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राहुल गांधी ने विवादित विधेयक पर साधा निशाना, बोले- हम मध्ययुगीन काल में वापस जा रहे हैं, जब राजा...

राहुल गांधी ने आज लोकसभा में भारी विरोध के बीच पेश पीएम, सीएम या मंत्री को पद से हटाने वाले विवादित विधेयक पर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि हम मध्ययुगीन काल में वापस जा रहे हैं जब राजा अपनी मर्जी से किसी को भी हटा सकता था।

राहुल गांधी ने विवादित विधेयक पर साधा निशाना, बोले- हम मध्ययुगीन काल में वापस जा रहे हैं, जब राजा...
राहुल गांधी ने विवादित विधेयक पर साधा निशाना, बोले- हम मध्ययुगीन काल में वापस जा रहे हैं, जब राजा...  फोटोः वीडियोग्रैब

आज लोकसभा में भारी विरोध के बीच पेश किए गए 30 द‍िन तक जेल में रहने पर बिल पीएम, सीएम या मंत्री को पद से हटाने वाले विधेयक पर राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि हम मध्ययुगीन काल में वापस जा रहे हैं जब राजा अपनी मर्जी से किसी को भी हटा सकता था।

संसद के सेंट्रल हॉल में विपक्ष के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी के स्वागत में आयोजित विपक्ष के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि "बीजेपी द्वारा प्रस्तावित नए विधेयक को लेकर काफी चर्चा हो रही है। हम मध्ययुगीन काल में वापस जा रहे हैं जब राजा अपनी मर्जी से किसी को भी हटा सकता था। निर्वाचित व्यक्ति क्या होता है, इसकी कोई अवधारणा ही नहीं है। उसे आपका चेहरा पसंद नहीं आता, इसलिए वह ईडी को केस दर्ज करने को कहता है, और फिर एक लोकतांत्रिक रूप से चुने गए व्यक्ति को 30 दिनों के भीतर हटा दिया जाता है। साथ ही, यह भी न भूलें कि हम एक नया उपराष्ट्रपति क्यों चुन रहे हैं। कल ही मैं किसी से बात कर रहा था और मैंने कहा, पता है, पुराने उपराष्ट्रपति कहां चले गए?

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राहुल गांधी ने कहा, "जिस दिन पुराने उपराष्ट्रपति ने इस्तीफ़ा दिया, वेणुगोपाल जी ने मुझे फ़ोन किया और कहा, उपराष्ट्रपति चले गए हैं। उनके इस्तीफ़े को लेकर एक बड़ी कहानी है। आप में से कुछ लोग इसे जानते होंगे, कुछ नहीं जानते होंगे, लेकिन इसके पीछे एक कहानी है, और फिर एक कहानी है कि वह क्यों छिपे हुए हैं। भारत के उपराष्ट्रपति ऐसी स्थिति में क्यों हैं जहां वह एक शब्द भी नहीं बोल सकते? अचानक, वह व्यक्ति जो राज्यसभा में खुलकर बोलता था, चुप हो गया है, पूरी तरह से चुप। तो यह वह समय है जिसमें हम रह रहे हैं।"

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राहुल गांधी ने कहा, "संविधान पर हमला करने वालों और संविधान की रक्षा करने वालों के बीच लड़ाई चल रही है। विपक्ष की हर एक पार्टी ने सर्वसम्मति से रेड्डी जी का समर्थन किया है। हमें यह स्वीकार करना होगा कि विपक्ष का कर्तव्य है कि वह एक वैकल्पिक दृष्टिकोण, भारत का एक वैकल्पिक विचार प्रस्तुत करे। यह एक बड़ी ज़िम्मेदारी है। यह वही ज़िम्मेदारी नहीं है जो 10-15 साल पहले थी क्योंकि तब व्यवस्था लागू थी। अब वह खत्म हो गई है। हमारे पास हर राज्य, हर भाषा और हर संस्कृति के प्रतिनिधि हैं, और हमें अपनी नेतृत्व क्षमता पर गर्व होना चाहिए। हम पूर्व न्यायमूर्ति सुदर्शन रेड्डी जी का समर्थन कर रहे हैं, और मुझे विश्वास है कि वह एक बेहद मज़बूत चुनाव लड़ेंगे, और देश उस संदेश को देखेगा जो हम देना चाहते हैं।

