हालात

'हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पर दम निकले...', आज ही के दिन दुनिया-ए-फानी से रुखसत हुए थे मिर्ज़ा ग़ालिब

ग़ालिब के साथ एक ऐसा भी समय आया था, जब उन्‍हें मुसलमान होने का टैक्‍स देना पड़ता था। ये टैक्‍स उस समय अंग्रेज लगाते थे। जब वो पैसे के मोहताज हो गए तो उन्होंने अपने आप को कई दिनों तक कमरे में बंद रखते थे।

Mirza Ghalib (Photo: Pinterest)
Mirza Ghalib (Photo: Pinterest) 

'हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पर दम निकले

बहुत निकले मेरे अरमां, फिर भी कम निकले’

'दिल-ए-नादां, तुझे हुआ क्या है

आखिर इस दर्द की दवा क्या है'

उर्दू के मशहूर शायर मिर्ज़ा ग़ालिब की ये कुछ पक्तियां हैं। गालिब की आज 154वीं पुण्यतिथि है। 15 फरवरी 1869 को आज ही के दिन मिर्ज़ा ग़ालिब दुनिया-ए-फानी से रुखसत हो गए थे। उनका मकबरा दिल्ली के निजामुद्दीन में चौसठ खंभा के पास है। इस मौके पर भारत समेत पूरी दुनिया के लोग उन्हें याद कर रहे हैं। ग़ालिब भारत के लोगों को ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के लोगों को प्रेरित करते हैं। मिर्ज़ा ग़ालिब का असली नाम मिर्ज़ा असदुल्लाह बेग खान था लेकिन वो दुनियाभर में मिर्ज़ा ग़ालिब के नाम से लोकिप्रय हैं।

Published: 15 Feb 2023, 10:33 AM IST

ग़ालिब का जन्म 27 दिसंबर 1797 को मुगल शासक बहादुर शाह के शासनकाल के दौरान आगरा के एक सैन्य परिवार में हुआ था। छोटी उम्र में ही ग़ालिब से पिता का सहारा छूट गया था, जिसके बाद उनके चाचा ने परवरिश की, लेकिन उनका साथ भी लंबे वक्त का नहीं रहा और बाद में नाना-नानी के साथ वो रहे। ग़ालिब का विवाह 13 साल की उम्र में उमराव बेगम से हो गया था। शादी के बाद ही वह दिल्ली आए और उनकी पूरी जिंदगी यहीं बीती।

उन्होंने 11 साल की उम्र में कविता लिखना शुरू कर दिया था। उर्दू उनकी मातृभाषा थी, लेकिन वह पारसी और तुर्की भाषा में भी समान पारंगत थे। उर्दू और परसी भाषा के सर्वाधिक लोकप्रिय और प्रभावशाली कवि भी थे। उन्होंने ऐसे समय में लिखना शुरू किया, जब देश में मुगल साम्राज्य अपने अंतिम चरण में था और भारत को ब्रिटिश हुकूमत में अपने शिकंजे में कसना शुरू कर दिया था।

Published: 15 Feb 2023, 10:33 AM IST

ग़ालिब के साथ एक ऐसा भी समय आया था, जब उन्‍हें मुसलमान होने का टैक्‍स देना पड़ता था। ये टैक्‍स उस समय अंग्रेज लगाते थे। जब वो पैसे के मोहताज हो गए तो उन्होंने अपने आप को कई दिनों तक कमरे में बंद रखते थे।

मिर्ज़ा ग़ालिब के नाम से 1954 में हिंदी सिनेमा में उन पर पहली फिल्म बनी थी। इसमें भारत भूषण ने ग़ालिब का रोल निभाया था और फिल्म का संगीत गुलाम मोहम्मद ने दिया था। फिल्म को लोगों ने काफी पसंद भी किया। इस फिल्म में ग़ालिब के लिखे गजलों को तलत महमूद ने गाया था।

Published: 15 Feb 2023, 10:33 AM IST

साल 1961 में पाकिस्तान में भी मिर्ज़ा ग़ालिब पर इसी नाम से एक फिल्म बनी। इस फिल्म को एमएम बिल्लू मेहरा ने बनाया था। इस फिल्म में पाकिस्तानी फिल्म सुपरस्टार सुधीर ने ग़ालिब का रोल निभाया था और नूरजहां उनकी प्रेमिका बनी थीं।

साल 1988 में गुलजार ने मिर्ज़ा ग़ालिब पर एक सीरियल बनाया था। ये धारावाहिक डीडी नेशनल पर आता था और काफी पसंद भी किया गया। नसीरुद्दीन शाह ने इसमें ग़ालिब का रोल निभाया था। इस धारावाहिक के लिए ग़ज़लें जगजीत सिंह और चित्रा सिंह ने गाई थीं।

Published: 15 Feb 2023, 10:33 AM IST

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: 15 Feb 2023, 10:33 AM IST