजित पवार समेत एनसीपी के कुछ बागी नेताओं ने शरद पवार की बढ़ती उम्र का कई बार जिक्र किया, लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष मल्लकार्जुन खड़गे ने इस सबको खारिज करते हुए उनके अनुभव का सामने रखा। खड़गे ने कहा कि, “मुझे लगता है कि पवार साहब के बाद इस मंच पर और राजनीति में सक्रिय सबसे वरिष्ठ नेता मैं ही हूं। मैं 52 साल से चुनावी राजनीति में हूं...(पवार 56 साल से सक्रिय हैं)...बस हमारे बीच एकमात्र अंतर यह है कि मैं कभी मुख्यमंत्री नहीं रहा (पवार महाराष्ट्र के चार बार मुख्यमंत्री रहे हैं)।”

इन वाक्यों के पीछे अंतर्निहित तात्पर्य सीधा सा यह था कि अगर में वह इस उम्मर में कांग्रेस के निर्वाचित अध्यक्ष हो सकते हैं और अपनी पार्टी को जिताने में अगुवाई कर सकते हैं तो शरद पवार क्यों नहीं कर सकते, और उन्हें कोई क्यों बुजुर्ग कहकर खारिज करे?

बैठक में शामिल और साझा प्रेस कांफ्रेंस में अपने विचार रखने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव, सीपीएम नेता सीतारम येचुरी आदि सभी ने एकता, एकजुटता और कुछ ही हफ्तों में लोगों के सामने जीत का फॉर्मूला देने की अपनी क्षमता पर जोर दिया।


लेकिन इस प्रेस कांफ्रेंस की सबसे रोचक और खास बात रही तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन का पूरे आत्मविश्वास से अपनी मातृभाषा तमिल में मीडिया को संबोधित करना। इस प्रेस कांफ्रेंस में स्टालिन अकेले ऐसे नेता जिन्होंने अपनी बात रखने के लिए ऐसी भाषा का इस्तेमाल किया, जिससे मुंबई के सभी पत्रकार शायद ही परिचित हों। लेकिन यह भारत की विविधता को दर्शाने वाला मौका था और मीडिया ने भी उन्हें बिना किसी विरोध के धैर्यपूर्वक सुना कि किस तरह से उन्होंने 2024 में फासीवादी ताकतों के अंत की भविष्यवाणी की।

स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी चुटकी ली। उन्होंने कहा, “इंडिया की पहली बैठक में 19 दल बीजेपी के खिलाफ साथ आए थे। बेंग्लुरु में दूसरी बैठक में कुनबा बढ़ा और हमने गठबंधन को INDIA नाम दिया। और अब मुंबई में हम और मजबूत होकर सामने खड़े हैं। आप सब जानते हैं कि बीजेपी किस तरह काम करती है। प्रधानमंत्री मोदी कहीं  भी जाएं, वह सरकारी कार्यक्रम हो या बीजेपी का...वे बीते 9 साल की अपनी उपलब्धियां नहीं बता पाते, बल्कि इंडिया गठबंधन के बारे में जरूर बोलते हैं। वे तो हमारे पब्लिसिटी ऑफिसर की तरह काम कर रहे हैं। मैं इसके लिए उन्हें धन्यवाद देता हूं।”

उनके बाद, सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने अपनी मातृभाषा तेलुगु में बोलने की बात कही, लेकिन फिर वे अंग्रेजी में बोले। वहीं राहुल गांधी ने अपनी आम शैली के तहत अंग्रेजी और हिंदी दोनों में बात की, उद्धव ठाकरे ने मराठी और हिंदी में बात रखी... और इस तरह गठबंधन के मंच से लेकर प्रेस कांफ्रेंस तकभारत की बहुभाषी और बहुसांस्कृतिक विविधता का प्रदर्शन देखने को मिला।

गौंटलेट फेंक दिया गया है. भाजपा को ड्रॉइंग बोर्ड पर वापस जाने की जरूरत है, लेकिन अधिक क्षेत्रीय दलों के भारत गठबंधन में शामिल होने की उम्मीद के साथ यह एक कठिन चुनौती हो सकती है।

पासा फेंका जा चुका है। और अब इसके जवाब के लिए बीजेपी को नए सिरे से अपने मोहरे सजाने होंगे क्योंकि आने वाले दिनों में और भी क्षेत्रीय दल इंडिया गठबंधन का हिस्सा बन सकते हैं जोकि बीजेपी के लिए चुनौती को और गंभीर बना देगी।

और भले ही इंडिया गठबंधन के लिए किसी औपचारिक लोगो का अनावरण नहीं किया गया, लेकिन ‘जुड़ेगा भारत, जीतेगा इंडिया’ का नारा देकर इसे सभी भाषाओं में अनुवाद कर लोगों के सामने रखने का फैसला किया गया है।


वैसे एक लोगो बनाया गया था जिसमें दो आंशिक हलकों में इंडिया गठबंधन में शामिल सभी नेताओं के चित्र थे। लेकिन इसे आने वाले दिनों में जारी रखना थोड़ा मुश्किल काम होगा क्योंकि नए नेताओं और दलों के गठबंधन से जुड़ने की प्रबल संभावनाएं हैं। लेकिन जो अस्थाई लोगो दिखा उसमें आधा घेरा केसरिया और हरे रंग में है, जिसके ऊपर और नीचे बोलता इंडिया छपा हुआ है। सूत्रों का कहना है कि बाद के दिनों में I और N को केसरिया और बाद के I और A को हरा बनाया बनाया जा सकता है। डी नीला हो सकता है और इसका आधा घेरा सफेद छोड़ा जा सकता है, इस प्रकार यह भारतीय ध्वज यानी तिरंगे के सभी रंगों को समायोजित करता हुआ दिखेगा।

इसके अलावा मुंबई बैठक के प्रवेश द्वार पर संविधान की प्रति लिए हुए भारत माता की तस्वीर लगाकर इंडिया गठबंधन स्पष्ट रूप से बीजेपी के उस प्रयास को कुंद करने का ऐलान कर दिया जिसमें वह किसी भी राष्ट्रीय प्रतीक या रंग पर अपने स्वामित्व का दावा करने की आदी हो गई है।

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