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राज्यों के विरोध के बाद NRC पर बैकफुट पर सरकार, लेकिन कानून मंत्री ने दिए संकेत, पूरे देश में होकर रहेगा लागू

देश भर में हो रहे विरोध के बाद एनआरसी पर केंद्र सरकार बैकफुट पर नजर आने लगी है। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि पूरे देश में एनआरसी के लिए सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया जाएगा और राज्य सरकारों के फीडबैक के बाद ही इसे लागू किया जाएगा।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया 

पहले नागरिकता कानून, फिर एनआरसी और इसके बाद एनपीआर को लेकर जारी विरोध के चलते केंद्र सरकार कम से कम एनआरसी पर फिलहाल बैकफुट पर नजर आ रही है। गौरतलब है कि कम से 6 बड़े राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने साफ कर दिया है कि वे अपने यहां एनआरसी लागू नहीं करेंगे। इस बाबत केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि पूरे देश में एनआरसी के लिए पूरी कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जाएगा और राज्य सरकारों से भी संपर्क किया जाएगा।

रविशंकर प्रसाद ने ‘द संडे एक्सप्रेस’ को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि एनपीआर के लिए डेटा जुटाने के बाद इसका इस्तेमाल एनआरसी के लिए नहीं भी किया जा सकता है।

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ध्यान रहे कि एनपीआर और एनआरसी को लेकर बीजेपी के सहयोगी दलों ने भी इस पर अपनी आपत्ति जताई है। इनमें बिहार में जेडीयू ने तो साफ कह दिया है कि बिहार में एनआरसी लागू नहीं किया जाएगा।

हालांकि रविशंकर प्रसाद ने एनआरसी लागू नहीं करने की बात तो नहीं की, लेकिन उन्होंने कहा कि, “इसके लिए एक कानूनी प्रक्रिया है। पहले एक फैसला होगा, फिर अधिसूचना जारी होगी, फिर प्रक्रिया के तहत वेरिफिकेशन किया जाएगा।“ उहोंने कहा कि इस बारे में जो भी त्रुटियां सामने आएंगी, उसपर सुनवाई होगी और लोगों के पास अपील करने का अधिकार होगा। कानून मंत्री ने कहा कि राज्य सरकारों से संपर्क किया जाएगा और उनसे फीडबैक लिया जाएगा, इसमें कुछ भी होगा तो उसे सार्वजनिक तौर पर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि एनआरसी को लेकर कुछ भी गुप्त नहीं रखा जाएगा।

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रविशंकर प्रसाद ने कहा कि अभी यह तय नहीं हुआ है कि पूरे देश में एनआरसी लागू होने के बाद कौन से कागजातों की जरुरत पड़ेगी? उन्होंने बताया कि जब एनआरसी की प्रक्रिया शुरू होगी तब रजिस्ट्रेशन ऑफ सिटीजंस एंड इश्यू ऑफ नेशनल आइडेंटिटी कार्ड्स रूल 2003 के तहत नियम संख्या 3 और 4 का पालन किया जाएगा और इस नियम के बारे में जनता को पूरी जानकारी दी जाएगी। उन्होंने दोहराया कि जनगणना डेटा जरुरी है। एनपीआर डेटा का इस्तेमाल सरकारी योजनाओं को जरुरतमंदों तक पहुंचाने के लिए किया जाएगा।

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रविशंकर प्रसाद ने एनपीआर डेटा जुटाते वक्त माता-पिता की जानकारी और जन्मस्थान की जानकारी मांगे जाने के बारे में कहा कि पूरी प्रक्रिया का पालन कानूनी तौर से किया जाएगा। कानून मंत्री ने कहा कि “कोई नागरिक वोट दे सकता है, लेकिन वोट करने के लिए वोटर लिस्ट में नाम होना जरुरी है, इसी वोटर लिस्ट को दुरुस्त किया जाएगा। इसी तरह पासपोर्ट और पैन कार्ड के लिए सभी जानकारियां ली जाती हैं। पासपोर्ट एक्ट के तहत माता-पिता की जानकारी दी जाती है. यहां तक की वोटर लिस्ट में भी माता-पिता की जानकारी मौजूद है। तो सिर्फ इसीलिए एनपीआर में माता-पिता का डेटा जुटाया जा रहा है।“

गौरतलब है कि एक न्यूज एजेंसी से बातचीत में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि एनपीआर और एनआरसी का आपस में कोई संबंध नहीं है और एनपीआर से जुटाए गए डेटा का इस्तेमाल एनआरसी के लिए नहीं किया जाएगा। दोनों में ही सर्वे करने की प्रक्रिया अलग-अलग है।

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