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जनतंत्र
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आकार पटेल का लेख: बीते 10 साल में ऐसे तमाम कानून बने हैं या उनमें संशोधन हुए हैं जिनसे साफ झलकता है भेदभाव
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कसौटी पर '400 पार' का भौकाल, वोटरों की उदासीनता से बहुमत को लेकर ही उठने लगे हैं सवाल
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विष्णु नागर का व्यंग्य: हट मत, घबरा मत, देश को डुबाएगा तो ही तू तैर सकेगा!
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अभिव्यक्ति की गुलामी में उलझता देश, फ्रीडम टू राइट इंडेक्स में भी भारत की स्थिति खराब
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समता, समावेश और सद्भावना से ही भारत में प्रगति की मजबूत बुनियाद बनेगी
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राम पुनियानी का लेख: अगर BJP का पिछले दस साल का शासन ट्रेलर था तो अब क्या होगा?
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विष्णु नागर का व्यंग्य: मैंने कहा था या नहीं कहा था कि न खाऊंगा, न खाने दूंगा?
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बहुत समानता है रामदेव और मोदी जी में, दोनों ही व्यक्तिवादी सिद्धांत के हिमायती
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योजना आयोग को फिर स्थापित करना भी चुनावी मुद्दा बने
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लोकतंत्र को सीधी राह पर लाने का क्या है उपाय?
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लोकसभा चुनाव में बीजेपी एक बार फिर सांप्रदायिक, विघटनकारी एजेंडे पर कर रही काम?
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