
सीपीआई (एम) सदस्य ए ए रहीम ने बुधवार को राज्यसभा में हालिया इंडिगो संकट के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि यह हालात अंधाधुंध निजीकरण और नियमन में ढील का नतीजा हैं, जिनकी वजह से देश का विमानन क्षेत्र ‘‘डुओपोली (ऐसी स्थिति जब बाजार में दो ही कंपनियों का दबदबा रहता है)’’ में बदल गया है।
शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए रहीम ने सरकार से अनुरोध किया कि ‘उड़ान ड्यूटी समय सीमा’ (एफडीटीएल) नियमों को शिथिल न किया जाए।
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रहीम ने कहा कि यह संकट केवल इंडिगो का नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘इस पूरे बड़े संकट के लिए एकमात्र दोषी केंद्र सरकार है। यह सरकार की नव–उदारवादी आर्थिक नीतियों, निजीकरण और विमानन क्षेत्र के नियमन में ढील का प्रत्यक्ष परिणाम है।’’
बाजार में बढ़ती एकाधिकार प्रवृत्ति का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इंडिगो अब कुल उड़ानों का 65.6 प्रतिशत संचालित करती है, जबकि एयर इंडिया 25.7 प्रतिशत उड़ानों का परिचालन करती है।
उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय विमानन क्षेत्र का 90 प्रतिशत से अधिक हिस्सा केवल दो एयरलाइनों—इंडिगो और टाटा—के कब्जे में है।’’
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रहीम ने सरकार के इस दावे को भी खारिज किया कि एयर इंडिया का निजीकरण उसे बदल देगा। उन्होंने कहा, ‘‘सुरक्षा, सेवाओं की गुणवत्ता और विमान की गुणवत्ता—हर मामले में स्थिति बेहद खराब है। सरकार ने यह भ्रम पैदा किया कि सार्वजनिक क्षेत्र बेकार है और निजी क्षेत्र चमत्कार कर सकता है।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि इंडिगो संकट के दौरान एयर इंडिया लाभ कमाने में जुटी है। उन्होंने आरोप लगाया ‘‘टाटा की एयर इंडिया इस कथित इंडिगो संकट के दौरान क्या कर रही है? यह संकट काल में मानव पीड़ा से लाभ उठा रही है।’’
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अपने अनुभव का हवाला देते हुए रहीम ने कहा कि सरकार द्वारा पिछले शुक्रवार को 1,500 किलोमीटर से अधिक दूरी वाली उड़ानों के किराए को 18,000 रुपये पर सीमित करने के निर्देश दिए जाने के बावजूद दिल्ली–तिरुवनंतपुरम के लिए बुधवार सुबह उसी दिन यात्रा के लिए इकोनॉमी श्रेणी का किराया 64,783 रुपये था। उन्होंने सवाल किया, ‘‘सरकार का नियंत्रण कहां है? निजी विमानन कंपनियों पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है।’’
रहीम ने एफडीटीएल (फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन) नियमों में ढील देने या इंडिगो को कोई विशेष छूट देने के खिलाफ चेताया।
उन्होंने ‘डुओपोली’ वाले बाजार में किराया नियंत्रण और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सख्त नियामक तंत्र की मांग की।
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