
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में मतदाता सूची के पुनरीक्षण कार्य के लिए बूथ स्तरीय अधिकारी (बीएलओ) के रूप में तैनात प्राथमिक विद्यालय की 59 वर्षीय प्रधानाध्यापिका की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। बेसिक शिक्षा विभाग ने मामले की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है।
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उनके परिवार और शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि प्रिंसिपल साधना वर्मा का गुरुवार को उनके घर में निधन हो गया। उन्हें चार नवंबर को शुरू हुए विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभ्यास के लिए तैनात किया गया था। उनके परिवार ने बताया कि उन्होंने हेवतपुर फगोई गांव में बीएलओ संबंधी अपने सभी कर्तव्यों को ‘‘बिना किसी समस्या के’’ निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरा कर लिया था।
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उनके बेटे चेतन ने आरोप लगाया कि साधना वर्मा ‘‘लंबे समय से भारी दबाव’’ में थीं। वह अपनी बीएलओ संबंधी जिम्मेदारियों के कारण नहीं बल्कि अन्य समस्याओं के कारण परेशान थीं। परिवार का आरोप है कि वह सेवानिवृत्ति के करीब थीं इसलिए उन्हें परेशान किया जा रहा था।
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बेटे ने दावा किया, ‘‘उनकी समस्याएं बीएलओ के रूप में उनके काम से संबंधित नहीं थीं बल्कि मुख्य रूप से उनके उप-प्राचार्य और राज्य शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारियों द्वारा उत्पीड़न के कारण थीं, जिन्होंने उन्हें बार-बार किसी न किसी बहाने से परेशान किया।’’ चेतन ने दावा किया कि अधिकारियों के समक्ष बार-बार मामला उठाने के बावजूद उनकी मां को पांच महीने से वेतन नहीं मिला था, जिससे वह गंभीर तनाव में थीं।
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बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) राकेश कुमार ने संवाददाताओं को बताया कि मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि फिलहाल उप-प्राचार्य पूजा चौधरी को जांच जारी रहने तक निलंबित कर दिया गया है। चौधरी के खिलाफ अनुशासनहीनता और मानसिक उत्पीड़न के आरोप लगाए गए हैं।
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