नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ आंदोलन करने की वजह से जेल में बंद सामाजिक और आरटीआई कार्यकर्ता अखिल गोगोई ने जेल से एक पत्र लिखकर चौंकाने वाला खुलासा किया है। साथ ही उन्होंने एनआईए की हिरासत में रहने के दौरान शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया है। खत में अखिल गोगोलई ने दावा किया है कि एनआईए के अधिकारियों ने उनके सामने आरएसएस या बीजेपी में शामिल होने पर तुरंत जमानत देने की पेशकश की थी। गोगोई ने पत्र में आगे लिखा, “एनआईए मुख्यालय में मुझे लॉकअप नंबर-1 में रखा गया और सिर्फ एक मैला कंबल दिया था। मैं 3 से 4 डिग्री तापमान में जमीन पर सोया था। एनआईए के अधिकारियों ने मुझे विधानसभा चुनाव लड़ने और मंत्री बनने का प्रस्ताव दिया था।”
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अखिल गोगोई ने अपने पत्र में दावा किया है, “मैं जब इस अपमानजनक प्रस्ताव के खिलाफ दलील दे रहा था, तो उन्होंने बीजेपी में शामिल होने का एक और प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि मैं किसी खाली सीट से विधानसभा चुनाव लड़ सकता हूं और मंत्री बन सकता हूं।”
गोगोई ने अपने पत्र में यह भी आरोप लगाया कि उन्हें ‘कृषक मुक्ति संग्राम समिति’ (केएमएसएस) छोड़कर असम के लोगों का धर्मांतरण करके उन्हें ईसाई बनाए जाने के खिलाफ काम करने पर एक एनजीओ शुरू करने के लिए 20 करोड़ रुपये दिए जाने का भी प्रस्ताव दिया गया। उन्होंने कहा, “मैंने जब उनका कोई प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया, तो उन्होंने मुख्यमंत्री या असम के किसी प्रभावशाली मंत्री से मुलाकात कराने का प्रस्ताव रखा। मैंने उसे भी ठुकरा दिया।”
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सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा है कि जब उन्होंने एनआईए का कोई प्रस्ताव मंजूर नहीं किया, तो उन्हें ‘अवज्ञा करने वाला नागरिक’ करार दिया गया और उनके खिलाफ गंभीर मामले दर्ज किए गए। गोगोई ने कहा, ‘‘प्रस्ताव स्वीकार नहीं करने पर मुझे गंभीर अंजाम भुगतने की धमकी दी गई। जान से मारने की भी धमकी दी गई। इसके आलावा 10 साल जेली की सजा की धमकी दी गई। शारीरिक मानसिक यातना झेलने के बाद 20 दिसंबर की रात को मेरी तबीयत खराब हो गई थी।”
गौरतलब है कि अखिल गोगोई को सीएएए विरोधी हिंसक प्रदर्शनों में कथित भूमिका के लिए दिसंबर 2019 में गिरफ्तार किया गया था।
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