अर्थतंत्र

कोरोना से बर्बाद अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए PM से मिलीं निर्मला, उठे सवाल, पहले ही क्यों नहीं बना रोडमैप

कोरोना वायरस के कारण चल रहे लॉकडाउनके आर्थिक प्रभाव को कम करने के लिए सरकार दूसरा प्रोत्साहन पैकेज लाने की दिशा में काम कर रही है। लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि आखिर लॉकडाउन से पहले ही राहत पैकेज -2 का रोडमैप क्यों नहीं बनाया गया।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

कोरोना वायरस ने पूरे देश में कोहराम मचा रखा है। एक तरफ जहां यह लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है और इससे से लोगों की जान जा रही है। वहीं, दूसरे मोर्चे पर कोरना ने आम जनता से लेकर देश की अर्थव्यवस्था के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। कोरोना वायरस के भारत में पहुंचने से पहले ही देश की अर्थव्यवस्था की हालत चिंताजनक थी। इस चुनौती से निपटने में सरकार का प्रबंधन अहम भूमिका निभा सकता है। लेकिन सवाल ये है कि क्या सरकार कोरोना की चुनौती से निपटने के लिए सही समय पर कदम उठा रही है। जिसका जिक्र कई बार कांग्रेस कर चुकी है।

इस बीच आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पीएम मोदी के साथ मुलाकात की। खबरों के मुताबिक, कोरोना वायरस संकट से प्रभावित बिजनेस को बनाए रखने के लिए केंद्र सरकार एक आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज तैयार कर रही है। अधिकारियों ने बताया कि, सरकार जल्द ही कुछ आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा कर सकती है, लेकिन इसमें कोई बड़ी पॉलिसी की घोषणा नहीं होगी. राहत पैकेज कई चरणों में आ सकती है।

Published: 16 Apr 2020, 5:59 PM IST

अधिकारियों का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में नौकरी के मौके पैदा करने के लिए लॉकडाउन के दौरान ग्रामीण सड़कों का निर्माण शुरू किया जा सकता है। सरकार ने पहले ही गाइडलाइंस जारी करके खेती से जुड़े कामों की छूट दे दी है।

गौरतलब है कि कोरोना वायरस के चलते 3 मई तक लॉकडाउन जारी है और अर्थव्यवस्था की हालत खस्ता है। ऐसे में इंडस्ट्रीज लगातार दूसरे राहत पैकेज की मांग कर रही हैं। उद्योग जगत ने सरकार से 9 से 10 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज की मांग की है। इस राहत पैकेज का फोकस गरीबों और समाज के निचले तबके के लोगों, सूक्ष्म एवं लघु उद्योग और उन सेक्टर्स पर होगा जिन पर लॉकडाउन की सबसे ज्यादा मार पड़ी है। खबरों के मुताबिक, आज की बैठक के बाद सरकार आने वाले दिनों में राहत पैकेज का ऐलान कर सकती है।

Published: 16 Apr 2020, 5:59 PM IST

वहीं बीते दिनों फिक्की की प्रेसिडेंट संगीता रेड्डी के कहा था, “हमारा अनुमान है कि पिछले 21 दिन से पूरे देश में चल रहे लॉकडाउन के चलते भारत को रोज 40 हजार करोड़ का नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस लिहाज से अब तक करीब 8 लाख करोड़ का नुकसान हो चुका है। वहीं, इसके चलते अप्रैल से सितंबर 2020 के बीच करीब 4 करोड़ नौकरियों पर खतरे की घंटी है। इसे देखते हुए सरकार को तुरंत एक बड़े राहत पैकेज का एलान करना चाहिए, जिससे अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाया जा सके।”

Published: 16 Apr 2020, 5:59 PM IST

बता दें कि मार्च में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1.7 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की थी, जिसमें गरीबों के लिए डायरेक्ट कैश ट्रांसफर के अलावा फ्री राशन भी शामिल था। साथ ही महिलाओं, किसानों, बुजुर्ग, आदि के लिए भी महत्वपूर्ण घोषणाएं की गई थीं।

Published: 16 Apr 2020, 5:59 PM IST

लॉकडाउन के दूसरा कार्यकाल शुरू हो गया है। लेकिन हैरानी की बात यह है सरकार दूसरे कार्यकाल के चुनौती से कैसे निपटेगी इसके लिए उसने अब तक कोई खाका तैयार नहीं किया है। सवाल यह है कि जब सरकार ने पहले यह संकेत दे दिए थे कि कोरोना की चुनौती से 21 दिन में नहीं निपटा जा सता तो ऐसे में सवाल ये है कि कोरोना के दूसरे कार्यकाल का खाका पहले ही क्यों नहीं तैयार किया गया।

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Published: 16 Apr 2020, 5:59 PM IST

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Published: 16 Apr 2020, 5:59 PM IST