प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को अपनी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले छह महीनों को कुछ इस तरह परिभाषित किया है। उन्होंने ट्वीट किया, “सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के मंत्र र 130 करोड़ भारतीयों के आशीर्वाद से एनडीए सरकार निरंतर भारत के विकास और 130 करोड़ लोगों के जीवन को सशक्त बनाने के लिए नई ऊर्जा के साथ काम कर रही है।”
उन्होंने आगे कहा, “पिछले 6 महीने के दौरान विकास को रफ्तार देने, सामाजिक सशक्तिकरण को बढ़ाने और भारत की एकता को मजबूती देने के लिए तमाम फैसले लिए गए हैं। हम आने वाले समय में और भी ऐसे ही कदम उठाने वाले हैं ताकि एक समृद्ध और प्रगतिशील न्यू इंडिया का निर्माण हो सके।”
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प्रधानमंत्री के इस बयान से कम से कम एक बात स्पष्ट हो जाती है कि उन्हें देश की जमीनी हकीकत के बारे में जरा भी हवा नहीं है। कल ही (शुक्रवार को) देश के विकास को दर्शाने वाले आंकड़े सामने आए हैं जो बताते हैं कि आर्थिक विकास की दर साढे 6 साल के निचले स्तर को छूती हुई 4.5 फीसदी पर पहुंच गई है। 8 कोर सेक्टर लहुलुहान हैं। पिछले साल से तुलना करें तो विकास दर में करीब 3 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है। लेकिन प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि देश के विकास के पथ पर अग्रसर है।
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प्रधानमंत्री ने दावा किया है कि 130 करोड़ लोगों के जीवन को सशक्त बनाने के लिए नई ऊर्जा से काम कर रहे हैं, लेकिन तीन साल पहले की नोटबंदी और बिना तैयारी के लागू जीएसटी ने आम भारतीयों को जीवन को मुसीबतों से भर दिया है। इसी का नतीजा है कि देश के कोर सेक्टर की ग्रोथ में 5.8 फीसदी की कमी दर्ज की गई है।
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अक्टूबर माह में खुदरा महंगाई दर 16 महीने के उच्चतम स्तर पर है। बेरोजगारी रिकॉर्ड तोड़ रही है। उपभोक्ता खर्च चार दशक के निचले स्तर पर पहुंच चुका है।
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