सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर प्रशासन को सभी पाबंदियों को एक हफ्ते के भीतर समीक्षा करने का आदेश दिया है। इसी को लेकर कांग्रेस ने अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर निशाना साधा और कहा कि अदालत ने उन्हें याद दिलाया है कि देश संविधान से चलने के लिए प्रतिबद्ध है न कि उनके द्वारा। घाटी में पिछले साल चार अगस्त से इंटरनेट सेवा बंद है।
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कांग्रेस प्रवक्ता और राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया, “युवाओं-छात्रों-जनता की आवाज दबाने वाली तानाशाह मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने संविधान की प्रभुता का तमाचा लगाया।” उन्होंने आगे कहा, “मोदी सरकार के विरोध को दबाने के षड्यंत्रकारी एजेंडे के लिए सरकार अब पूरे देश में धारा 144 का इस्तेमाल नहीं कर सकेगी। अब इंटरनेट पर मनमानी नहीं चलेगी”
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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सरकार ने लोगों को गुमराह करने की कोशिश की थी और इस बार सुप्रीम कोर्ट किसी दबाव में नहीं आई। गुमाल नबी आजाद ने कहा, ‘‘हम फैसले का स्वागत करते हैं। यह पहली बार है कि उचचतम न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर के लोगों की दिल की बात कही है। उसने लोगों की नब्ज पकड़ ली है। मैं ऐतिहासिक निर्णय के लिए कोर्ट का धन्यवाद करना चाहता हूं। पूरे देश खासकर जम्मू-कश्मीर के लोग इसके लिए इंतजार कर रहे थे।” उन्होंने कहा, ‘‘भारत सरकार ने पूरे देश को गुमराह किया। इस बार उच्चतम न्यायालय किसी दबाव में नहीं आई।”
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सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर के प्रशासन को एक सप्ताह के भीतर सभी पाबंदियों की समीक्षा करने और उन्हें अदालत के समक्ष उठाने के लिए सार्वजनिक रूप से प्रकाशित करने के निर्देश दिए, जिसके बाद कांग्रेस ने अब इस पर प्रतिक्रिया दी है। अदालत का यह आदेश केंद्र सरकार के लिए एक झटके के तौर पर देखा जा रहा है, जो घाटी में अपने कदम को उचित बता रही है। अदालत ने यह भी कहा कि इंटरनेट पर प्रतिबंध संविधान के खिलाफ है।
न्यायमूर्ति एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि नवगठित केंद्र शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर के प्रशासन द्वारा लगाई गईं पाबंदियों की सात दिनों में समीक्षा की जाएगी।
(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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