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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, "पिछले 11 वर्षों में, हमने संसदीय बहुमत का ज़बरदस्त दुरुपयोग देखा है ताकि ईडी, आयकर और सीबीआई जैसी स्वायत्त एजेंसियों को विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने के लिए कठोर शक्तियों से लैस किया जा सके। अब, ये नए विधेयक सत्तारूढ़ दल के हाथों में राज्यों में लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकारों को और कमज़ोर और अस्थिर करने का हथियार बनने वाले हैं। संसद में, हमने विपक्षी आवाज़ों को दबाने का बढ़ता चलन देखा है। हमें सदन में महत्वपूर्ण जनहित के मुद्दों को उठाने का बार-बार अवसर नहीं दिया जाता... संसद में इन उल्लंघनों का विरोध करने और उनके विरुद्ध निर्णायक कार्रवाई करने के लिए, देश को भारत के उपराष्ट्रपति के रूप में एक अनुकरणीय, निष्पक्ष न्यायमूर्ति बी. सुदर्शन रेड्डी की आवश्यकता है। उनका नामांकन भारत को परिभाषित करने वाले लोकतांत्रिक आदर्शों की रक्षा और उन्हें बनाए रखने के हमारे सामूहिक संकल्प का प्रतिनिधित्व करता है।"

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गंभीर आपराधिक आरोपों में फंसे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को हटाने संबंधी विधेयक पर RJD नेता तेजस्वी यादव ने कहा, "यह लोगों को ब्लैकमेल करने का एक नया तरीका है... यह कानून केवल नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू को डराने के लिए लाया जा रहा है... इन लोगों का यही काम है... पहले भी कई मुख्यमंत्रियों को जेल में रखा गया लेकिन सब बरी हो गए जैसे हेमंत सोरेन और अरविंद केजरीवाल... यह कानून लोकतंत्र को कमजोर करने के लिए लाया जा रहा है।

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गंभीर आपराधिक आरोपों में फंसे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को हटाने वाले विधेयक पर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी का कहना है, "सत्ता पक्ष की अपने बहुमत का इस्तेमाल करके इस विधेयक को पारित करने की मंशा ठीक नहीं है। इसका इस्तेमाल विपक्ष को निशाना बनाने के लिए किया जाएगा। यह एक क्रूर कृत्य है। ऐसे समय में जब चुनाव आयोग पर सवाल उठ रहे हैं, सत्ता पक्ष में घबराहट है और अब उससे ध्यान भटकाने के लिए यह मुद्दा उठाया गया है?..."

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संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025 पर समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव ने कहा, "सरकार सभी अधिकार केवल अपने पास रखना चाहती है... जिस तरह से विधेयक पेश किया गया है, उससे पता चलता है कि सरकार कितनी घबराई हुई है और अधिक से अधिक शक्ति अपने हाथ में रखना चाहती है... अब लोग जान गए हैं कि यह सरकार पूरी तरह से लोकतंत्र और संविधान के खिलाफ है।

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी 130वें संविधान संशोधन विधेयक को लेकर केंद्र सरकार और बीजेपी पर हमला बोला है। ममता बनर्जी ने दावा किया कि 130वां संविधान संशोधन विधेयक ‘सुपर-इमरजेंसी’ से भी आगे का कदम है, जो भारत में लोकतांत्रिक युग को हमेशा के लिए समाप्त कर देगा। उन्होंने दावा किया कि मोदी सरकार के इस विधेयक का उद्देश्य न्यायपालिका की स्वतंत्रता को समाप्त करना है और इसके जरिए मौजूदा केंद्र सरकार ‘एक व्यक्ति-एक पार्टी-एक सरकार’ सिस्टम को मजबूत करने का प्रयास है।

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